कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 21 अगस्त 2014

muktika: siyasat -sanjiv

रचना-प्रति रचना

फ़ोटो: नज़र मुझसे मिलाती हो तो तुम शरमा-सी जाती हो 
इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

जबाँ ख़ामोश है लेकिन निग़ाहें बात करती हैं, अदाएँ लाख भी रोको अदाएँ बात करती हैं।

नज़र नीची किए दाँतों में उँगली को दबाती हो। इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

छुपाने से मेरी जानम कहीं क्या प्यार छुपता है, ये ऐसा फूल है ख़ुशबू हमेशा देता रहता है।

तुम तो सब जानती हो फिर भी क्यों , मुझको सताती हो?  इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

तुम्हारे प्यार का ऐसे हमें इज़हार मिलता है, हमारा नाम सुनते ही तुम्हारा रंग खिलता है

और फिर दिल ही-दिल मे तुम हमारे गीत गाती हो। इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

तुम्हारे घर में जब आऊँ तो छुप जाती हो परदे में मुझे जब देख ना पाओ तो घबराती हो परदे में

ख़ुद ही परदा उठा कर फिर इशारों से बुलाती हो।

   इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं।

आपका दिन शुभ रहे .......  

                                      आपका दोस्त - प्रेम

'चाँद सा' जब कहा, वो खफा हो गये
चाँदनी थे, तपिश दुपहरी हो गये
नेह निर्झर नहीं, हैं चट्टानें वहाँ
'मैं न वैसी' कहा औ' जुदा हो गये
*
'चाँद' हूँ मैं नहीं, आइना देख लो
चाँद सर पर तुम्हें साफ़ दिख जाएगा
सर झुकाओ तनिक लूँ लिपस्टिक लगा
चाँद में चन्दनी रूप बस जाएगा
*
मुक्तिका:
संजीव
*
नज़र मुझसे मिलाती हो, अदा उसको दिखाती हो  
निकट मुझको बुलाती हो, गले उसको लगाती हो 

यहाँ आँखें चुराती हो, वहाँ आँखें मिलाती हो 
लुटातीं जान उस पर, मुझको दीवाना बनाती हो 

हसीं सपने दिखाती हो, तुरत हँसकर भुलाती हो  
पसीने में नहाता मैं, इतर में तुम नहाती हो 

जबाँ मुझसे मुखातिब पर निग़ाहों में बसा है वो 
मेरी निंदिया चुराती, ख़्वाब में उसको बसाती हो   

अदा दिलकश दिखा कर लूट लेती हो मुझे जानम 
सदा अपना बतातीं पर नहीं अपना बनाती हो  

न इज़हारे मुहब्बत याद रहता है कभी तुमको  
कभी तारे दिखाती हो, कभी ठेंगा दिखाती हो

वज़न बढ़ना मुनासिब नहीं कह दुबला दिया मुझको 
न बाकी जेब में कौड़ी, कमाई सब उड़ाती हो

कलेजे से लगाकर पोट, लेतीं वोट फिर गायब 
मेरी जाने तमन्ना नज़र तुम सालों न आती हो 

सियासत लोग कहते हैं सगी होती नहीं संभलो 
बदल बैनर, लगा नारे मुझे मुझसे चुराती हो

सखावत कर, अदावत कर क़यामत कर रही बरपा 
किसी भी पार्टी में हो नहीं वादा निभाती हो 
-------------------------------------------------


  

कोई टिप्पणी नहीं: