कुल पेज दृश्य

बुधवार, 16 जून 2021

महीयसी छंद

 छंद कोष की एक झलक:

लगभग ३५० नए छंद विधान और उदाहरण सहित रचे जा चुके हैं। आगे कार्य जारी है.
षड्मात्रीय रागी जातीय छंद (प्रकार १५)
*
महीयसी छंद:
विधान: लघु गुरु लघु गुरु (१२१२)।
लक्षण छंद:
महीयसी!
गरीयसी।
सदा रहीं
ह्रदै बसीं।।
*
उदाहरण
गीत:
निशांत हो,
सुशांत हो।
*
उषा उगी
कली खिली।
बही हवा
भली भली।
सुखी रहो,
न भ्रांत हो...
*
सही कहो,
सही करो।
चले चलो,
नहीं डरो।
विरोध क्यों
नितांत हो...
*
करो भला
वरो भला।
नरेश हो
तरो भला।
न दास हो,
न कांत हो...
*
विराट हो
विशाल हो।
रुको नहीं
निढाल हो।
सुलक्ष्य पा
दिनांत हो...
**
७९९९५५९६१८, ९४२५१८३२४४
salil.sanjiv@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं: