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शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

मुक्तक, दोहा

मुक्तक:
मेरी तो अनुभूति यही है शब्द ब्रम्ह लिखवा लेता
निराकार साकार प्रेरणा बनकर कुछ कहला लेता
मात्र उपकरण मानव भ्रमवश खुद को रचनाकार कहे
दावानल में जैसे पत्ता खुद को करता मान दहे
*
बात न करने को कुछ हो तो कहिये कैसे बात करें?
बिना बात के बात करें जो नाहक शह या मात करें
चोट न जो सह पाते देते पड़ती तो रो देते हैं-
दोष विधाता को दे कहते विधना क्यों आघात करे??
*
दोहा सलिला
राम आत्म परमात्म भी, राम अनादि-अनंत
चित्र गुप्त है राम का, राम सृष्टि के कंत
*
विधि-हरि-हर श्री राम हैं, राम अनाहद नाद
शब्दाक्षर लय-ताल हैं, राम भाव रस स्वाद
*
राम नाम गुणगान से, मन होता है शांत
राम-दास बन जा 'सलिल', माया करे न भ्रांत
*


गुरुवार, 25 नवंबर 2021

विवाह गीत

हिंदी चित्रपट से विवाह गीत 
*
जब तक पूरे न हों फेरे सात
तब तक दुल्हिन नहीं दुल्हा की
तब तक बबुनी नहीं बबुआ की

अबही तो बबुआ पहली भँवर पड़ी है
अभी तो पहुना दिल्ली दूर खड़ी है
पहली भँवर पड़ी है,दिल्ली दूर खड़ी है
करनी होगी तपस्या सारी रात
सात फेरे सात जन्मों का साथ...

जैसे जैसे भँवर पड़े मन अंगना को छोड़े
एक एक भाँवर नाता अन्जानों से जोड़े
घर अंगना को छोड़े, नाता अन्जानों से जोड़े
सुख की बदरी आंसू की बरसात
सात फेरे सात जन्मों का साथ...

सात फेरे धरो बबुआ भरो सात वचन जी
ऐसे कन्या कैसे अर्पण कर दे तन भी मन भी
उठो उठो बबुनी देखो ध्रुव तारा
ध्रुव तारे सा हो अमर सुहाग तिहारा
ओ देखो देखो ध्रुव तारा, अमर सुहाग तिहारा
सातों फेरे सातों जन्मों का साथ...
***
अमीर से होती हैं, गरीब से होती हैं
दूर से होती हैं, क़रीब से होती हैं
मगर जहाँ भी होती हैं, ऐ मेरे दोस्त
शादियाँ तो नसीब से होती हैं

आज मेरे यार की शादी है
यार की शादी है, मेरे दिलदार की शादी है
लगता है जैसे सारे संसार की शादी है
आज मेरे यार की शादी है...

वक़्त है खूबसूरत, बड़ा शुभ लगन मुहूरत
देखो क्या खूब सजी है, दुल्हे की भोली सूरत
ख़ुशी से झूमे है मन, मिला सजनी को साजन
कैसे संजोग मिले हैं, चोली से बँध गया दामन
एक मासूम कली से मेरे गुलज़ार की शादी है
आज मेरे यार की शादी है...

ओ सुन मरे दिल जानी, तेरी भी ये जवानी
शुरु अब होने लगी है, नयी तेरी जिंदगानी
ख़ुशी से क्यों इतराए, आज तू हमें नचाये
वक़्त वो आने वाला, दुल्हनिया तुझे नचाये
किसी के सपनों के सोलह-सिंगार की शादी है
आज मेरे यार की शादी है...

सारे तारे तोड़ लाऊँ, तेरे सेहरे को सजाऊँ
फूल राहों में बिछाऊ…
***
मेरी बन्नो की आएगी बारात, कि ढोल बजाओ जी
मेरी लाडो की आएगी बारात, कि ढोल बजाओ जी
आज नाचूंगी मैं सारी रात, कि ढोल बजाओ जी
मेरी बन्नो की आएगी बारात ...

सजना के घर तू जाएगी, याद हमें तेरी आएगी
जा के पिया के देस में ना, हमको भुलाना
आँख बाबुल तेरी क्यों भर आई
बेटीयाँ तो होती हैं पराई,
अब रहेगी ये सइयां जी के साथ, कि ढोल बजाओ जी,
मेरी बन्नो की आएगी बारात ...

गज़रा खिला है बालों पे, सुर्खी लगी है गालों पे
बिंदिया चमकती है माथे पे, नैनों में कज़रा
सज़ा है तन पे, गहना
लगे क्या खूब तू, बहना
खिली होठों पे, लाली
सजे कानों में, बाली
लगी मेंहदी दुल्हनिया के हाथ, कि ढोल बजाओ जी
मेरी बन्नो की आएगी बारात ...

ले लूँ बलाएं तेरी सभी, दे दूँ तुझे मैं अपनी खुशी
माँग दुआ मैं रब से यही, तू खुश रहे,
कोई चाहत रहे ना अधूरी
तेरी सारी तमन्ना हो पूरी
मैंने कहदी मेरे दिल की बात
मेरी बन्नो की आएगी बारात ..
***
बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे पाया
सजन घर ले चली, सजन घर मैं चली

यादों के लेकर साये, चली घर पराये, तुम्हारी लाड़ली
कैसे भूल पाऊँगी मैं बाबा, सुनी जो तुमसे कहानियाँ
छोड़ चली आँगन में मइया, बचपन की निशानियाँ
सुन मेरी प्यारी बहना, सजाये रहना, ये बाबुल की गली
सजन घर मैं चली ...

बन गया परदेस घर जन्म का, मिली है दुनिया मुझे नयी
नाम जो पिया से मैं ने जोड़ा, नये रिश्तों से बँध गयी
मेरे ससुर जी पिता हैं, पति देवता हैं, देवर छवि कृष्ण की
सजन घर मैं चली ...
***
छोटे छोटे भाइयों के बड़े भैया, आज बनेंगे किसी के सैंया
ढोल नगाड़े बजे शहनाइयां, झूम के आईं मंगल घड़ियां
छोटे छोटे भाइयों ...

भाभी के संग होली में, रंग गुलाल उड़ाएंगे
आएगी जब जब दीवाली, मिलकर दीप जलाएंगे
चुनरी की कर देगी छैया, आएगी बन के पुरवइया
छोटे छोटे भाइयों ...

झिलमिल हो गई हैं अखियाँ, याद आईं बचपन की घड़ियां
नए सफ़र में लग जाएंगी, प्यार की इनको हथकड़ियां
जचते हैं देखो कैसे बड़े भैया, राम जी ब्याहने चले सीता मैया
छोटे छोटे भाइयों ...
***
चलें हैं बाराती बन ठन के
खुशियों से घुंघरू भी खनके
लेके जायेंगे दुल्हन, पूरा करेंगे वचन
डर डर के नहीं रे, तन तन के

अरे देखो देखो यार मेरा दूल्हा बना है
सर पे उमंगों का सेहरा बंधा है
मस्तियों का जाने कैसा जादू चला है
बिन पिए देखो नशा चढ़ने लगा है
होके घोड़ी पे सवार, बड़ा जचता है यार
सब नाचते हैं यार, बचपन के
चलें हैं बाराती बन ठन के...
***
घोड़ी पे हो के सवार चला है दूल्हा यार
कमरिया में बाँधे तलवार
अकड़ता है छैला मिली है ऐसी लैला
कि जोड़ी है नहले पे दहला
घोड़ी पे हो के ...

कल तक बेचारा हम सा कँवारा
फिरता था गली-गली मारा-मारा
देखी एक छोकरी फूलों की टोकरी
बोला दिल थाम के मैं हारा-हारा
यार को मुबारक हो मुहब्बत की बाज़ी
मियाँ बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी
सदा फूले-फले दोनों का प्यार
घोड़ी पे हो के ...

दुल्हन की धुन है कैसा मगन है
होगा मिलन देखो अभी-अभी
शादी की मस्ती लगती है सस्ती
पड़ती है महँगी भी कभी-कभी
ये बात मत भूलना प्यार की बहारें
नन्हें-मुन्नों की लगा देंगी क़तारें
तब उतरेगा जा के ख़ुमार
घोड़ी पे हो के ...
***
 ढोलक में ताल है, पायल में छन छन
घूंघट में गोरी है, सेहरे में साजन
जहाँ भी ये जाएँ, बहारें ही छाएँ
ये खुशियाँ ही पाएँ, मेरे दिल ने दुआ दी है
मेरे यार की शादी है...

प्यार मिला प्रीत मिली, मेरे यार को
बड़ी प्यारी जीत मिली, मेरे यार को
खुश है जो दिल, मैंने महफ़िल, गीतों से सजा दी है
मेरे यार की शादी ...

हार नहीं जीत नहीं जहाँ प्यार है
जिसमें हार जीत हो वो कहाँ प्यार है
लग जा गले, यार मेरे, मैंने दिल से सदा दी है
मेरे यार की शादी ...

साथी, सखियां, बचपन का ये अंगना
गुड़िया, झूले, कोई भी तो होगा संग ना
छुपाऊँगी आँसू कैसे, भीगेंगे कंगना

साथी सुन ले, बोले जो ये अंगना
ये मन, जीवन, प्यार के ही, रंग में रंगना
हँस देगी तेरी चूड़ी, खनकेंगे कंगना
साथी सुन ले रे
मेरे यार की शादी ...
***
 बाबुल की दुआएं लेती जा
जा तुझको सुखी संसार मिले
मैके की कभी ना याद आए
ससुराल में इतना प्यार मिले
बाबुल की दुआएं ...

नाज़ों से तुझे पाला मैंने
कलियों की तरह फूलों की तरह
बचपन में झुलाया है तुझको
बाँहों ने मेरी झूलों की तरह
मेरे बाग़ की ऐ नाज़ुक डाली
तुझे हर पल नई बहार मिले
बाबुल की दुआएं ...

जिस घर से बँधे हैं भाग तेरे
उस घर में सदा तेरा राज रहे
होंठों पे हँसी की धूप खिले
माथे पे ख़ुशी का ताज रहे
कभी जिसकी जोत न हो फीकी
तुझे ऐसा रूप-सिंगार मिले
बाबुल की दुआएं ...

बीतें तेरे जीवन की घड़ियाँ
आराम की ठंडी छाँवों में
काँटा भी न चुभने पाए कभी
मेरी लाड़ली तेरे पाँवों में
उस द्वार से भी दुख दूर रहें
जिस द्वार से तेरा द्वार मिले
बाबुल की दुआएं ...
***
मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया
सजके आएँगे दूल्हे राजा
भैया राजा बजाएगा बाजा

अपने पसीने को मोती कर दूँगा
मोतियों से बहना की माँग भर दूँगा
आएगी बारात देखेगी सारी दुनिया
होंगे लाखों में एक दूल्हे राजा
भैया राजा ...

सोलह सिंगार मेरी बहिना करेगी
टीका चढ़ेगा और हलदी लगेगी
बहना के होंठों पे झूलेगी नथनिया
और झूमेंगे दूल्हे राजा
भैया राजा ...

सेज पे बैठेगी वो डोली पे चढ़ेगी
धरती पे बहना रानी पाँव न धरेगी
पलकों की पालकी में बहना को बिठा के
ले जाएँगे दूल्हे राजा
भैया राजा ...

सजना के घर चली जाएगी जो बहना
होंठ हँसेंगे मेरे रोएँगे ये नैना
रखिया के रोज़ रानी बहना को बुलाऊँगा
ले के आएँगे दूल्हे राजा
भैया राजा ...
***
कब से आए हैं तेरे दूल्हे राजा
अब देर न कर जल्दी आजा

तेरे घर आया मैं आया तुझको लेने
दिल के बदले में दिल का नज़राना देने
मेरी हर धड़कन क्या बोले है सुन सुन सुन
साजन जी घर आए साजन जी घर आए
दुल्हन क्यूं शरमाए साजन जी घर आए

ऐ दिल चलेगा अब ना कोई बहाना
गोरी को होगा अब साजन के घर जाना
माथे की बिंदिया क्या बोले है सुन सुन सुन
साजन जी घर आए ...

दीवाने की चाल में फंस गई मैं इस जाल में
ऐ सखियों कैसे बोलो बोलो
मुझपे तो ऐ दिलरुबा तेरी सखियां भी फ़िदा
ये बोलेंगी क्या पूछो पूछो
जा रे जा झूठे तारीफ़ें क्यूं लूटे
तेरा मस्ताना क्या बोले है सुन सुन सुन
साजन जी घर आए ...

ना समझे नादान है ये मेरा एहसान है
चाहा जो इसको कह दो कह दो
छेड़ो मुझको जान के बदले में एहसान के
दे दिया दिल इसको कह दो कह दो
तू ये ना जाने दिल टूटे भी दीवाने
तेरा दीवाना क्या बोले है सुन सुन सुन
साजन जी घर …
***
दूल्हे की सालियों ओ हरे दुपट्टे वालियों \- २
जूते दे दो पैसे लेलो
को: जूते दे दो पैसे ले लो

दुल्हन के देवर तुम दिखलाओ ना ये तेवर \- २
पैसे देदो जूते लेलो
को: पैसे दे दो जूते ले लो

हे हे हे हे

अजी नोट गिनो जी, जूते लाओ
जिद छोड़ो जी, जूते लाओ
फ्रॉड हैं क्या हम, तुम ही जानो
अकड़ू हो तुम, जो भी मानो
को: जो भी मानो, जो भी मानो
अजी बात बढ़ेगी, बढ़ जाने दो
माँग चढ़ेगी, चढ़ जाने दो
पड़ो ना ऐसे, पहले जूते
को: पहले जूते पहले जूते
जूते लिये हैं नहीं चुराया कोई जेवर
दुल्हन के देवर तुम दिखलाओ ना ये तेवर
पैसे दे दो जूते ले लो
जूते दे दो पैसे ले लो \- २

कुछ ठँडा पी लो, मूड नहीं है
दही बड़े लो, मूड नहीं है
कुल्फ़ी खा लो, बहुत खा चुके
पान खा लो, बहुत खा चुके
को: बहुत खा चुके बहुत खा चुके
अजी रसमलाई, आपके लिये
इतनी मिठाई, आपके लिये
पहले जूते, खाएँगे क्या
आपकी मर्जी, नाजी …
***
ला ला ...
दीदी तेरा देवर दिवाना
दीदी तेरा देवर दिवाना
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना

(धंधा है ये उसका पुराना)\- २
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना

ल ल्ला ...

मैं बोली के लाना यू इमली का दाना
मगर वो छुहारे ले आया दिवाना
मैं बोली मचले है दिल मेरा हाय
वो खरबुजा लाया जो नीम्बू मँगाये
(पगला है कोई उसको बताना) \- २
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना

हाय राम कुड़ियों को डाले दाना

ओय होए होए
दीदी तेरा देवर दिवाना
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना

मैं बोली कि लाना तू मिट्टी का हाँड़ी
मगर वो बताशे ले आया अनाड़ी
मैं बोली के लादे मुझे तू खटाई
वो बाज़ार से लेके आया मिठाई
हूँ मुश्किल है यूं मुझको फँसाना \- २
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना
हाय राम कुड़ियों को डाले दाना

उई माँ
दीदी तेरा देवर दिवाना
हाय राम कुड़ियों को डाल…
***
वाह वाह राम जी, जोड़ी क्या बनाई
भैय्या और भाभी को, बधाई हो बधाई
सब रसमों से बड़ी है जग में
दिल से दिल की सगाई

आपकी कृपा से ये, शुभ घड़ी आई
जीजी और जीजा को, बधाई हो बधाई
सब रसमों से बड़ी है जग में
दिल से दिल की सगाई

वाह वाह राम जी

मेरे भैय्या जो, चुप बैठे हैं
देखो भाभी ये, कैसे ऐंठे हैं
ऐसे बड़े ही भले हैं
माना थोड़े मन्चले हैं
पार आप के सिवा कहीं भी न फिसले हैं

देखो देखो ख़ुद पे, जीजी इतराई
भैय्या और भाभी को, बधाई हो बधाई
सब रसमों से बड़ी है

वाह वाह राम जी

सुनो जीजाजी, अजी आप के लिये
मेरी जीजी ने, बड़े तप हैं किये
मन्दिरों में किये फेरे
पूजा साँझ सवेरे
तीन लोक तैंतीस देवों के ये रही घेरे

जैसे मैं ने माँगी थी, वैसी भाभी पाई
जीजी और जीजा को, बधाई हो बधाई
सब रसमों से बड़ी है

वाह वाह राम जी
***
आज हमारे दिल में अजब ये उलझन है
गाने बैठे गाना, सामने समधन है
हम कुछ आज सुनायें, ये उनका भी मन है
गाने बैठे गाना, सामने समधन है

कानो की बालियाँ, चाँद सूरज लगे
ये बनारस की साड़ी खूब सजे
राज़ की बात बतायें, समधीजी घायल हैं
आज भी जब समधन की, खनकती पायल है

होंठों की ये हँसी, आँखों की ये हया
इतनी मासूम तो, होती है बस दुआ
राज़ की बात बतायें समधी खुश क़िसमत है.ब
लक्ष्मी है समधन जी, जिनसे घर जन्नत है

आज हमारे दिल में अजब ये उलझन है
सामने समधीजी, गा रही समधन है
हमको जो है निभाना, वो नाज़ुक बन्धन है
सामने समधीजी, गा रही समधन है

मेरी छाया है जो, आपके घर चली
सपना बन के मेरी, पलकों में है पली
राज़ की बात बतायें, ये पूँजी जीवन की
शोभा आज से है ये, आपके आँगन की
***
लो चली मैं अपनी देवर की बारात ले के लो चली मैं
न बैण्ड बजा, न ही बाराती, खुशियों की सौगात ले के
लो चली मैं

देवर दुल्हा बना, सर पे सेहरा सजा
भाभी बढ़कर आज बलाइयाँ लेती है
प्रेम की कलियाँ खिले, पल पल खुशियाँ मिले
सच्चे मन से आज दुआएँ देती है
घोड़े पे चढ़ के, चला है बाँका, अपनी दुल्हन से मिलने
लो चली मैं

वाह! वाह! राम जी, जोड़ी क्या बनाई
देवर देवरानीजी, बधाई हो बधाई
सब रसमों से बड़ी है जग में दिल से दिल की सगाई

आज है शुभ घड़ी, आज बनी मैं बड़ी
कल तक घर की बहु थी, अब हूँ जेठानी
हुक़ुम चलाऊँगी मैं, आँख दिखाऊँगी मैं
सहमी खड़ी रहेगी मेरी देवरानी
हज़ार सपने, पलकों में अपने दीवानी मैं साथ ले के
लो चली मैं .
***
कहे तोसे सजना,ये तोहरी सजनिया
पग पग लिए जाऊं, तोहरी बलैयां मैं
पग पग लिए जाऊं, तोहरी बलैयां

मगन अपनी धुन में रहे मोरा सैयां
पग पग लिए जाऊं,तोहरी बलैयां
पग पग लिए जाऊं,तोहरी बलैयां

बदरिया सी बरसूँ, घटा बन के छाऊँ
बदरिया सी बरसूँ
हो, बदरिया सी बरसूँ, घटा बन के छाऊँ
जिया तो ये चाहे, तोहे अंग लगाऊं

लाज निगोड़ी मोरी , रोके है पैयां
पग पग लिए जाऊं,तोहरी बलैयां, मैं
पग पग लिए जाऊं,तोहरी बलैयां
मैं जग की कोई रीत ना जानूं,
मैं जग की कोई
हो, मैं जग की कोई रीत ना जानूं
मांग का तोहे सिन्दूर मानूं
तू ही चूडियाँ मोरी, तू ही कलियाँ
पग पग लिए जाऊं,तोहरी बलैयां, मैं
पग पग लिए जाऊं,तोहरी बलैयां

मोहे लागे प्यारे, सभी रंग तिहारे
मोहे लागे प्यारे
हो, मोहे लागे प्यारे, सभी रंग तिहारे
दुःख सुख में हर पल, रहूँ संग पिया रे
दरदवा को बांटे, उमर लरकैयां
हो हो, पग पग लिए जाऊँ, तोहरी बलैयां
कहे तोहसे सजना, यह तोहरी सजनिया
पग पग लिए जाऊँ, तोहरी बलैयां
***

सगाई और संगीत के गीत –  

आज है सगाई सुन लड़की के भाई
कहती है मंगनी की अंगूठी प्रीत निभाना राजा जी
मेरी बन्नो की आएगी बारात
छलका छलका रे कलसी का पानी
बन्नो तेरी अखियां सुरमेदानी
बन्नो की सहेली रेशम की डोरी
दूल्हे का सालियों ओ हरे दुपट्टे वालियों
वाह वाह राम जी जोड़ी क्या बनाई
तुझको बना कर के ले जायेंगे बद्री की दुल्हनिया
छोटे छोटे भाइयों के बड़े भैया
मेहंदी और हल्दी के गीत –  
मेहंदी लगा के रखना डोली सजा के रखना
मेहंदी है रचने वाली
मेहंदी तो मेंहदी है रंग लाएगी
मेहंदी लगा के आई बिंदिया सजा के आई
मेहंदी लगाउंगी में सजना के नाम की
मेहंदी लगाऊं किसके नाम की
दीदी तेरा देवर दीवाना
लिख के मेहंदी से सजना का नाम
सच कहते हैं हम कसम से
बोले चूड़ियां बोले कंगना, हाय मैं हो गया तेरा साजना
बारात और शादी के गीत हिंदी में –  
लन्दन ठुमकड़ा
मैं तो ऐंवई ऐंवई लुट गया
कजरारे- कजरारे तेरे कारे कारे नैना
ढोली तारो ढोल बाजे ढोल बाजे
तेरे माथे झूमर चमके रे, माही वे
लेट्स डू द ठुमका ऑन द शादी वाली नाईट
दम दम दम मस्त है
तेनू घोड़ी किन्‍नै चढ़ाया भूतनी के
साजन जी घर आये
मौजा ही मौजा
फेरों तथा विदाई गीत –  
तारे हैं बाराती चांदनी है ये बारात
बन्नो रे बन्नो मेरी चली ससुराल को
कहता है बाबुल ओ मेरी बिटिया
जब तक पूरे ना हो फेरे साथ
बाबुल का ये घर बहना
बाबुल की दुआएं लेती जा
मैं ससुराल नहीं जाऊंगी
बाबुल जो तुमने सिखाया
काहे को ब्याही बिदेस
रानी बेटी राज करेगी

फैमिली परफॉर्मेंस के लिए गाने –  

1. लंदन ठुमकदा (फिल्म- क्वीन)
2. कर गई चुल (फिल्म- कपूर एंड संस)
3. बन्नो (फिल्म- तनु वेड्स मनु रिटर्न्स)
4. टुकुर टुकुर (फिल्म- दिलवाले)
5. लेट्स नाचो (फिल्म – कपूर एंड संस)
6. अभी तो पार्टी शुरू हुई है (फिल्म – खूबसूरत)
7. राधा तेरी चुनरी (फिल्म- स्टूडेंट ऑफ द ईयर)
8. गुलाबो, जरा गंध फैला दो (फिल्म- शानदार)
9. दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड (फिल्म- ये जवानी है दीवानी)
10. चिट्टियां कलाइयां (फिल्म रॉय)
11. गल मिट्ठी मिट्ठी बोल, फिल्म – आयशा
12. सूरज डूबा है, फिल्म – रॉय
13. बेबी डॉल, फिल्म – रागिनी एमएमएस-2
14. नचदे ने सारे, फिल्म – बार बार देखो
15. गल्लां गूड़ियां, फिल्म – दिल धड़कने दो
16. नवराई मांझी, फिल्म – इंगलिश विंगलिश
17. लौंग दा लश्कारा, फिल्म – पटियाला हाउस
18. काला चश्मा, फिल्म – बार बार देखो
19. देंगड़ देंगड़ , फिल्म – हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया
20. ढोल यारा ढोल, फिल्म – देव डी
21. स्वैग से करेंगे सबका स्वागत, फिल्म – टाइगर जिंदा है
22. साड्डी गली, फिल्म – तनु वेड्स मुन
23. गॉगल सॉन्ग, फिल्म – मुबारकां
24. तू…तू मेरी, फिल्म – बैंग बैंग
25. छलका छलका रे…, फिल्म – साथिया
26. इसकी उसकी, फिल्म – 2 स्टेट्स
27. ससुराल गेंदा फूल (फिल्म- दिल्ली -6)
28. मेहंदी है रचनेवाली (फिल्म- ज़ुबैदा)
29. मौजा ही मौजा, फिल्म – जब वी मेट

दुल्हन और उसकी सहेलियों के लिए शादी के फिल्मी गीत  

1. क्यूटीपाई, फिल्म- ए दिल है मुश्किल
2. झाला वाला, फिल्म – इशकज़ादे
3. गर्ल्स लाइक टू स्विंग, फिल्म – दिल धड़कने दो
4. ड्रामा क्वीन, फिल्म – हंसी तो फंसी
5. घनी बावरी, फिल्म – तनु वेड्स मनु रिटर्न्स
6. गुलाबो, फिल्म – शानदार
7. व्हाट्स अप, फिल्म – फिल्लौरी
8. मूव योर लक, फिल्म – नूर
9. तुम्ही हो बंधु, फिल्म – कॉकटेल
10. चार बज गए हैं, फिल्म – फालतू
11. मेरे ख्वाबों में जो आए, फिल्म – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
12. हवा हवाई, फिल्म – तुम्हारी सुलु
13. लैला मैंं लैला, फिल्म – रईस
14. एक दो तीन, फिल्म – बागी- 2
15. बॉम दिग्गी दिग्गी , फिल्म – सोनू के टीटू की स्वीटी
16. ब्रेकअप सॉन्ग, फिल्म – ऐ दिल है मुश्किल
17. हसीनों को दीवाना (रिमिक्स), फिल्म – काबिल
18. स्वीटी तेरा ड्रामा, फिल्म – बरेली की बरफी
19. दिल चोरी, फिल्म – सोनू के टीटू की स्वीटी

शादी का संगीत के लिए 90 के दशक के विवाह के गीत –   

1. हुस्न है सुहाना, फिल्म कुली नम्बर 1
2. टन टना टन…, जुड़वां
3. ओ ओ जाने जाना, फिल्म – प्यार किया तो डरना क्या
4. चुनरी चुनरी, फिल्म – बीवी नम्बर 1
5. सात समंदर पार से, फिल्म – विश्वात्मा
6. ओले ओले, फिल्म – दिल्लगी
7. तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त, फिल्म – मोहरा
8. ढोली तारो, फिल्म – हम दिल दे चुके सनम
9. छैंया छैंया, फिल्म – दिल से
11. चोली के पीछे क्या है, फिल्म – खलनायक
12. दीदी तेरा देवर दीवाना, फिल्म – हम आपके हैं कौन
13. किस डिस्को में जाएं, फिल्म – बड़े मियां छोटे मियां
14. अंखियों से गोली मारे, फिल्म – दूल्हे राजा
15. केम छे, फिल्म – जिस देश में गंगा रहती है
16. आंख मारे, फिल्म – तेरे मेरे सपने
17. चुरा के दिल मेरा, फिल्म – मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी
18. ये काली काली आंखें, फिल्म – बाजीगर

संगीत नाइट पर ब्राइड की सोलो परफॉर्मेंस के लिए टॉप गाने –  

1. इश्क सूफियाना, फिल्म – द डर्टी पिक्चर
2. दीवानी मस्तानी, फिल्म – बाजीराव मस्तानी
3. अम्बरसरिया, फिल्म – फुकरे
4. राधा, फिल्म – जब हैरी मेट सेजल
5. पल्लो लटके, फिल्म – शादी में जरूर आना
6. घूमर, फिल्म – पदमावत
7. बेबी को बेस पसंद है, फिल्म – सुल्तान
8. स्वीटी तेरा ड्रामा, फिल्म – बरेली की बरफी
9. मोह मोह के धागे, फिल्म दम लगा के हईशा
10. नैनों वाले ने…, फिल्म – पदमावत
11. बहारा, फिल्म – आई हेट लव स्टोरीज़
12. मै नचदी फिरां, फिल्म – सीक्रेट सुपरस्टार
13. ले डूबा.., फिल्म – अय्यारी
14. दिलबरो, फिल्म – राज़ी
15. राब्ता टाइटल ट्रैक, फिल्म – राब्ता
16. नज्म नज्म, फिल्म – बरेली की बरफी
17. इक वारी आ…, फिल्म राब्ता
18. लागी ना छूटे, फिल्म – ए जेंटलमेन
19. सोच ना सके, फिल्म – एयरलिफ्ट
20. पिया ओ रे पिया, फिल्म – तेरे नाल लव हो गया
21. हमसफर, फिल्म – बद्रीनाथ की दुल्हनिया
22. इन्ना सोणा, फिल्म – ओके जानू
23. हम्मा हम्मा, फिल्म – ओके जानू
24. अगर तुम साथ हो, फिल्म – तमाशा
25. नज़दीकियां, फिल्म – शानदार
26. पहली बार, फिल्म – दिल धड़कने दो
27. फट्टे तक नाचना, फिल्म – डॉली की डोली
28. जग घूमिया थारे जैसा, (फीमेल वर्जन) फिल्म – सुल्तान

अरे, अब तो अपनी संगीत नाइट में खूब जमकर डांस और मस्ती कीजिये !

इन्हें भी देखें –
1. सोनम की विदाई के लिए टॉप 8 बॉलीवुड गीत, जो हर दुल्हन को देखने चाहिए
2. सोनम के टॉप 15 रोमांटिक बॉलीवुड गाने, जो उनकी शादी के संगीत के लिए रहेंगे हिट
3. आखिर कौन हैं बॉलीवुड की मेहंदी क्वीन, जिन्होंने सोनम के हाथों पर रचाई इतनी खूबसूरत मेहंदी
4. प्यार की धुन : कपल डांस के लिए 10 नये रोमांटिक बॉलीवुड गीत
5. हल्दी सेरेमनी में चार-चांद लगा देंगे ये हल्दी सॉन्ग

फ़िल्मी विवाह गीत

सगाई और संगीत के गीत –  
आज है सगाई सुन लड़की के भाई
कहती है मंगनी की अंगूठी प्रीत निभाना राजा जी
मेरी बन्नो की आएगी बारात
छलका छलका रे कलसी का पानी
बन्नो तेरी अखियां सुरमेदानी
बन्नो की सहेली रेशम की डोरी
दूल्हे का सालियों ओ हरे दुपट्टे वालियों
वाह वाह राम जी जोड़ी क्या बनाई
तुझको बना कर के ले जायेंगे बद्री की दुल्हनिया
छोटे छोटे भाइयों के बड़े भैया
मेहंदी और हल्दी के गीत –  
मेहंदी लगा के रखना डोली सजा के रखना
मेहंदी है रचने वाली
मेहंदी तो मेंहदी है रंग लाएगी
मेहंदी लगा के आई बिंदिया सजा के आई
मेहंदी लगाउंगी में सजना के नाम की
मेहंदी लगाऊं किसके नाम की
दीदी तेरा देवर दीवाना
लिख के मेहंदी से सजना का नाम
सच कहते हैं हम कसम से
बोले चूड़ियां बोले कंगना, हाय मैं हो गया तेरा साजना

बारात और शादी के गीत हिंदी में –  

लन्दन ठुमकड़ा
मैं तो ऐंवई ऐंवई लुट गया
कजरारे- कजरारे तेरे कारे कारे नैना
ढोली तारो ढोल बाजे ढोल बाजे
तेरे माथे झूमर चमके रे, माही वे
लेट्स डू द ठुमका ऑन द शादी वाली नाईट
दम दम दम मस्त है
तेनू घोड़ी किन्‍नै चढ़ाया भूतनी के
साजन जी घर आये
मौजा ही मौजा
फेरों तथा विदाई गीत –  
तारे हैं बाराती चांदनी है ये बारात
बन्नो रे बन्नो मेरी चली ससुराल को
कहता है बाबुल ओ मेरी बिटिया
जब तक पूरे ना हो फेरे साथ
बाबुल का ये घर बहना
बाबुल की दुआएं लेती जा
मैं ससुराल नहीं जाऊंगी
बाबुल जो तुमने सिखाया
काहे को ब्याही बिदेस
रानी बेटी राज करेगी

संगीत सेरेमनी में फैमिली परफॉर्मेंस के लिए गाने –  

1. लंदन ठुमकदा (फिल्म- क्वीन)
2. कर गई चुल (फिल्म- कपूर एंड संस)
3. बन्नो (फिल्म- तनु वेड्स मनु रिटर्न्स)
4. टुकुर टुकुर (फिल्म- दिलवाले)
5. लेट्स नाचो (फिल्म – कपूर एंड संस)
6. अभी तो पार्टी शुरू हुई है (फिल्म – खूबसूरत)
7. राधा तेरी चुनरी (फिल्म- स्टूडेंट ऑफ द ईयर)
8. गुलाबो, जरा गंध फैला दो (फिल्म- शानदार)
9. दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड (फिल्म- ये जवानी है दीवानी)
10. चिट्टियां कलाइयां (फिल्म रॉय)
11. गल मिट्ठी मिट्ठी बोल, फिल्म – आयशा
12. सूरज डूबा है, फिल्म – रॉय
13. बेबी डॉल, फिल्म – रागिनी एमएमएस-2
14. नचदे ने सारे, फिल्म – बार बार देखो
15. गल्लां गूड़ियां, फिल्म – दिल धड़कने दो
16. नवराई मांझी, फिल्म – इंगलिश विंगलिश
17. लौंग दा लश्कारा, फिल्म – पटियाला हाउस
18. काला चश्मा, फिल्म – बार बार देखो
19. देंगड़ देंगड़ , फिल्म – हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया
20. ढोल यारा ढोल, फिल्म – देव डी
21. स्वैग से करेंगे सबका स्वागत, फिल्म – टाइगर जिंदा है
22. साड्डी गली, फिल्म – तनु वेड्स मुन
23. गॉगल सॉन्ग, फिल्म – मुबारकां
24. तू…तू मेरी, फिल्म – बैंग बैंग
25. छलका छलका रे…, फिल्म – साथिया
26. इसकी उसकी, फिल्म – 2 स्टेट्स
27. ससुराल गेंदा फूल (फिल्म- दिल्ली -6)
28. मेहंदी है रचनेवाली (फिल्म- ज़ुबैदा)
29. मौजा ही मौजा, फिल्म – जब वी मेट

दुल्हन और उसकी सहेलियों के लिए शादी के फिल्मी गीत – Shaadi ke Gaane
1. क्यूटीपाई, फिल्म- ए दिल है मुश्किल
2. झाला वाला, फिल्म – इशकज़ादे
3. गर्ल्स लाइक टू स्विंग, फिल्म – दिल धड़कने दो
4. ड्रामा क्वीन, फिल्म – हंसी तो फंसी
5. घनी बावरी, फिल्म – तनु वेड्स मनु रिटर्न्स
6. गुलाबो, फिल्म – शानदार
7. व्हाट्स अप, फिल्म – फिल्लौरी
8. मूव योर लक, फिल्म – नूर
9. तुम्ही हो बंधु, फिल्म – कॉकटेल
10. चार बज गए हैं, फिल्म – फालतू
11. मेरे ख्वाबों में जो आए, फिल्म – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
12. हवा हवाई, फिल्म – तुम्हारी सुलु
13. लैला मैंं लैला, फिल्म – रईस
14. एक दो तीन, फिल्म – बागी- 2
15. बॉम दिग्गी दिग्गी , फिल्म – सोनू के टीटू की स्वीटी
16. ब्रेकअप सॉन्ग, फिल्म – ऐ दिल है मुश्किल
17. हसीनों को दीवाना (रिमिक्स), फिल्म – काबिल
18. स्वीटी तेरा ड्रामा, फिल्म – बरेली की बरफी
19. दिल चोरी, फिल्म – सोनू के टीटू की स्वीटी

शादी का संगीत के लिए 90 के दशक के विवाह के गीत – 90s Hindi Songs

1. हुस्न है सुहाना, फिल्म कुली नम्बर 1
2. टन टना टन…, जुड़वां
3. ओ ओ जाने जाना, फिल्म – प्यार किया तो डरना क्या
4. चुनरी चुनरी, फिल्म – बीवी नम्बर 1
5. सात समंदर पार से, फिल्म – विश्वात्मा
6. ओले ओले, फिल्म – दिल्लगी
7. तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त, फिल्म – मोहरा
8. ढोली तारो, फिल्म – हम दिल दे चुके सनम
9. छैंया छैंया, फिल्म – दिल से
11. चोली के पीछे क्या है, फिल्म – खलनायक
12. दीदी तेरा देवर दीवाना, फिल्म – हम आपके हैं कौन
13. किस डिस्को में जाएं, फिल्म – बड़े मियां छोटे मियां
14. अंखियों से गोली मारे, फिल्म – दूल्हे राजा
15. केम छे, फिल्म – जिस देश में गंगा रहती है
16. आंख मारे, फिल्म – तेरे मेरे सपने
17. चुरा के दिल मेरा, फिल्म – मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी
18. ये काली काली आंखें, फिल्म – बाजीगर

संगीत नाइट पर ब्राइड की सोलो परफॉर्मेंस के लिए टॉप गाने –  

1. इश्क सूफियाना, फिल्म – द डर्टी पिक्चर
2. दीवानी मस्तानी, फिल्म – बाजीराव मस्तानी
3. अम्बरसरिया, फिल्म – फुकरे
4. राधा, फिल्म – जब हैरी मेट सेजल
5. पल्लो लटके, फिल्म – शादी में जरूर आना
6. घूमर, फिल्म – पदमावत
7. बेबी को बेस पसंद है, फिल्म – सुल्तान
8. स्वीटी तेरा ड्रामा, फिल्म – बरेली की बरफी
9. मोह मोह के धागे, फिल्म दम लगा के हईशा
10. नैनों वाले ने…, फिल्म – पदमावत
11. बहारा, फिल्म – आई हेट लव स्टोरीज़
12. मै नचदी फिरां, फिल्म – सीक्रेट सुपरस्टार
13. ले डूबा.., फिल्म – अय्यारी
14. दिलबरो, फिल्म – राज़ी
15. राब्ता टाइटल ट्रैक, फिल्म – राब्ता
16. नज्म नज्म, फिल्म – बरेली की बरफी
17. इक वारी आ…, फिल्म राब्ता
18. लागी ना छूटे, फिल्म – ए जेंटलमेन
19. सोच ना सके, फिल्म – एयरलिफ्ट
20. पिया ओ रे पिया, फिल्म – तेरे नाल लव हो गया
21. हमसफर, फिल्म – बद्रीनाथ की दुल्हनिया
22. इन्ना सोणा, फिल्म – ओके जानू
23. हम्मा हम्मा, फिल्म – ओके जानू
24. अगर तुम साथ हो, फिल्म – तमाशा
25. नज़दीकियां, फिल्म – शानदार
26. पहली बार, फिल्म – दिल धड़कने दो
27. फट्टे तक नाचना, फिल्म – डॉली की डोली
28. जग घूमिया थारे जैसा, (फीमेल वर्जन) फिल्म – सुल्तान

अरे, अब तो अपनी संगीत नाइट में खूब जमकर डांस और मस्ती कीजिये !

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1. सोनम की विदाई के लिए टॉप 8 बॉलीवुड गीत, जो हर दुल्हन को देखने चाहिए
2. सोनम के टॉप 15 रोमांटिक बॉलीवुड गाने, जो उनकी शादी के संगीत के लिए रहेंगे हिट
3. आखिर कौन हैं बॉलीवुड की मेहंदी क्वीन, जिन्होंने सोनम के हाथों पर रचाई इतनी खूबसूरत मेहंदी
4. प्यार की धुन : कपल डांस के लिए 10 नये रोमांटिक बॉलीवुड गीत
5. हल्दी सेरेमनी में चार-चांद लगा देंगे ये हल्दी सॉन्ग
*

पुरोवाक, अग्निभ मुखर्जी

पुरोवाक
''कागज़ के अरमान'' - जमीन पर पैर जमकर आसमान में उड़ान
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
मानव सभ्यता और कविता का साथ चोली-दामन का सा है। चेतना के विकास के साथ मनुष्य ने अन्य जीवों की तुलना में प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण-पर्यवेक्षण कर, देखे हुए को स्मृति में संचित कर, एक-दूसरे को अवगत कराने और समान परिस्थितियों में उपयुक्त कदम उठाने में सजगता, तत्परता और एकजुटता का बेहतर प्रदर्शन किया। फलत:, उसका न केवल अनुभव संचित ज्ञान भंडार बढ़ता गया, वह परिस्थितियों से तालमेल बैठने, उन्हें जीतने और अपने से अधिक शक्तिशाली पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं पर भी विजय पाने और अपने लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में सफल हो सका। उसने प्रकृति की शक्तियों को उपास्य देव मानकर उनकी कृपा से प्रकृति के उपादानों का प्रयोग किया। प्रकृति में व्याप्त विविध ध्वनियों से उसने परिस्थितियों का अनुमान करना सीखा। वायु प्रवाह की सनसन, जल प्रवाह की कलकल, पंछियों का कलरव, मेघों का गर्जन, विद्युतपात की तड़ितध्वनि आदि से उसे सिहरन, आनंद, प्रसन्नता, आशंका, भय आदि की प्रतीति हुई। इसी तरन सिंह-गर्जन सुनकर पेड़ पर चढ़ना, सर्प की फुंफकार सुनकर दूर भागना, खाद्य योग्य पशुओं को पकड़ना-मारना आदि क्रियाएँ करते हुए उसे अन्य मानव समूहों के अवगत करने के लिए इन ध्वनियों को उच्चरित करने, अंकित करने की आवश्यकता अनुभव हुई। इस तरह भाषा और लिपि का जन्म हुआ।
कोयल की कूक और कौए की काँव-काँव का अंतर समझकर मनुष्य ने ध्वनि के आरोह-अवरोह, ध्वनि खण्डों के दुहराव और मिश्रण से नयी ध्वनियाँ बनाकर-लिखकर वर्णमाला का विकास किया, कागज़, स्याही और कलम का प्रयोगकर लिखना आरंभ किया। इनमें से हर चरण के विकास में सदियाँ लगीं। भाषा और लिपि के विकास में नारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। प्रकृति प्रदत्त प्रजनन शक्ति और संतान को जन्मते ही शांत करने के लिए नारी ने गुनगुनाना आरम्भ कर प्रणयनुभूतियों और लाड़ की अभिव्यक्ति के लिए रूप में प्रथम कविता को जन्म दिया। आदि मानव ने ध्वनि का मूल नारी को मानकर नाद, संगीत, कला और शिल्प की अधिष्ठात्री आदि शक्ति पुरुष नहीं नारी को मान जिसे कालान्तर में 'सरस्वती (थाइलैण्ड में सुरसवदी बर्मा में सूरस्सती, थुरथदी व तिपिटक मेदा, जापान में बेंज़ाइतेन, चीन में बियानचाइत्यान, ग्रीक सभ्यता में मिनर्वा, रोमन सभ्यता में एथेना) कहा गया। बोलने, लिखने, पढ़ने और समझने ने मनुष्य को सृष्टि का स्वामी बन दिया। अनुभव करना और अभिव्यक्त करना इन दो क्रियाओं में निपुणता ने मनुष्य को अद्वितीय बना दिया।
भाषा मनुष्य की अनुभूति को अभिव्यक्त करने के साथ मनन, चिंतन और अभिकल्पन का माध्यम भी बनी। गद्य चिंतन और तर्क तथा पद्य मनन और भावना के सहारे उन्नत हुए। हर देश, काल, परिस्थिति में कविता मानव-मन की अभिव्यक्ति का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम रही। इस पृष्ठभूमि में डॉ. अग्निभ मुखर्जी 'नीरव' की कविताओं को पढ़ना एक आनंददायी अनुभव है। सनातन सामाजिक मूल्यों को जीवनाधार मानते हुए सनातन सलिला नर्मदा के तट पर भारत के मध्यम श्रेणी के संस्कारधानी विशेषण से अलंकृत शहर जबलपुर में संस्कारशील बंगाली परिवार में जन्म व शालेय शिक्षाके पश्चात साम्यवाद के ग्रह, विश्व की महाशक्ति रूस में उच्च अध्ययन और अब जर्मनी में प्रवास ने अग्निभ को विविध मानव सभ्यताओं, जीवन शैलियों और अनुभवों की वह पूंजी दी, जो सामान्य रचनाकर्मी को नहीं मिलती है। इन अनुभवों ने नीरव को समय से पूर्व परिपक्व बनाकर कविताओं में विचार तत्व को प्रमुखता दी है तो दूसरी और शिल्प और संवेदना के निकष पर सामान्य से हटकर अपनी राह आप बनाने की चुनौती भी प्रस्तुत की है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि अग्निभ की सृजन क्षमता न तो कुंठित हुई, न नियंत्रणहीन अपितु वह अपने मूल से सतत जुड़ी रहकर नूतन आयामों में विकसित हुई है।
अग्निभ के प्रथम काव्य संग्रह 'नीरव का संगीत' की रचनाओं को संपादित-प्रकाशित करने और पुरोवाक लिखने का अवसर मुझे वर्ष २००८ में प्राप्त हुआ। ग्यारह वर्षों के अंतराल के पश्चात् यह दूसरा संग्रह 'कागज़ के अरमान' पढ़ते हुए इस युवा प्रतिभा के विकास की प्रतीति हुई है। गुरुवर श्री मुकुल शर्मा जी को समर्पण से इंगित होता है की अग्निभ गुरु को ब्रह्मा-विष्णु-महेश से उच्चतर परब्रह्म मानने की वैदिक, 'बलिहारी गुरु आपकी जिन गोविंद दियो बताय' की कबीरी और 'बिन गुरु ज्ञान कहाँ से पाऊँ?' की समकालिक विरासत भूले नहीं हैं। संकलन का पहला गीत ही उनके कवि के पुष्ट होने की पुष्टि करता है। 'सीना' के दो अर्थों सिलना तथा छाती में यमक अलंकार का सुन्दर प्रयोग कर अग्निभ की सामर्थ्य का संकेत करता है।
जिस दिन मैंने उजड़े उपवन में
अमृत रस पीना चाहा,
उस दिन मैंने जीना चाहा!
काँटों से ही उन घावों को
जिस दिन मैंने सीना चाहा
उस दिन मैंने जीना चाहा!
जिस दिन मैंने उत्तोलित सागर
सम करना सीना चाहा
उस दिन मैंने जीना चाहा!
पुनरावृत्ति अलंकार का इतना सटीक प्रयोग काम ही देखने मिलता है -
एक न हो हालात सभी के
एक हौसला पाया है,
एक एक कर एक गँवाता,
एक ने उसे बढ़ाया है।
कहा जाता है कि एक बार चली गोली दुबारा नहीं चलती पर अग्निभ इस प्रयोग को चाहते और दुहराते हैं बोतल में -
महफ़िल में बोतलों की
बोतल से बोतलों ने
बोतल में बंद कितने
बोतल के राज़ खोले।
पर सभी बोतलों का
सच एक सा ही पाया-
शीशे से तन ढका है,
अंदर है रूह जलती,
सबकी अलग महक हो
पर एक सा नशा है।
बोतल से बोतलें भी
टूटी कहीं है कितनी।
बोतल से चूर बोतल
पर क्या कभी जुड़ी है?
दिलदार खुद को कहती
गुज़री कई यहाँ से,
बोतल से टूटने को
आज़ाद थी जो बोतल।
हर बार टूटने पर
एक हँसी भी थी टूटी।
किसके नसीब पर थी
अब समझ आ रहा है।
बोतल में बोतलों की
तकदीर लिख गयी है।
बोतल का दर्द पी लो,
चाहे उसे सम्हालो।
पर और अब न यूँ तुम
भर ज़हर ही सकोगे।
हद से गुज़र गए तो
जितना भी और डालो
वो छलक ही उठेगा,
रोको, मगर बहेगा।
उस दिन जो बोतलों से
कुछ अश्क भी थे छलके
वे अश्क क्यों थे छलके
अब समझ आ रहा है।
नर्मदा को 'सौंदर्य की नदी' कहा जाता है। उसके नाम ('नर्मदा' का अर्थ 'नर्मंम ददाति इति नर्मदा' अर्थात जो आनंद दे वह नर्मदा है), से ही आनंदानुभूति होती है। गंगा-स्नान से मिलनेवाला पुण्य नर्मदा के
दर्शन मात्र से मिल जाता है। अग्निभ सात समुन्दर पार भी नर्मदा के अलौकिक सौंदर्य को विस्मृत न कर सके, यह स्वाभाविक है -
सुन ले जीवन एक बार ज़रा तू नीरव का संगीत।
महाघोष सुनाती बह चलती
नर्मदा तीर पर आज मिला,
चिर तर्ष, हर्ष ले नाच रही
जो पाषाणों में प्राण खिला ।
पाषाण ये मुखरित लगते हैं,
सोये हों फिर भी जगते हैं,
सरिता अधरों में भरती उनके आज नवल यह गीत ।
सुन ले जीवन एक बार ज़रा तू नीरव का संगीत ।।
अग्निभ के काव्य संसार में गीत और कविता अनुभूति की कोख से जन्मे सहोदर हैं।वे गीत, नवगीत और कविता सम्मिश्रण हैं। अग्निभ की गीति रचनाओं में छान्दसिकता है किन्तु छंद-विधान का कठोरता से पालन नहीं है। वे अपनी शैली और शिल्प को शब्दित लिए यथावश्यक छूट लेते हुए स्वाभाविकता को छन्दानुशासन पर वरीयता देते है। अन्त्यानुप्रास उन्हें सहज साध्य है।
लंबे विदेश प्रवास के बाद भी भाषिक लालित्य और चारुत्व अग्निभ की रचनाओं में भरपूर है। हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी, रूसी और जर्मनी जानने के बाद भी शाब्दिक अपमिश्रण से बचे रहना और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य के नाम पर व्याकरणिक अनाचार न करने की प्रवृत्ति ने इन रचनाओं को पठनीय बनाया है। भारत में हिंगलिश बोलकर खुद को प्रगत समझनेवाले दिशाहीन रचनाकारों को अभिनव से निज भाषा पर गर्व करना सीखना चाहिए।
अग्निभ ने अपने प्रिय कवि रवींद्र नाथ ठाकुर की कविताओं का अनुवाद भी किया है। संकलन में गुरुदेव रचित विश्व विख्यात प्रार्थना अग्निभ कृत देखिये-
निर्भय मन जहाँ, जहाँ रहे उच्च भाल,
ज्ञान जहाँ मुक्त रहे, न ही विशाल
वसुधा के आँगन का टुकड़ों में खण्डन
हो आपस के अन्तर, भेदों से अगणन ।
जहाँ वाक्य हृदय के गर्भ से उच्चल
उठते, जहाँ बहे सरिता सम कल कल
देशों में, दिशाओं में पुण्य कर्मधार
करता संतुष्ट उन्हें सैकड़ों प्रकार।
कुरीति, आडम्बरों के मरू का वह पाश
जहाँ विचारों का न कर सका विनाश-
या हुआ पुरुषार्थ ही खण्डों में विभाजित,
जहाँ तुम आनंद, कर्म, चिंता में नित,
हे प्रभु! करो स्वयं निर्दय आघात,
भारत जग उठे, देखे स्वर्गिक वह प्रात ।
''कागज़ के अरमान'' की कविताएँ अग्निभ के युवा मन में उठती-मचलती भावनाओं का सागर हैं जिनमें तट को चूमती साथ लहरों के साथ क्रोध से सर पटकती अगाध जल राशि भी है, इनमें सुन्दर सीपिकाएँ, जयघोष करने में सक्षम शङख, छोटी-छोटी मछलियाँ और दानवाकार व्हेल भी हैं। वैषयिक और शैल्पिक विविधता इन सहज ग्राह्य कविताओं को पठनीय बनाती है। अग्निभ के संकलन से आगामी संकलनों की उत्तमता के प्रति आशान्वित हुआ जा सकता है।
***

मुक्तिका, नवगीत, सड़गोड़ासनी, बुंदेली,

मुक्तिका:
सबब क्या ?
संजीव 'सलिल'
*
सबब क्या दर्द का?, क्यों कुछ बताओ?
छिपा सीने में विहँस नगमे सुनाओ..

न बाँटा जा सका है दर्द किंचित.
लुटाओ हर्ष, सब जग को बुलाओ..

हसीं अधरों पे जब तुम हँसी देखो.
बिना पल गँवाये, खुद को हँस लुटाओ..

न दामन थामना, ना दिल थमाना.
किसी आँचल में क्यों खुद को छिपाओ?

न जाओ, जा के फिर आना अगर हो.
इस तरह जाओ कि वापिस न आओ..

खलिश का खज़ाना कोई न देखे.
'सलिल' का कोष प्यासों को पिलाओ..
***
२५-११-२०१०
नवगीत:
संजीव
*
वैलेंटाइन
चक्रवात में
तिनका हुआ
वसन्तोत्सव जब,
घर की नींव
खोखली होकर
हिला रही दीवारें जब-तब.
*
हम-तुम
देख रहे खिड़की के
बजते पल्ले
मगर चुप्प हैं.
दरवाज़ों के बाहर
जाते डरते
छाये तिमिर घुप्प हैं.
अन्तर्जाली
सेंध लग गयी
शयनकक्ष
शिशुगृह में आया.
जसुदा-लोरी
रुचे न किंचित
पूजागृह में
पैग बनाया.
इसे रोज
उसको दे टॉफी
कर प्रपोज़ नित
किसी और को,
संबंधों के
अनुबंधों को
भुला रही सीत्कारें जब-तब.
वैलेंटाइन
चक्रवात में
तिनका हुआ
वसन्तोत्सव जब,
घर की नींव
खोखली होकर
हिला रही दीवारें जब-तब.
*
पशुपति व्यथित
देख पशुओं से
व्यवहारों की
जय-जय होती.
जन-आस्था
जन-प्रतिनिधियों को
भटका देख
सिया सी रोती.
मन 'मॉनीटर'
पर तन 'माउस'
जाने क्या-क्या
दिखा रहा है?
हर 'सीपीयू'
है आयातित
गत को गर्हित
बता रहा है.
कर उपयोग
फेंक दो तत्क्षण
कहे पूर्व से
पश्चिम वर तम
भटकावों को
अटकावों को
भुना रही चीत्कारें जब-तब.
वैलेंटाइन
चक्रवात में
तिनका हुआ
वसन्तोत्सव जब,
घर की नींव
खोखली होकर
हिला रही दीवारें जब-तब.
***
२५-११-२०१५

बुंदेली
संजीव
*
छंद - सड़गोड़ासनी।
पद - ३, मात्राएँ - १५-१२-१५।
पहली पंक्ति - ४ मात्राओं के बाद गुरु-लघु अनिवार्य।
गायन - दादरा ताल ६ मात्रा।
*
मैया शारदे! पत रखियो
मोखों सद्बुधि दइयो
मैया शारदे! पत रखियो
जा मन मंदिर मैहरवारी
तुरतइ आन बिरजियो
मैया शारदे! पत रखियो
माया-मोह राच्छस घेरे
झट सें मार भगइयो
मैया शारदे! पत रखियो
अनहद नाद सुनइयो माता!
लागी नींद जगइयो
मैया शारदे! पत रखियो
भासा-आखर-कवित मोय दो
लय-रस-भाव लुटइयो
मैया शारदे! पत रखियो
मात्रा-वर्ण; प्रतीक बिम्ब नव
अलंकार झलकइयो
मैया शारदे! पत रखियो
***
२५-११-२०१९
९४२५१८३२४४

लहरी डॉ. तपन कुमार

गरीबों के मसीहा डॉ. तपन कुमार लहरी 

लोगों का निःशुल्क इलाज करने वाले बीएचयू के जाने-माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन पद्म श्री डॉ. टी.के. लहरी (डॉ तपन कुमार लहरी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके घर पर जाकर मिलने से इनकार कर दिया है। योगी को वाराणसी की जिन प्रमुख हस्तियों से मुलाकात करनी थी, उनमें एक नाम डॉ टीके लहरी का भी था। मुलाकात कराने के लिए अपने घर पहुंचने वाले अफसरों से डॉ लहरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मिलना है तो वह मेरे ओपीडी में मिलें। इसके बाद उनसे मुलाकात का सीएम का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री चाहते तो डॉ लहरी से उनके ओपीडी में मिल सकते थे लेकिन वीवीआईपी की वजह से वहां मरीजों के लिए असुविधा पैदा हो सकती थी।

जानकार ऐसा भी बताते हैं कि यदि कहीं मुख्यमंत्री सचमुच मिलने के लिए ओपीडी में पहुंच गए होते तो डॉ लहरी उनसे भी मरीजों के क्रम में ही मिलते और मुख्यमंत्री को लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ता। बताया जाता है कि इससे पहले डॉ लहरी तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी इसी तरह न मिलने का दो टूक जवाब देकर निरुत्तरित कर चुके हैं। सचमुच 'धरती के भगवान' जैसे डॉ लहरी वह चिकित्सक हैं, जो वर्ष 1994 से ही अपनी पूरी तनख्वाह गरीबों को दान करते रहे हैं। अब रिटायरमेंट के बाद उन्हें जो पेंशन मिलती है, उसमें से उतने ही रुपए लेते हैं, जिससे वह दोनो वक्त की रोटी खा सकें। बाकी राशि बीएचयू कोष में इसलिए छोड़ देते हैं कि उससे वहां के गरीबों का भला होता रहे।

उन्हें किसी भी दिन शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा निःशुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है। वह इतने स्वाभिमानी और अपने पेशे के प्रति इतने समर्पित रहते है कि कभी उन्होंने बीएचयू के बीमार कुलपति को भी उनके घर जाकर देखने से मना कर दिया था।

ऐसे ही डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। तमाम चिकित्सकों से मरीज़ों के लुटने के किस्से तो आए दिन सुनने को मिलते हैं लेकिन डॉ. लहरी देश के ऐसे डॉक्टर हैं, जो मरीजों का निःशुल्क इलाज करते हैं। अपनी इस सेवा के लिए डॉ. लहरी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार 'पद्म श्री' से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ लहरी ने सन् 1974 में प्रोफेसर के रूप में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अपना करियर शुरू किया था और आज भी वह बनारस में किसी देवदूत से कम नहीं हैं। बनारस में उन्हें लोग साक्षात भगवान की तरह जानते-मानते हैं। जिस ख्वाब को संजोकर मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना की, उसको डॉ लहरी आज भी जिन्दा रखे हुए हैं।

वर्ष 2003 में बीएचयू से रिटायरमेंट के बाद से भी उनका नाता वहां से नहीं टूटा है। आज, जबकि ज्यादातर डॉक्टर चमक-दमक, ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं, लंबी-लंबी मंहगी कारों से चलते हैं, मामूली कमीशन के लिए दवा कंपनियों और पैथालॉजी सेंटरों से सांठ-गांठ करते रहते हैं, वही मेडिकल कॉलेज में तीन दशक तक पढ़ा-लिखाकर सैकड़ों डॉक्टर तैयार करने वाले डॉ लहरी के पास खुद का चारपहिया वाहन नहीं है। उनमें जैसी योग्यता है, उनकी जितनी शोहरत और इज्जत है, चाहते तो वह भी आलीशान हास्पिटल खोलकर करोड़ों की कमाई कर सकते थे लेकिन वह नौकरी से रिटायर होने के बाद भी स्वयं को मात्र चिकित्सक के रूप में गरीब-असहाय मरीजों का सामान्य सेवक बनाए रखना चाहते हैं। वह आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते हैं। उनकी बदौलत आज लाखों ग़रीब मरीजों का दिल धड़क रहा है, जो पैसे के अभाव में महंगा इलाज कराने में लाचार थे। गंभीर हृदय रोगों का शिकार होकर जब तमाम ग़रीब मौत के मुंह में समा रहे थे, तब डॉ. लहरी ने फरिश्ता बनकर उन्हें बचाया।

डॉ लहरी जितने अपने पेशे के साथ प्रतिबद्ध हैं, उतने ही अपने समय के पाबंद भी। आज उनकी उम्र लगभग 75 साल हो चुकी है लेकिन उन्हें देखकर बीएचयू के लोग अपनी घड़ी की सूइयां मिलाते हैं। वे हर रोज नियत समय पर बीएचयू आते हैं और जाते हैं। रिटायर्ड होने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें इमेरिटस प्रोफेसर का दर्जा दिया था। वह वर्ष 2003 से 2011 तक वहाँ इमेरिटस प्रोफेसर रहे। इसके बाद भी उनकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए उनकी सेवा इमेरिटस प्रोफेसर के तौर पर अब तक ली जा रही है। जिस दौर में लाशों को भी वेंटीलेटर पर रखकर बिल भुनाने से कई डॉक्टर नहीं चूकते, उस दौर में इस देवतुल्य चिकित्सक की कहानी किसी भी व्यक्ति को श्रद्धानत कर सकती है।

रिटायर्ड होने के बाद भी मरीजों के लिए दिलोजान से लगे रहने वाले डॉ. टीके लहरी को ओपन हार्ट सर्जरी में महारत हासिल है। वाराणसी के लोग उन्हें महापुरुष कहते हैं। अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1974 में वह बीएचयू में 250 रुपए महीने पर लेक्चरर नियुक्त हुए थे। गरीब मरीजों की सेवा के लिए उन्होंने शादी तक नहीं की। सन् 1997 से ही उन्होंने वेतन लेना बंद कर दिया था। उस समय उनकी कुल सैलरी एक लाख रुपए से ऊपर थी। रिटायर होने के बाद जो पीएफ मिला, वह भी उन्होंने बीएचयू के लिए छोड़ दिया। डॉ. लहरी बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें अमेरिका के कई बड़े हॉस्पिटल्स से ऑफर मिला, लेकिन वह अपने देश के मरीजों की ही जीवन भर सेवा करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। वह प्रतिदिन सुबह छह बजे बीएचयू पहुंच जाते हैं और तीन घंटे ड्यूटी करने के बाद वापस घर लौट आते हैं। इसी तरह हर शाम अपनी ड्यूटी बजाते हैं। इसके बदले वह बीएचयू से आवास के अलावा और कोई सुविधा नहीं लेते हैं।

बुधवार, 24 नवंबर 2021

लघुकथा: बहस

लघुकथा:
बहस
संजीव
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'आप बताते हैं कि बचपन में चौपाल पर रोज जाते थे और वहाँ बहुत कुछ सीखने को मिलता था। क्या वहाँ पर कोचिंग होती थी?'
'नहीं बेटा!'
'तो फिर ट्यूटर आता होगा।'
नहीं बेटा! वहाँ कुछ सयाने लोग आते थे जिनकी बातें बाकी सभी लोग सुनते-समझते और उनसे पूछते भी थे.'
'अच्छा, तो फिर वहाँ बेकार की तरह बहस और अनाप-शनाप आरोप भी लगते होंगे?'
'नहीं, ऐसा तो कभी नहीं होता था। '
दादा समझाते रहे पर पोता संतुष्ट न हो सका। एक ही बात कह रह था- 
'आप गप्प मार रहे हैं। यह कैसे हो सकता है? लोग इकट्ठे हों, वह भी बुद्धिजीवी और न हो बहस'
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२४-११-२०१४