संजीव 'सलिल'
*
आन्या गुड़िया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।
गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया।
आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
नया खिलौना ले लो,
आन्या को समझाया।
उसका संग निभाना
जिस पर दिल हो आया।
३-७-२०१०
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