दोहे -मुक्तक
अजर अमर अक्षर अजित, अमित असित अनमोल।
अतुल अगोचर अवनिपति, अंबरनाथ अडोल।।
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अतुल अगोचर अवनिपति, अंबरनाथ अडोल।।
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रहजन - रहबर रट रहे, राम राम रम राम।
राम रमापति रम रहो, राग - रागिनी राम।।
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राम रमापति रम रहो, राग - रागिनी राम।।
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ललित लता लश्कर लहक, लक्षण लहर ललाम। लिप्त लड़कपन लजीला, लतिका लगन लगाम।।
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संजीव
१६-११-२०१९
१६-११-२०१९
उग, बढ़, झर पत्ते रहे, रहे न कुछ भी जोड़ सीख न लेता कुछ मनुज, कब चाहे दे छोड़
* लट्टू पर लट्टू हुए, दिया न आया याद जब बिजली गुल हो गई, तब करते फरियाद
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नम आँख देखकर हमारी आँख नम हुई
दिल से करी तारीफ मगर वह भी कम हुई
हमने जलाई फुलझड़ी 'सलिल' ये क्या हुआ
दीवाला हो गया है वो जैसे ही बम हुई.
दिल से करी तारीफ मगर वह भी कम हुई
हमने जलाई फुलझड़ी 'सलिल' ये क्या हुआ
दीवाला हो गया है वो जैसे ही बम हुई.
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