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सोमवार, 20 सितंबर 2010

अनुवाद सलिला: १  

अंग्रेजी ग़ज़ल:

प्रो. अनिल जैन
*
This is still a fact.
What I am in fact..

It is the part of it.
What is lost in fact..

Don't pay heed on that
Already got in fact..

I was dreaming that
Already got in fact..

Moving away from there
Life is where in fact..

I could give you that
What I had in fact..

Only moment that lived
That is a fact in fact..

What they never can do
That they promised in fact..

Only gave that up
Never had in fact..

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हिन्दी भावानुवाद : संजीव 'सलिल'

यह तो है अब तक एक सच.
मैं जो हूँ वह भी है सच..

इसका ही तो हिस्सा है
जिसे गँवाया वह- यह सच..

उस पर किंचित ध्यान न दो.
जिसे पा चुके सचमुच सच..

देख रहा उसका सपना
हाथ लग चुका है जो सच..

जाता दूर वहाँ से हूँ.
जीवन जहाँ हुआ है सच..

दे पाया तुमको उतना
जितना मैंने पाया- सच..

वह पल जिसे जिया मैंने
केवल वह ही सच्चा सच..

कभी न जो वे कर सकते.
उसका वादा करते- सच..

आखिर में सब छोड़ गया
जो न कभी था उसका- सच..


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4 टिप्‍पणियां:

- ahutee@gmail.com ने कहा…

आ० आचार्य जी ,
अंग्रेजी ग़ज़ल और हिन्दी-अनुवाद दार्शनिक चिन्तन के रूप में ही ग्रहण
कर सका | मैं truth और facts में थोड़ा अंतर मानता हूँ | अपना विचार
अंग्रेजी और हिंदी दोनों में निम्नवत है -

Temptations may be dubbed as facts
Such facts may always not be truths
There is always a thin margin
What mind calls truth,Heart feels falsehoods .

concience and the heart
seperate truth from fiction
It is not my wit alone
What always dictates action

पथ में मिले प्रलोभन कितने
कभी न पाया सच से बच
शुद्ध सत्य दे गया आत्मबल
दूषित सच बन गये अपच

नहीं सत्य को आँच, सुधीजन
कहते कभी न थकते
रहा अटल विश्वास, अंततः
' सत्यमेव जयते '

सादर
कमल

Sanjiv Verma 'Salil' ने कहा…

आपका अभिमत शिरोधार्य.

kamlesh kumar diwan ✆ ekavita ने कहा…

संजीव जी ,
अच्छा अनुबाद है ,लेखक प्रोफ़ेसर अनिल जैन जी को नई शुरूआत के लिए शुभकामनायें

dr. m. c. gupta 'khalish' ने कहा…

प्रो. अनिल जैन की अंग्रेज़ी की कविता को ग़ज़ल नहीं कहा जा सकता. काफ़िये के बिना ग़ज़ल नहीं हो सकती. अंग्रेज़ी में भी काफ़िया, रदीफ़, बहर के मुताबिक ग़ज़ल लिखी जा सकती है. मैंने ५०-६० लिखी हैं.

--ख़लिश