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बुधवार, 18 अप्रैल 2012

दोहा सलिला: धूप-छाँव दोहा-यमक --संजीव 'सलिल

दोहा सलिला:
धूप-छाँव दोहा-यमक
संजीव 'सलिल
*
शब नम आँखें मूँदकर, सहे तिमिर धर धीर.
शबनम की बूँदें कहें, असह हुई थी पीर..
*
मत नट वर, नटवर वरे, महकी प्रीत कदम्ब.
सँकुच लाजवंती हुई, सहसा आयीं अम्ब.. 
*
छीन रही कल छुरी से, मौन कलछुरी छीन.
चमचे के गुण गा आरही, चमची होकर दीन..
*
छान-बीनकर बात कर, कोई न हो नाराज.
छान-बीनकर जतन से, रखिए 'सलिल' अनाज..
*
अगर मिले ना राज तो,  राजा हो नाराज.
राज मिले तो हो मुदित, सिर पर धारे ताज.
*
भय का भूत न भूत से, आकर डँस ले आज.
रख खुद पर विश्वास मन,करता चल निज काज..
*
लगे दस्त तो दस्त ही, करता चुप रह साफ़.
क्यों न करो तुम भी 'सलिल', त्रुटि औरों की माफ़?.
*
हरदम हर दम का रखें, नाहक आप हिसाब.
चलती खुद ही धौंकनी, बँटे-मिटते ख्वाब..
*
बुनकर बुन कर से रहा, कोरी चादर रोज.
कोरी चादर क्यों नहीं?, कर कुछ इसकी खोज..
*
पत्र-कार मत खोजिये, होंगे आप निराश.
पत्रकार को सनसनी की ही, रही तलाश..
*
अमा नत हुए क्यों नयन?, गुमी अमानत आज.
नयन उठा कैसे करें, बात? आ रही लाज..
*
..Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



5 टिप्‍पणियां:

achal verma ने कहा…

achal verma ✆ekavita



acharya salil,

as always, very inspiring .

Achal Verm

Rakesh Khandelwal ✆ ने कहा…

Rakesh Khandelwal ✆ ekavita


आदरणीय

यौं तो सभी दोहे सुन्दर हैं , मुझे एक अधिक रुचा

छान-बीनकर बात कर, कोई न हो नाराज.
छान-बीनकर जतन से, रखिए 'सलिल' अनाज..

नमन स्वीकारें.

राकेश

kusum sinha ✆ ने कहा…

kusum sinha ✆ekavita


priy sanjiv ji
aapke dohe anmol lagte hain mujhe badhai bahut bahut badhai
kusum

Pratap Singh ✆ ने कहा…

pratapsingh1971@gmail.com द्वारा yahoogroups.com


आदरणीय आचार्य जी

बहुत सुन्दर !
साधुवाद !

सादर
प्रताप

shar_j_n@yahoo.com ने कहा…

shar_j_n ✆ekavita


आदरणीय आचार्य जी,

शब नम आँखें मूँदकर, सहे तिमिर धर धीर.
शबनम की बूँदें कहें, असह हुई थी पीर.. ---- बहुत बहुत सुन्दर!

सादर शार्दुला