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रविवार, 6 नवंबर 2011

मुक्तिका;

मैं न उसमे बही सही

-- कुसुम ठाकुर 


"मैं  उसमे बही सही"

मैंने तुमसे बात कही 
जो सोचा वह नही सही 

भूली बिसरी यादें फिर भी 
आज कहूँ न रही सही 

 कितना भी दिल को समझाऊँ  
आँख हुआ नम यही सही 

वह रूठा न जाने कब से 
प्यार अलग सा कही सही 

रंग अजब दुनिया की देखी 
मैं न उसमे बही सही 

- कुसुम ठाकुर-

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