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रविवार, 23 जनवरी 2011

सुभाष की जय -- संजीव 'सलिल'

मुक्तक :
सुभाष की जय

संजीव 'सलिल'
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भारत माता का सपूत आजादी का सेनानी.
वीर सुभाष महामानव था सतत लड़ाई ठानी..
नहीं फिरंगी को करने दी तनिक कभी मनमानी.
जान हथेली पर ले चलता रहा सदा बलिदानी..

उस सुभाष की जय कहकर अब कलम धन्य होती है.
उस सुभाष के बलिदानों पर भू गर्वित होती है..
उस सुभाष पर इतिहासों की नव रचना होती है.
उस सुभाष की युग पुरुषों में ही गणना होती है..

खेल मौत से रहा खेलता, सदा देश की खातिर.
गाथा उसकी बनी प्रेरणा, सारे जग में जाहिर..
पार न उससे पा सकते थे अच्छे-अच्छे माहिर.
कूटनीति का कुशल खिलाड़ी सैन्य नीति का ताहिर..

उस सुभाष की जय बोले जो हो सच का अनुगामी.
उस सुभाष की जय बोले हो भारत का निर्माणी..
उस सुभाष की जय बोले जो वही देश-अभिमानी.
उस सुभाष की जय बोले हर सच्चा हिन्दुस्तानी..

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