मुक्तिका;
मैं न उसमे बही सही
-- कुसुम ठाकुर
"मैं न उसमे बही सही"
मैंने तुमसे बात कही
जो सोचा वह नही सही
भूली बिसरी यादें फिर भी
आज कहूँ न रही सही
कितना भी दिल को समझाऊँ
आँख हुआ नम यही सही
वह रूठा न जाने कब से
प्यार अलग सा कही सही
रंग अजब दुनिया की देखी
मैं न उसमे बही सही
- कुसुम ठाकुर-
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