नवगीत
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बैठ नर्मदा तीर तंबूरा रहा बजा 
बाबा गाये कूटो, लूटो मौज मजा 
वनवासी के रहे न 
जंगल सरकारी 
सोने सम पेट्रोल 
टैक्स दो हँस भारी
कोरोना प्रतिबंध 
आम लोगों पर है 
पार्टी दें-लें नेता 
ऊँचे अधिकारी
टैक्स चुरा चंदा दो, थामे रहो ध्वजा 
बैठ नर्मदा तीर तंबूरा रहा बजा
चौथा खंबा बिका 
नींव पोली बचना 
घुली कुएँ में भाँग 
पियो बहको सजना 
शिक्षक हेतु न वेतन 
सांसद लें भत्ता 
तंत्र हुआ है हावी 
लोक न जी, मरना 
जो होता, होने दो, मानो ईश रजा 
बैठ नर्मदा तीर तंबूरा रहा बजा
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२७-७-२०१८ 
 
 
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