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शनिवार, 17 अप्रैल 2021

लघुकथा रघुवीर सहाय

लघुकथा
नैतिकता का बोध
- रघुवीर सहाय
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एक यात्री ने दूसरे से कहा- "भाई ज़रा हमको भी बैठने दो।"
दूसरे ने कहा- "नहीं मैं आराम करूंगा।"
पहला आदमी खड़ा रहा ।उसे जगह नहीं मिली, पर वह चुपचाप रहा ।
दूसरा आदमी बैठा रहा और देखता रहा । बड़ी देर तक वह उसे खड़े हुए देखता रहा । अचानक उसने उठकर जगह कर दी और कहा- "भाई ! अब मुझसे बरदाश्त नहीं होता । आप यहां बैठ जाइए ।"
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