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रविवार, 3 अगस्त 2014

lekh: kundali men mangal dosh: abhilasha


कुंडली में मंगल दोष 
अभिलाषा 
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मंगल-दोष एक प्रमुख दोष माना जाता रहा है हमारे कुंडली के दोषों में.आजकल के शादी-बयाह में इसकी प्रमुखता देखि जा रही है,पर इस दोष के बहुत सारे परिहार भी है.ऐसा माना जाता रहा है की मांगलिक'दोषयुक्त कुंडली का मिलान मांगलिक-दोषयुक्त' कुंडली से ही बैठना चाहिए,या ऐसे कहना चाहिए की मांगलिक वर की शादी मांगलिक वधु से होनी चाहिए,पर ये कुछ मायनो में गलत है,कई बार ऐसा करने से ये दोष दुगना हो जाता है जिसके फलस्वरूप वर-वधु का जीवन कष्टमय हो जाता है.अत्तः यहाँ कुछ बातें ध्यान देने योग्य हो जाती है जैसे की अगर वर-वधु की उमर अगर ३० वर्ष से अधिक हो 'या' जिस स्थान पर वर या वधु का मंगल स्थित हो उसी स्थान पर दुसरे के कुंडली में शनि-राहु-केतु या' सूर्य हो तो भी मंगल-दोष विचारनीय नहीं रह जाता अगर दूसरी कुंडली मंगल-दोषयुक्त न भी हो तो.या वर-वधु के गुण-मिलान में गुंणों की संख्या ३० से उपर आती है तो भी मंगल-दोष विचारनीय नहीं रह जाता.
ये तो थी परिहार की बात,इसके अलावा अगर ये स्थिति भी न हो अर्थात कुंडली के योगों के द्वारा अगर परिहार संभव न हो तो इसके कुछ उपाए है जिसके की करने के बाद मंगल-दोष' को बहुत हद तक कम किया जा सकता है,जैसे की कुम्भ-विवाह,विष्णु-विवाह और अश्वाथा-विवाह.'अर्थात अगर ऐसे जातको के विवाह से पहले जिसमे किसी एक की कुंडली जो की मांगलिक'दोषयुक्त हो उसका विवाह इन पद्धतियों में से किसी एक से कर के पुनः फिर उसका विवाह गैर-मांगलिक'दोषयुक्त कुंडली वाले के साथ किया जा सकता है.कुम्भ-विवाह' में वर या वधु की शादी एक घड़े के साथ कर दी जाती है और उसके पश्चात उस घड़े को तोड़ दिया जाता है.उसी प्रकार अश्वाथा-विवाह' में में वर या वधु की शादी एक केले के पेड़ के साथ कर दी जाती है और उसके पश्चात उस पेड़ को काट दिय जाता है.विष्णु-विवाह में वधु की शादी विष्णु-जी की प्रतिमा से की जाती है ,फिर उसका विवाह जिस वर से उसकी शादी तय हो उससे कर देनी चाहिए.
इसके अलावा और भी कुछ बातें ध्यान देने योग्य है जैसे की अगर वर-वधु' दोनों की कुण्डलियाँ मांगलिक'दोषयुक्त हो पर किसी एक का मंगल 'उ़च्च' का और दुसरे का ‘नीच’ का हो तो भी विवाह नहीं होना चाहिए.या दोनों की कुण्डलियाँ मांगलिक'दोषयुक्त न हो पर किसी एक का मंगल 29' डिग्री से ०' डिग्री के बीच का हो तो भी मंगल-दोष' बहुत हद्द तक प्रभावहीन हो जाता है.
अतः मेरे विचार से विवाह के समय इन बातों को विचार में रख के हम आने वाले भविष्य को सुखमय बना सकते है.

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