श्री नरेंद्र मोदी की गुजराती कविता का हिंदी अनुवाद:
अंजना संधीर एल १०४ शिलालेख सोसायटी, शाहीबाग अहमदाबाद ३८०००४ द्वारा
.
जाना नहीं
यह सूर्य मुझे पसंद है
अपने सातों घोड़ों की लगाम
हाथ में रखता है
लेकिन उसने कभी भी घोड़ों को
चाबुक मारा हो
ऐसा जानने में नहीं आया
इसके बावजूद
सूर्य की मति
सूर्य की गति
सूर्य की दिशा
सब एकदम बरकरार
केवल प्रेम
*
सिंधी अनुवाद: देवी नागरानी ९ डी कॉर्नर व्यू सोसायटी, १५/३३ रोड बांद्रा मुंबई ४०००५० चलभाष ९९८७९२८३५८ द्वारा
न जातो
ही सिजु मूंखे पसंद आहे
पंहिंजन सतन ई घोड़न जी लगाम
हाथ में रखंदो आहे
पर हुन कडहिं बि घोड़े खे
चाबुक मारियो हो
ईंअ जाणण में कीन आयो
इनजे बावजूद
सिज जी मति
सिज जी गति
सिज जी दिशा
सब हिक दम बरकरार
फ़क़त प्रेम
*
अंजना संधीर एल १०४ शिलालेख सोसायटी, शाहीबाग अहमदाबाद ३८०००४ द्वारा
.
जाना नहीं
यह सूर्य मुझे पसंद है
अपने सातों घोड़ों की लगाम
हाथ में रखता है
लेकिन उसने कभी भी घोड़ों को
चाबुक मारा हो
ऐसा जानने में नहीं आया
इसके बावजूद
सूर्य की मति
सूर्य की गति
सूर्य की दिशा
सब एकदम बरकरार
केवल प्रेम
*
सिंधी अनुवाद: देवी नागरानी ९ डी कॉर्नर व्यू सोसायटी, १५/३३ रोड बांद्रा मुंबई ४०००५० चलभाष ९९८७९२८३५८ द्वारा
न जातो
ही सिजु मूंखे पसंद आहे
पंहिंजन सतन ई घोड़न जी लगाम
हाथ में रखंदो आहे
पर हुन कडहिं बि घोड़े खे
चाबुक मारियो हो
ईंअ जाणण में कीन आयो
इनजे बावजूद
सिज जी मति
सिज जी गति
सिज जी दिशा
सब हिक दम बरकरार
फ़क़त प्रेम
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