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शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

चित्रालंकार पर्वत

 चित्रालंकार पर्वत 

चित्रालंकार 🗻 पर्वत
सनम
गले लग।
नयन मिला
हो न विलग।
दो न रहें, एक हों
प्रिय! इरादे नेक हों
*
गाएंगे
अनवरत
प्रणय गीत
सुर साधकर।
जी पाएंगे दूर हो
*
प्रिये! तुझे यादकर।

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