कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 31 मार्च 2011

सामयिक गीत: राम जी मुझे बचायें.... --संजीव 'सलिल'

सामयिक गीत:
राम जी मुझे बचायें....
-- संजीव 'सलिल'
*
राम जी मुझे बचायें....

एक गेंद के पीछे दौड़ें ग्यारह-ग्यारह लोग.
एक अरब काम तज देखें, अजब भयानक रोग..
राम जी मुझे बचायें,
रोग यह दूर भगायें....
*
परदेशी ने कह दिया कुछ सच्चा-कुछ झूठ.
भंग भरोसा हो रहा, जैसे मारी मूठ..
न आपस में टकरायें,
एक रहकर जय पायें...
*
कड़ी परीक्षा ले रही, प्रकृति- सब हों एक.
सकें सीख जापान से, अनुशासन-श्रम नेक..
समर्पण-ज्योति जलायें,
'सलिल' मिलकर जय पायें...
*

6 टिप्‍पणियां:

sanjiv 'salil' ने कहा…

dhanyavad

गीता पंडित ने कहा…

समसामयिक रचना ...
मनभावन....
आभार आपका...


.नमन...

Abhishek Sagar ने कहा…

अभिषेक सागर …
२ अप्रैल २०११ १०:५५ पूर्वाह्न

अच्छी नवगीत...बधाई

Man Preet kaur ने कहा…

Manpreet Kaur …
२ अप्रैल २०११ ११:२५ पूर्वाह्न

हा हा हा हा सही बात है !
अच्छा पोस्ट है जी !
हवे अ गुड डे !

Music Bol
Lyrics Mantra
Shayari Dil Se
Latest News About Tech

ved vyathit ने कहा…

vedvyathit …
३ अप्रैल २०११ ९:२५ पूर्वाह्न

bhartiy srokaron ko sundrta se vykt kya hai

hardik bdhai

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

क्रिकेट पर खासा व्यंग्य प्रहार