साधु शरण वर्मा
जन्म - ७ दिसंबर १९३९, अयोध्या।
आत्मज - स्व. रुक्मिणी - स्व. सूर्यपाल।
शिक्षा- बी.ए. ऑनर्स, एम.ए. स्वर्ण पदक।
प्रकाशन - २२ पुस्तकें विविध विधाओं में, अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में।
उपलब्धि - २८ अलंकरण।
संपर्क - कल्पतरु, ५२५ / २९३ पुराना महानगर, लखनऊ, उ. प्र.।
*
बैंसवाड़ी
कंठ मइहां आय कै बिराजो
कंठ मइहां आय कै बिराजो
जगत केरि मइया शारदा!
सुख-दुःख कै गाथा लिखावो यही जन से
दूरि करौ मानस के रोग जन-मन से
जग मा आपन जस फैलावो
जगत केरी मइया शारदा
शब्दन कै ज्ञान नहीं, अरथ हू न जानी
जग के प्रपंच मइहाँ बुद्धि है हेरानी
जयोति भरौ लेखनि मा आपन
जगत केरी मइया शारदा
दुखियन कै दुःख मोरी लेखनी मा आवै
दूरी करौ दुःख जग जस तेरो गावै
शब्दन मा मोती झलकाओ
जगत केरी मइया शारदा
चाहउँ ना सूर अउर कबिरा कै बानी
दुखी केर दुःख गावै लेखनी सयानी
पार करउ 'सरन' केरी नइया
जगत केरी मइया शारदा
*
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जन्म - ७ दिसंबर १९३९, अयोध्या।
आत्मज - स्व. रुक्मिणी - स्व. सूर्यपाल।
शिक्षा- बी.ए. ऑनर्स, एम.ए. स्वर्ण पदक।
प्रकाशन - २२ पुस्तकें विविध विधाओं में, अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में।
उपलब्धि - २८ अलंकरण।
संपर्क - कल्पतरु, ५२५ / २९३ पुराना महानगर, लखनऊ, उ. प्र.।
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बैंसवाड़ी
कंठ मइहां आय कै बिराजो
कंठ मइहां आय कै बिराजो
जगत केरि मइया शारदा!
सुख-दुःख कै गाथा लिखावो यही जन से
दूरि करौ मानस के रोग जन-मन से
जग मा आपन जस फैलावो
जगत केरी मइया शारदा
शब्दन कै ज्ञान नहीं, अरथ हू न जानी
जग के प्रपंच मइहाँ बुद्धि है हेरानी
जयोति भरौ लेखनि मा आपन
जगत केरी मइया शारदा
दुखियन कै दुःख मोरी लेखनी मा आवै
दूरी करौ दुःख जग जस तेरो गावै
शब्दन मा मोती झलकाओ
जगत केरी मइया शारदा
चाहउँ ना सूर अउर कबिरा कै बानी
दुखी केर दुःख गावै लेखनी सयानी
पार करउ 'सरन' केरी नइया
जगत केरी मइया शारदा
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