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रविवार, 13 जून 2021

कवीन्द्र रवींद्रनाथ ठाकुर दोहानुवाद

कवीन्द्र रवींद्रनाथ ठाकुर 
दोहानुवाद:
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
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रुद्ध अगर पाओ कभी, प्रभु! तोड़ो हृद -द्वार.
कभी लौटना तुम नहीं, विनय करो स्वीकार..
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मन-वीणा-झंकार में, अगर न हो तव नाम.
कभी लौटना हरि! नहीं, लेना वीणा थाम..
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सुन न सकूँ आवाज़ तव, गर मैं निद्रा-ग्रस्त.
कभी लौटना प्रभु! नहीं, रहे शीश पर हस्त..
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हृद-आसन पर गर मिले, अन्य कभी आसीन.
कभी लौटना प्रिय! नहीं, करना निज-आधीन..
१३-६-२०१० 
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