'शब्द' पर दोहे
*
अक्षर मिलकर शब्द हों, शब्द-शब्द में अर्थ।
शब्द मिलें तो वाक्य हों, पढ़ समझें निहितार्थ।।
*
करें शब्द से मित्रता, तभी रच सकें काव्य।
शब्द असर कर कर सकें, असंभाव्य संभाव्य।।
*
भाषा-संस्कृति शब्द से, बनती अधिक समृद्ध।
सम्यक् शब्द-प्रयोग कर, मनुज बने मतिवृद्ध।।
*
सीमित शब्दों में भरें, आप असीमित भाव।
चोटिल करते शब्द ही, शब्द मिटाते घाव।।आद्या
*
दें शब्दों का तोहफा, दूरी कर दें दूर।
मिले शब्द-उपहार लें, बनकर मित्र हुजूर।।
*
निराकार हैं शब्द पर, व्यक्त करें आकार।
खुद ईश्वर भी शब्द में, हो जाता साकार।।
*
जो जड़ वे जानें नहीं, क्या होता है शब्द।
जीव-जंतु ध्वनि से करें, भाव व्यक्त बेशब्द।।
*
बेहतर नागर सभ्यता, शब्द-शक्ति के साथ।
सुर नर वानर असुर के, शब्द बन गए हाथ।।
*
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ें, मिट-घट सकें न शब्द।
कहें, लिखें, पढ़िए सतत, कभी न रहें निशब्द।।
*
शब्द भाव-भंडार हैं, सरस शब्द रस-धार।
शब्द नए नित सीखिए, सबसे सब साभार।।
*
शब्द विरासत; प्रथा भी, परंपरा लें जान।
रीति-नीति; व्यवहार है, करें शब्द का मान।।
*
शब्द न अपना-गैर हो, बोलें बिन संकोच।
लें-दें कर लगता नहीं, घूस न यह उत्कोच।।
*
शब्द सभ्यता-दूत हैं, शब्द संस्कृति पूत।
शब्द-शक्ति सामर्थ्य है, मानें सत्य अकूत।।
*
शब्द न देशी-विदेशी, शब्द न अपने-गैर।
व्यक्त करें अनुभूति हर, भाव-रसों के पैर।।
*
शब्द-शब्द में प्राण है, मत मानें निर्जीव।
सही प्रयोग करें सभी, शब्द बने संजीव।।
*
शब्द-सिद्धि कर सृजन के, पथ पर चलें सुजान।
शब्द-वृद्धि कर ही बने, रचनाकार महान।।
*
शब्द न नाहक बोलिए, हो जाएंगे शोर।
मत अनचाहे शब्द कह, काटें स्नेहिल डोर।।
*
समझ शऊर तमीज सच, सिखा बनाते बुद्ध।
युद्घ कराते-रोकते, करते शब्द प्रबुद्ध।।
*
शब्द जुबां को जुबां दें, दिल को दिल से जोड़।
व्यर्थ होड़ मत कीजिए, शब्द न दें दिल तोड़।।
*
बातचीत संवाद गप, गोष्ठी वार्ता शब्द।
बतरस गपशप चुगलियाँ, होती नहीं निशब्द।।
*
दोधारी तलवार सम, करें शब्द भी वार।
सिलें-तुरप; करते रफू, शब्द न रखें उधार।।
*
शब्दों से व्यापार है, शब्दों से बाजार।
भाव-रस रहित मत करें, व्यर्थ शब्द-व्यापार।।
*
शब्द आरती भजन जस, प्रेयर हम्द अजान।
लोरी गारी बंदिशें, हुक्म कभी फरमान।।
*
विनय प्रार्थना वंदना, झिड़क डाँट-फटकार।
ऑर्डर विधि आदेश हैं, शब्द दंड की मार।।
*
शब्द-साधना दूत बन, करें शब्द से प्यार।
शब्द जिव्हा-शोभा बढ़ा, हो जाए गलहार।।
***
salil.sanjiv@gmail.com
18.7.2018, 7999559618
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
रविवार, 18 जुलाई 2021
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें