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बुधवार, 16 जून 2021

दोहा गीत

 दोहा गीत:

संजीव
*
अगर नहीं मन में संतोष
खाली हो भरकर भी कोष
*
मन-हाथी को साधिये
संयम अंकुश मार
विषधर को सर पर धरें
गरल कंठ में धार
सुख आये करिए संकोच
जब पायें तजिए उत्कोच
दुःख जय कर करिए जयघोष
अगर नहीं मन में संतोष
खाली हो भरकर भी कोष
*
रहें तराई में कदम
चढ़ना हो आसान
पहुँच शिखर पर तू 'सलिल'
पतन सुनिश्चित जान
मान मिले तो गर्व न कर
मनमर्जी को पर्व न कर
मिले नहीं तो मत कर रोष
अगर नहीं मन में संतोष
खाली हो भरकर भी कोष
१६-६-२०१५
*

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