कुल पेज दृश्य

शनिवार, 23 जुलाई 2016

ahir chhand

रसानंद दे छंद नर्मदा 
​ 
​४० 
 
 : 
​अहीर 
छन्द
 
 


​दोहा, ​सोरठा, रोला, ​आल्हा, सार​,​ ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई​, ​हरिगीतिका, उल्लाला​,गीतिका,​घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, छप्पय, भुजंगप्रयात, कुंडलिनी, सवैया, शोभन या सिंहिका, सुमित्र, सुगीतिका, शंकर, मनहरण (कवित्त/घनाक्षरी), उपेन्द्रव
ज्रा
, इंद्रव
​​
ज्रा, 
सखी
​,
 
वासव
​, 
अचल धृति
​,  
अचल
​, अनुगीत, अहीर 
छंदों से साक्षात के पश्चात् मिलिए​ 
​​
​         
छंद
 ​से
 
Rose  अहीर छंद 

लक्षण: जाति रौद्र, पद २, चरण ४, प्रति चरण मात्रा ११, चरणान्त लघु गुरु लघु (जगण).

लक्षण छंद:

चाहे राँझ अहीर, बाला सुन्दर हीर 


लघु गुरु लघु चरणांत, संग रहे नत शांत   

पूजें ग्यारह रूद्र, कोशिश लँघे समुद्र 

जल-थल-नभ में घूम, लक्ष्य सके पद चूम 

उदाहरण:

१. सुर नर संत फ़क़ीर, कहें न कौन अहीर?

   आत्म-ग्वाल तज धेनु, मन-प्रयास रस-वेणु  

   प्रकृति-पुरुष सम संग, रचे सृष्टि कर दंग 

   ग्यारह हों जब एक, मानो जगा विवेक      

२. करो संग मिल काम, तब ही हो यश-नाम 

    भले रहे विधि वाम, रखना साहस थाम 

    सुबह दोपहर शाम, रचना छंद ललाम 

    कर्म करें बिन लोभ, सह परिणाम
    
३. पूजें ग्यारह रूद्र, मन में रखकर भक्ति 

    जनगण-शक्ति समुद्र, दे अनंत अनुरक्ति

    लघु-गुरु-लघु रह शांत, रच दें छंद अहीर

    रखता उन्नत माथ, खाली हाथ फ़क़ीर 

********

1 टिप्पणी:

कविता रावत ने कहा…

अहीर छंद का उदाहरण सहित प्रस्तुतिकरन हेतु आभार!