कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 27 मार्च 2014

chhand salila: madhumalti chhand -sanjiv

छंद सलिला:
मधुमालती छंद
संजीव
*
लक्षण: जाति मानव, प्रति चरण मात्रा १४ मात्रा, यति ७-७, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण) होता है.  

लक्षण छंद:
मधुमालती आनंद दे
ऋषि साध सुर नव छंद दे 
चरणांत गुरु लघु गुरु रहे
हर छंद नवउत्कर्ष दे।   

उदाहरण:
१.
माँ भारती वरदान दो
   सत्-शिव-सरस हर गान दो
   मन में नहीं अभिमान हो
  
घर-अग्र 'सलिल' मधु गान हो।


२. सोते बहुत अब तो जगो
   खुद को नहीं खुद ही ठगो 
   कानून को तोड़ो नहीं-    
   अधिकार भी छोडो नहीं 

  *********************************************
 (अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)

कोई टिप्पणी नहीं: