लक्षण छंद:
    
तू नहीं हारी, बिरज की नारी
    हुलस मतवारी, डरे बनवारी  
पोल क्यों खोली?, लगा ले रोली

Sanjiv verma 'Salil'
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छंद सलिला:
होली रंग : छंद के संग
 
होली रंग : छंद के संग
 
संजीव 
 
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राजीव (माली) छंद 
लक्षण:
 जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १८ मात्रा, यति ९ - ९ 
प्रति चरण मात्रा, अठारह रख लें  
नौ-नौ पर रहे, यति यह परख लें 
राजीव महके, परिंदा चहके 
माली-भ्रमर सँग, तितली निरख लें 
उदाहरण:
१. आ गयी होली, खेल हमजोली
१. आ गयी होली, खेल हमजोली
   भीगा दूं चोली, लजा मत भोली 
भरी पिचकारी, यूँ न दे गारी,
फ़िज़ा है न्यारी, मान जा प्यारी
खा रही टोली, भांग की गोली
भरी पिचकारी, यूँ न दे गारी,
फ़िज़ा है न्यारी, मान जा प्यारी
खा रही टोली, भांग की गोली
    मार मत बोली,व्यंग्य में घोली 
तू नहीं हारी, बिरज की नारी
पोल क्यों खोली?, लगा ले रोली
    प्रीती कब तोली, लग गले भोली 
२. कर नमन हर को, वर उमा वर को 
    जीतकर डर को, ले उठा सर को 
साध ले सुर को, छिपा ले गुर को
साध ले सुर को, छिपा ले गुर को
    बचा ले घर को, दरीचे-दर को 
३. सच को न तजिए, श्री राम भजिए 
    सदग्रन्थ पढ़िए, मत पंथ तजिए 
    पग को निरखिए, पथ भी परखिए 
    कोशिशें करिए, मंज़िलें वरिये 
   
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, 
उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, 
दोधक, नित, निधि, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, मानव, माली, माया, माला, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, 
वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, 
हंसी) 
Sanjiv verma 'Salil'
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