सलिल सृजन अक्टूबर २६
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रविवार, 26 अक्टूबर 2025
अक्टूबर २६, सॉनेट, हाइकु गीत, राम, प्रतीप अलंकार, नैरंतरी छंद, शरत्पूर्णिमा, चाँद
शनिवार, 25 अक्टूबर 2025
वर्षा, सॉनेट, शेक्सपियर, मिल्टन, सलिल
सॉनेट
बारिश तुम फिर
१.
बारिश तुम फिर रूठ गई हो।
तरस रहा जग होकर प्यासा।
दुबराया ज्यों शिशु अठमासा।।
मुरझाई हो ठूठ गई हो।।
कुएँ-बावली बिलकुल खाली।
नेह नर्मदा नीर नहीं है।
बेकल मन में धीर नहीं है।।
मुँह फेरे राधा-वनमाली।।
दादुर बैठे हैं मुँह सिलकर।
अंकुर मरते हैं तिल-तिलकर।
झींगुर संग नहीं हिल-मिलकर।
बीरबहूटी हुई लापता।
गर्मी सबको रही है सता।
जंगल काटे, मनुज की खता।।
*
२.
मान गई हो, बारिश तुम फिर।
सदा सुहागिन सी हरियाईं।
मेघ घटाएँ नाचें घिर-घिर।।
बरसीं मंद-मंद हर्षाईं।।
आसमान में बिजली चमकी।
मन भाई आधी घरवाली।
गिरी जोर से बिजली तड़की।।
भड़क हुई शोला घरवाली।।
तन्वंगी भीगी दिल मचले।
कनक कामिनी देह सुचिक्कन।
दृष्टि न ठहरे, मचले-फिसले।।
अनगिन सपने देखे साजन।।
सुलग गई हो बारिश तुम फिर।
पिघल गई हो बारिश तुम फिर।।
*
३.
क्रुद्ध हुई हो बारिश तुम फिर।
सघन अँधेरा आया घिर घिर।।
बरस रही हो, गरज-मचल कर।
ठाना रख दो थस-नहस कर।।
पर्वत ढहते, धरती कंपित।
नदियाँ उफनाई हो शापित।।
पवन हो गया क्या उन्मादित?
जीव-जंतु-मनु होते कंपित।।
प्रलय न लाओ, कहर न ढाओ।
रूद्र सुता हे! कुछ सुस्ताओ।।
थोड़ा हरषो, थोड़ा बरसो।
जीवन विकसे, थोड़ा सरसो।।
भ्रांत न हो हे बारिश! तुम फिर।
शांत रही हे बारिश! हँस फिर।।
३०-१०-२०२२
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अक्टूबर २५, बाल गीत, चिड़िया, गीत, चित्रगुप्त, कातिक
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025
निकाह, मुसलमान, इस्लाम
उल्कापिंड
28 सितंबर 1969 का दिन विज्ञान के इतिहास में एक ऐसा मोड़ लेकर आया, जिसने जीवन की उत्पत्ति को लेकर हमारी सोच को ही बदल डाला। ऑस्ट्रेलिया के मर्चिसन शहर में एक रहस्यमयी पत्थर आकर गिरा और यह कोई साधारण पत्थर नहीं था बल्कि एक अंतरिक्ष से आया हुआ उल्कापिंड था,जिसे आज हम मर्चिसन उल्कापिंड के नाम से जानते हैं।
क्या है मर्चिसन उल्कापिंड?
मर्चिसन उल्कापिंड एक कार्बनसस कोन्ड्राइट प्रकार का उल्कापिंड है। यह सौरमंडल की शुरुआत के समय का बचा हुआ टुकड़ा माना जाता है,जिसकी उम्र लगभग 4.6 अरब साल बताई गई है यानी यह हमारे सूरज और ग्रहों से भी पुराना हो सकता है।
क्या मिला इस उल्कापिंड में?
जब वैज्ञानिकों ने इस उल्कापिंड का गहराई से अध्ययन किया, तो जो बातें सामने आईं, वो चौंकाने वाली थीं:
1. अमीनो एसिड्स की खोज
* इसमें 70 से अधिक प्रकार के अमीनो एसिड पाए गए।
* अमीनो एसिड वे कार्बनिक अणु हैं जो जीवन की नींव माने जाते हैं। हमारे DNA,प्रोटीन और कोशिकाओं की संरचना में इनकी भूमिका है।
* आश्चर्य की बात यह थी कि इन अमीनो एसिड्स में से कुछ ऐसे थे जो पृथ्वी पर नहीं पाए जाते।
2. RNA-DNA से जुड़े तत्व
* इसमें यूरासिलऔर ज़ैंथीन जैसे तत्व मिले जो RNA और DNA जैसे आनुवंशिक कोड की संरचना में इस्तेमाल होते हैं।
* यह खोज दर्शाती है कि जीवन के मूलभूत तत्व पृथ्वी से बाहर भी मौजूद हैं।
3. स्टार डस्ट के संकेत
* इसमें ऐसे आइसोटोप्स पाए गए जो केवल सुपरनोवा (विस्फोटक तारकीय घटनाओं) के दौरान बनते हैं।
* इसका मतलब है कि मर्चिसन उल्कापिंड ब्रह्मांड की गहराइयों से आया हुआ एक प्राचीन टुकड़ा है।
क्या जीवन की शुरुआत पृथ्वी से बाहर हुई?
मर्चिसन उल्कापिंड ने वैज्ञानिकों को यह सोचने पर मजबूर किया कि:
* क्या पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत बाहरी अंतरिक्ष से हुई थी?
* क्या उल्कापिंडों के ज़रिए पृथ्वी पर अमीनो एसिड और अन्य जैविक तत्व आए?
* क्या जीवन ब्रह्मांड में फैला हुआ एक सामान्य घटनाक्रम है?
इन सवालों को जन्म देता है एक विचार Panspermia सिद्धांत जिसके अनुसार जीवन के बीज अंतरिक्ष में फैले हुए हैं और उल्कापिंडों या धूमकेतुओं के ज़रिए विभिन्न ग्रहों पर पहुंच सकते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
नासा,ESA और जापानी मिशनों ने इस सिद्धांत को और मजबूती देने के लिए अंतरिक्ष से धूल,बर्फ और उल्कापिंडों के नमूने एकत्र किए हैं। Hayabusa2 और OSIRIS-REx जैसे मिशनों ने अंतरिक्ष से लौटे नमूनों में भी ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल्स की पुष्टि की है।
निष्कर्ष
मर्चिसन उल्कापिंड सिर्फ एक पत्थर नहीं,बल्कि यह ब्रह्मांड की प्रयोगशाला से गिरा एक रहस्यभरा संदेश है। यह बताता है कि जीवन का बीज केवल पृथ्वी तक सीमित नहीं है यह पूरे ब्रह्मांड में फैला हो सकता है। हो सकता है अगली बार जब कोई उल्कापिंड पृथ्वी पर गिरे तो वह जीवन के और भी गहरे रहस्यों को उजागर करे।
अक्टूबर २४, आरती, इला घोष, लघुकथा, त्रिपदी, गीत,
सलिल सृजन अक्टूबर २४