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सोमवार, 17 मार्च 2014

vyangikayen: -ompraksh tiwari

ऊँ
व्यङ्गिकाएं 
ओमप्रकाश तिवारी
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नरेंद्र मोदी
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गंगा जी में घोलकर टेसू वाला रंग,
सिलबट्टे पर पीसकर असी घाट की भंग।
असी घाट की भंग मिठाई उस पर सोंधी,
आज बनारस बीच कहें सब मोदी - मोदी। 
हर हर बम बम बोल कीजिए मन को चंगा,
बाकी नैया पार करेंगी मैया गंगा। 

एन.डी.तिवारी
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पिचकारी ले हाथ में चाची हैं तैनात, 
तारकोल की बाल्टी है बेटे के हाथ। 
है बेटे के हाथ घात में हैं माँ-बेटा,
बुढ़ऊ को किस भांति जाय इस बार लपेटा। 
छुपे-छुपे हैं घूम रहे श्रीमान तिवारी,
कहीं न जाए छूट उज्ज्वला की पिचकारी। 

ममता बनर्जी- अन्ना
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साड़ी इधर सफेद है कुर्ता उधर सफेद,
शुद्ध-सात्विक प्रेम का यही अनोखा भेद।
यही अनोखा भेद मिल गए बन्नी-बन्ना,
जोड़ी सीता-राम लग रही ममता-अन्ना। 
दुनिया का दुख ओढ़ रह गए आप अनाड़ी,
अब तो दे दो गिफ्ट बनारसवाली साड़ी। 

नीतीश कुमार
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फागुन का रंग देखने आओ चलें बिहार,
जहां बैठकर कुढ़ रहे हैं नीतीश कुमार।
हैं नीतीश कुमार संभाले अपना कुर्ता,
मोदी यहां न आय बना दें अपना भुर्ता।
रहें संभलकर आप गाइए अपनी ही धुन,
जो खुद ही बदरंग करे क्या उसका फागुन। 

राखी सावंत
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बीजेपी दफ्तर गईं जब राखी सावंत,
उन्हें देख फगुवा गए कई संघ के संत। 
कई संघ के संत छोड़कर भगवा चोला,
गावैं अरर कबीर भांग का खाकर गोला। 
छोड़ि चुनावी जंग आपके रंग में बेबी,
रंग न जाए आज यहां पूरी बीजेपी। 

अखिलेश यादव
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होली में हैरान से दिखते हैं अखिलेश,
शायद फिर से खो गई है चच्चू की भैंस।
है चच्चू की भैंस यहां हर हफ्ते खोती,
उनको करके याद बिचारी चाची रोती।
चापलूस की फौज साथ में है हमजोली,
बापू जी नाराज राम निपटाएं होली। 

रामविलास पासवान
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पीकर बारह साल तक सेक्युलरिज़्म की भांग,
भगवा रंग के हौज में कूदे लगा छलांग।
कूदे लगा छलांग दिलाए जो भी सत्ता,
बोलें रामविलास टेकिए उसको मत्था।
फूले इनकी सांस बिना सत्ता के जीकर,
ग़र सत्ता हो हाथ मस्त ठंडाई पीकर। 

लालू यादव
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चारा खाकर घर पड़े लड़ ना सकें चुनाव,
लालू जी की आज तो दिखे अधर में नाव।
दिखे अधर में नाव आज होली की बेला,
गायब उनके द्वार कार्यकर्ता का मेला। 
भौजी लेकर हाथ खड़ीं गोबर का गारा,
लालू गावै फाग अकेले ही बे-चारा। 

आम आदमी पार्टी
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दिल्लीवाले हाथ में लेकर सूखा रंग,
ढूंढ रहे हैं ‘आप’ को करें उसे बदरंग।
करें उसे बदरंग किया पानी का वादा,
बोलो कहां नहायं आज मिलता ना आधा। 
होली के दिन आज हुए सब पीले-काले,
हैं यमुना की ओर भागते दिल्लीवाले। 

डिनर डिप्लोमेसी
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भोजन करवाएं इन्हें जा फाइव स्टार,
फिर दें इनको दक्षिणा वह भी कई हजार।
वह भी कई हजार अजब हैं अपने नेता,
भर पाएंगे आप अगर ये बने विजेता। 
अगर गरम है जेब कीजिए आप प्रयोजन,
नेता हैं तैयार करेंगे आकर भोजन। 

- ओमप्रकाश तिवारी

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