हाइकु
ईंट-रेट का
मंदिर मनहर
देव लापता।
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बहा पसीना
चमक उठी देह
जैसे नगीना।
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महक रहा
महुआ जंगल में
बौराया वसंत
महुआ जंगल में
बौराया वसंत
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पहली वर्षा
महका गयी मन माटी की गंध
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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