मुक्तिका%
अम्मी
संजीव सलिल
0
माहताब की जुन्हाई में
झलक तुम्हारी पाई अम्मी
दरवाजे, कमरे आँगन में
हरदम पडी दिखाई अम्मी
कौन बताये कहाँ गयीं तुम
अब्बा की सूनी आँखों में
जब भी झाँका पडी दिखाई
तेरी ही परछाईं अम्मी
भावज जी भर गले लगाती
पर तेरी कुछ बात और थी
तुझसे घर अपना लगता था
अब बाकी पहुनाई अम्मी
बसा सासरे केवल तन है
मन तो तेरे साथ रह गया
इत्मीनान हमेशा रखना-
बिटिया नहीं परायी अम्मी
अब्बा में तुझको देखा है
तू ही बेटी-बेटों में है
सच कहती हूँ, तू ही दिखती
भाई और भौजाई अम्मी.
तू दीवाली, तू ही ईदी
तू रमजान फाग होली है
मेरी तो हर श्वास-आस में
तू ही मिली समाई अम्मी
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अम्मी
संजीव सलिल
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माहताब की जुन्हाई में
झलक तुम्हारी पाई अम्मी
दरवाजे, कमरे आँगन में
हरदम पडी दिखाई अम्मी
कौन बताये कहाँ गयीं तुम
अब्बा की सूनी आँखों में
जब भी झाँका पडी दिखाई
तेरी ही परछाईं अम्मी
भावज जी भर गले लगाती
पर तेरी कुछ बात और थी
तुझसे घर अपना लगता था
अब बाकी पहुनाई अम्मी
बसा सासरे केवल तन है
मन तो तेरे साथ रह गया
इत्मीनान हमेशा रखना-
बिटिया नहीं परायी अम्मी
अब्बा में तुझको देखा है
तू ही बेटी-बेटों में है
सच कहती हूँ, तू ही दिखती
भाई और भौजाई अम्मी.
तू दीवाली, तू ही ईदी
तू रमजान फाग होली है
मेरी तो हर श्वास-आस में
तू ही मिली समाई अम्मी
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5 टिप्पणियां:
Om Prakash Tiwari द्वारा yahoogroups.com
क्या बात है! बहुत सुंदर मुक्तिका। बधाई।
सादर
ओमप्रकाश तिवारी
--
Om Prakash Tiwari
Chief of Mumbai Bureau
Dainik Jagran
41, Mittal Chambers, Nariman Point,
Mumbai- 400021
Tel : 022 30234900 /30234913/39413000
Fax : 022 30234901
M : 098696 49598
Visit my blogs : http://gazalgoomprakash.blogspot.com/
http://navgeetofopt.blogspot.in/
http://janpath-kundali.blogspot.com/
Mahipal Tomar द्वारा yahoogroups.com
बहुआयामी ,बहुरंगी ,रचनाओं के ' सिद्ध ' कवि की लेखनी को पुनर्नमन ।
santosh kumar ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com
आ० सलिल जी, बहुत अच्छी मुक्तिका है। बधाई।
सन्तोष कुमार सिंह
dks poet
आदरणीय सलिल जी,
अच्छी रचना है। दाद कुबूल करें।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन
shar_j_n
कितना खूबसूरत लिखा है आपने आचार्य जी!
तुझसे घर अपना लगता था,
अब बाकी पहुनाई अम्मी.
सादर शार्दुला
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