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सोमवार, 10 जनवरी 2011

नवगीत सड़क-मार्ग सा... संजीव वर्मा 'सलिल'

नवगीत
                                                                   
सड़क-मार्ग सा...                                                                                        
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
सड़क-मार्ग सा
फैला जीवन...
*
कभी मुखर है,
कभी मौन है।
कभी बताता,
कभी पूछता,
पंथ कौन है?
पथिक कौन है?
स्वच्छ कभी-
है मैला जीवन...
*
कभी माँगता,
कभी बाँटता।
पकड़-छुडाता
गिरा-उठाता।
सुख में, दुःख में

साथ निभाता-
बिन सिलाई का
थैला जीवन...
*
वेणु श्वास,
राधिका आस है।
कहीं तृप्ति है,
कहीं प्यास है।
लिये त्रास भी

'सलिल' हास है-
तन मजनू,
मन लैला जीवन...
*
बहा पसीना,
भूखा सोये।
जग को हँसा ,
स्वयं छुप रोये।
नित सपनों की
फसलें बोए।
पनघट, बाखर,
बैला जीवन...
*
यही खुदा है,
यह बन्दा है।
अनसुलझा
गोरखधंधा है।

आज तेज है,

कल मंदा है-
राजमार्ग है,
गैला जीवन-
*
काँटे देख
नींद से जागे।
हूटर सुने,
छोड़ जां भागे।
जितना पायी
ज्यादा माँगे-
रोजी का है
छैला जीवन...
*****

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