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शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

मुक्तक

मुक्तक
आइये मिलकर गले मुक्तक कहें 

गले शिकवे गिले, हँस मुक्तक कहें
महाकाव्यों को न पढ़ते हैं युवा
युवा मन को पढ़ सके, मुक्तक कहें
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बहुत सुन्दर प्रेरणा है
सत्य ही यह धारणा है
यदि न प्रेरित हो सका मन
तो मिली बहु तारणा है
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हमारा टर्न तो हरदम नवीन हो जाता
तुम्हारा टर्न गया वक्त जो नहीं आता
न फिक्र और की करना हमें सुहाता है
हमारा टर्म द्रौपदी का चीर हो जाता
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कार्यशाला में न आये, वाह सर
आये तो कुछ लिख न लाये, वाह सर
आप ही लिखते रहें, पढ़ते रहें
कौन इसमें सर खपाए वाह सर
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जगाते रहते गुरूजी मगर सोना है
जागता है नहीं है जग यही रोना है
कह रहे हम पा सकें सब इसी जीवन में
जबकि हम यह जानते सब यहीं खोना है

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