कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

karyashala

कार्यशाला १५ 
निम्न पंक्तियों को पढ़ें, समझें और अपनी राय दें। 
*
ज़िक्र होता है जब क़यामत का 
तेरे जलवों की बात होती है 
तू जो चाहे तो दिन निकलता है
तू जो चाहे तो रात होती है
*
तुझको देखा है मेरी नज़रों ने
तेरी तारीफ हो मगर कैसे?
कि बने ये नज़र जुबां कैसे?
कि बने ये जुबां नज़र कैसे ?
न जुबां को दिखाई देता है
न निगाहों से बात होती है
तू जो चाहे तो दिन निकलता है
तू जो चाहे तो रात होती है
*
ये पंक्तियाँ चित्रपटीय गीतों में श्रेष्ठ साहित्यिकता की बानगी हैं। इनके माध्यम से ईश्वर को संबोधित किया गया है अथवा प्रेमिका को?

कोई टिप्पणी नहीं: