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रविवार, 4 जुलाई 2021

गीता ज्ञान

गीता ज्ञान
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'मैं' से हो मन मुक्त यदि, 'तुम' को जाए भूल
कर कर 'हम' की  साधना, हो बगिया का फूल
हो बगिया का फूल, फूलकर कुप्पा मत हो
तितली भ्रमर पराग पा सकें, देने रत हो
संचय मोह व क्रोध, अहं पालक पातक हैं
इनसे हो जो मुक्त, न उसको व्याप सके मैं 
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