शिव-दोहावली
*
हर शंका को दूर कर, रख शंकर से आस.
श्रृद्धा-शिवा सदय रहें, यदि मन में विश्वास.
*
शिव नीला आकाश हैं, सविता रक्त सरोज
रश्मि-उमा नित नमन कर, देतीं जीवन-ओज
*
शिव जीवों में प्राण है, विष्णु जीव की देह
ब्रम्हा मति को जानिए, जीवन जिएँ विदेह
*
उमा प्राण की चेतना, रमा देह का रूप
शारद मति की तीक्ष्णता, जो पाए हो भूप
*
चिंतन-लेखन ब्रम्ह है, पठन विष्णु को जान
मनन-कहाँ शिव तत्व है, नमन करें मतिमान
*
अक्षर-अक्षर ब्रम्ह है, शब्द विष्णु अवतार
शिव समर्थ दें अर्थ तब, लिख-पढ़ता संसार
*
अक्षर की लिपि शारदा, रमा शब्द का भाव
उमा कथ्य निहितार्थ हैं, मेटें सकल अभाव
*
कलम ब्रम्ह, स्याही हरी, शिव कागज विस्तार
शारद-रमा-उमा बनें, लिपि कथ्यार्थ अपार
*
नव लेखन से नित्य कर, तीन-देव-अभिषेक
तीन देवियाँ हों सदय, जागे बुद्धि-विवेक
*
जो न करे रचना नई, वह जीवित निर्जीव
नया सृजन कर जड़ बने, संचेतन-संजीव
*
सविता से ऊर्जा मिले, ऊषा करे प्रकाश
वसुधा हो आधार तो, कर थामें आकाश
*
२३-२-२०१८
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021
शिव-दोहावली
चिप्पियाँ Labels:
शिव-दोहावली
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें