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बुधवार, 3 अप्रैल 2024

अप्रैल ३, गीत, तुम, युगतुलसी, क्षणिका, बुन्देली दोहे, माहिया, पर्यावरण, पंच यज्ञ, रागी छंद, यमक, सॉनेट, पैरोडी

सलिल सृजन ३ अप्रैल
*
स्मरण युग तुलसी
कंकर किस विधि बनता शंकर?
युगतुलसी ने हमें बताया,
बनें सहायक खुद प्रलयंकर,
यदि विश्वास न किया पराया।
श्रद्धा की पर्याय श्वास हो,
मैया बिछुड़ी महामंत्र दे,
राम-कृपा सुख या कि त्रास हो,
हनुमत प्रगटे राम यंत्र ले।
जीवन संगिन ने उपकारा,
रत्ना बन गार्हस्थ न थोपा,
उड़िया बाबा ने उच्चारा,
शुभ गुरुमंत्र भक्ति वट रोपा।
जिए हमेशा ही अकाम में
मिला अखंडानंद राम में।
३.३.२०२४
•••
मुक्तक
दुआ
दुआ करिए दुआ से ही दवा का काम हो जाए।
दुआ करिए दबा सच को न कोई झूठ जय पाए।।
करे वादा बता जुमला न नेता लोक को ठग ले-
नहीं फिर तंत्र रौंदे लोक को निज कीर्ति खुद गाए।।
३-४-२०२३
नौ दोहा दीप
दिन की देहरी पर खड़ी, संध्या ले शशि-दीप
गगन सिंधु मोती अगिन, तारे रजनी सीप
दीप जला त्राटक करें, पाएँ आत्म-प्रकाश
तारक अनगिन धरा को, उतर करें आकाश
दीप जलाकर कीजिए, हाथ जोड़ नत माथ
दसों दिशा की आरती, भाग्य देव हों साथ
जीवन ज्योतिर्मय करे, दीपक बाती ज्योत
आशंका तूफ़ान पर, जीते आशा पोत
नौ-नौ की नव माल से, कोरोना को मार
नौ का दीपक करेगा, तम-सागर को पार
नौ नौ नौ की ज्योति से, अन्धकार को भेद
हँसे ठठा भारत करे, चीनी झालर खेद
आत्म दीप सब बालिये, नहीं रहें मतभेद
अतिरेकी हों अल्पमत, बहुमत में श्रम - स्वेद
तन माटी माटी दिया, लौ - आत्मा दो ज्योत
द्वैत मिटा अद्वैत वर, रवि सम हो खद्योत
जन-मन वरण प्रकाश का, करे तिमिर को जीत
वंदन भारत-भारती कहे, बढ़े तब प्रीत
***
मुक्तिका
*
सलिल बूँद मिल स्वाति से, बन जाती अनमोल
तृषा पपीहे की बुझे, जब टेरे बिन मोल
मन मुकुलित ममतामयी!, हो दो यह वरदान
सलिल न पंकिल हो तनिक, बहे मधुरता घोल
मनुज छोर की खोज में, भटक रहा दिन-रैन
कौन बताये है नहीं, छोर जगत है गोल
रहे शिष्य की छाँह से, शिक्षक हरदम दूर
गुरु कह गुरुघंटाल बन, परखें स्वारथ तोल
झूम बजाएँ नाचिए, किंतु न दीजै फाड़
अटल सत्य हर ढोल में, रही हमेशा पोल
सगा न कोई किसी का, सब मतलब के मीत
सरस सत्य हँस कह सलिल, अप्रिय सत्य मत बोल
अगर मधुरता अत्यधिक, तब रह सजग-सतर्क
छिप अमृत की आड़ में, गरल न करे किलोल
***
मुक्तिका -
सूत्र - रगण गुरु
ध्वनिखंड - फाइलातुं
*
सत्य बोलें
या न बोलें।
वाक् द्वारा
प्रेम घोलें।
क्यों न भैये
बात तोलें?
आदमी के
साथ होलें।
आँसुओं की
माल पो लें।
वायदों की
नस्ल बो लें।
कायदे से
साँस तो लें
३-४-२०२०
***
कुण्डलिया
*
कहता साहूकार क्यों, मैं हूँ चौकीदार?
स्वांग रचाकर चाहता, बना सके सरकार
बना सके सरकार, न चाहे चूके मौका
बुआ भतीजा मिले, लगाने फिर से चौका
भैया-बहिना संग, बंधु को बंधु न सहता
दगाबाज दे दगा, चोर औरों को कहता
*
आवारा मन ने कहा, लड़ ले आम चुनाव
खास-खास हैं सड़क पर, सम हैं भाव-अभाव
सम हैं भाव-अभाव, माँग लो माँग न चूको
नोटा में मतदान, करो हर दल पर भूँको
अब तक ठगता रहा, ठगाया अब बेचारा
मन की कहे तरंग, न हो जन-गण बेचारा
***
एक दोहा
खास-ख़ास बतला रहे, आया आम चुनाव।
ताव-भाव मत माँगते, मत दें भूख-अभाव।।
***
कार्य शाला :
दोहा प्रश्नोत्तर
*
सरोज सिंह परिहार 'सूरज' नागौद
नीर भरे नैना रहें,लिये दरस की प्यास।
प्यासे नैना जल भरे,अजब विरोधाभास।।
*
संजीव वर्मा 'सलिल'
स्नेह सलिल नैना लिए, करें दरस की प्यास।
नेह नर्मदा मिल बहे, नहीं विरोधाभास।।
***
३.४.२०१९
पैरोडी- हवाई दोस्ती है ये
ई मित्रता पर पैरोडी:
*
(बतर्ज़: अजीब दास्तां है ये,
कहाँ शुरू कहाँ ख़तम...)
*
हवाई दोस्ती है ये,
निभाई जाए किस तरह?
मिलें तो किस तरह मिलें-
मिली नहीं हो जब वज़ह?
हवाई दोस्ती है ये...
*
सवाल इससे कीजिए?
जवाब उससे लीजिए.
नहीं है जिनसे वास्ता-
उन्हीं पे आप रीझिए.
हवाई दोस्ती है ये...
*
जमीं से आसमां मिले,
कली बिना ही गुल खिले.
न जिसका अंत है कहीं-
शुरू वहीं हैं सिलसिले.
हवाई दोस्ती है ये...
*
दुआ-सलाम कीजिए,
अनाम नाम लीजिए.
न पाइए न खोइए-
'सलिल' न ख्वाब देखिए.
हवाई दोस्ती है ये...
***
छंद- दोहा
अलंकार- यमक
*
मिला भाग से भाग, गुणा-भाग कर भाग मत।
ले जो भाग सुभाग, उससे दूर न भागता।।
*
भाग = किस्मत, हिस्सा, हिसाब-किताब, दूर जाना, भाग लेना, सौभाग्य, अलग होता।
संवस, ३-४-२०१९
***
स्मरणांजलि:
कमला देवी चट्टोपाध्याय
*
कमला देवी चट्टोपाध्याय भारतीय नारी के नवजागरण काल ही अविस्मरणीय विभूति रहीं हैं। स्वतंत्रता सत्याग्रही, समाज सुधारक, नाट्य कला उन्नायक, हथकरघा विकासक तथा हस्त शिल्प संरक्षक के रूप में उनका योगदान असाधारण और उल्लेखनीय रहा है। उनका जीवनकाल (३ अप्रैल १९०३, मैंगलोर - २९ अक्टूबर १९८८) विशेषकर सवातंत्र्योपरांत अवधि भारतीय नारी के सामाजिक-आर्थिक उन्नयन हेतु सहकारिता आंदोलन को समर्पित रहा। नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, संगीत-नाटक अकादमी, सेन्ट्रल कोटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम, क्राफ्ट्स कौंसिल ऑफ़ इंडिया जैसी अनेक संस्थाएँ उनकी दूरदृष्टि के फलस्वरूप अस्तित्व में आईं। प्रबल विरोध सहकर भी उनहोंने हस्तशिल्प तथा सहकारिता को आम जनों के सामाजिक-आर्थिक उन्नयन के लिए प्रभावी अस्त्र के रूप में प्रयोग किया। उन्हें १९७४ में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप (संगीत-नाटक अकादमी का सर्वोच्च सम्मान) से अलंकृत किया गया।
कमलादेवी अपने पिता अनंथ्य धारेश्वर (जिला कलेक्टर मैंगलोर) तथा माता गिरिजाबाई (कर्णाटक के संभ्रांत परिवार कन्या) की चौथी संतान थीं। उन्हें साहित्यिक-सांस्कृतिक मूल्यों की समझ और देश सेवा का संस्कार अपनी विदुषी दादी और माँ से विरासत में मिला। कमलादेवी मेधावी विद्यार्थी थीं जिन्होंने बचपन से ही साहस और आत्म विश्वास का परिचय दिया। महादेव गोविन्द रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले, रमाबाई रानाडे, एनी बेसेंट, जैसे राष्ट्रवादी नेता परिवार के अन्तरंग मित्र थे, उनके आवागमन से तरुणी कमलादेवी को राष्ट्रीय आन्दोलन को समझने और उससे जुड़ने की प्रेरणा मिली। उनहोंने केरल की संस्कृत नाट्य परंपरा 'केरल-कुट्टीयट्टम' का शिक्षण महान गुरु पद्म श्री मणि माधव चक्यार किल्लीकुरुसिमंगलम में उनके निवास पर रहकर प्राप्त किया।
दुर्योगवश उनकी आदर्श बड़ी बहन सगुना का विवाह के अल्प काल बाद तरुणाई में ही निधन हो गया। कमला देवी ७ वर्ष की ही थीं कि उनके पिता नहीं रहे। तत्कालीन कानूनों के अनुसार पिता की विशाल संपत्ति कमला देवी के माँ गिरिजाबाई के सौतेले पुत्रों को मिली। गिरिजा बाई को नाममात्र की भरणपोषण निधि मिली जिसे उस स्वाभिमानी महिला ने ठुकराते हुए अपने दहेज़ में मिली संपत्ति से अपनी बेटियों का पालन-पोषण करने का निर्णय लिया। कमलादेवी ने साहस और संघर्ष के गुण अपनी माँ से पाए। मात्र १४ वर्ष की आयु में १९१७ में उनका विवाह कृष्ण राव के साथ हुआ किन्तु दुर्भाग्यवश दो वर्ष बाद ही १९१९ में वे विधवा हो गईं।
क्वीन मेरी कोलेज चेन्नई में पढ़ते समय वे सरोजिनी नायडू की छोटी बहिन सुहासिनी चट्टोपाध्याय तथा उनके प्रतिभाशाली भाई हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय (कालांतर में प्रसिद्ध कवि, लेखक, अभिनेता) के संपर्क में आईं। कला के प्रति लगाव इन दोनों के मिलन में सहायक हुआ। २० वर्ष की होने पर १९२३ में कमलादेवी, तत्कालीन रूढ़िवादी समाज के घोर विरोध के बाद भी हरिन्द्रनाथ के साथ विवाह बंधन में बंध गईं। विवाह के शीघ्र बाद हरिन प्रथम विदेश यात्रा पर लंदन प्रस्थित हो गए, कुछ माह बाद कमला देवी भी उनसे जा मिलीं और उनहोंने बेडफ़ोर्ड कोलेज लन्दन से समाजशास्त्र में डिप्लोमा प्राप्त किया। उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम रामकृष्ण चट्टोपाध्याय रख गया।
१९२३ में महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन का समाचार मिलाने पर वे तत्काल भारत लौटीं और समाज के उत्थान हेतु गठित गांधीवादी संस्था 'सेवा दल' में जुड़ गईं तथा शीघ्र ही महिला प्रकोष्ठ प्रभारी बना दी गईं। उनहोंने पूरे देश से दक्ल के लिए सभी आयु वर्गों की महलों का चयन 'सेविका; हेतु किया तथा उन्हें प्रशिक्षण भी दिया। वर्ष १९२६ में उनकी भेंट सफ्रागेट मार्ग्रेट ई. कूजीन, आल इंडिया वीमन कोंफेरेंस के संस्थापक से हुई, जिन्होंने कमलादेवी को मद्रास प्रविन्शिअल लेजिस्लेटिव असेम्बली के चुनाव में भागीदारी हेतु हेतु प्रेरित किया। वे भारत की प्रथम महिला उम्मीदवार बनीं, उन्हें प्रचार हेतु अत्यल्प समय मिला तथापि वे केवल ५५ मतों से पराजित हुईं।
आल इंडिया वीमन कोंफेरेंस की स्थापना के पश्चात् वे इसकी प्रथम महिला संगठन सचिव हुईं। कालांतर में यह संस्था देशव्यापी संगठन के रूप में विकसित हुई, पूरे देश में इसकी शाखाएँ आरम्भ हुईं। कमलादेवी ने सघन दौरे कर संवैधानिक सुधारों की जमीन तैयार की। उनहोंने कई यूरोपीय देशों की यात्रा की तथा वहाँ से प्रेरणा प्राप्त कर भारत में महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की। इसका शानदार उदाहरण लेडी इरविन गृह विज्ञान महाविद्यालय दिल्ली जैसी सर्वकालिक श्रेष्ठ संस्था है। १९३० में महात्मा गांधी द्वारा नमक सत्त्याग्रह हेतु गठित सात सदस्यीय दल की के सदस्य कमलादेवी भी थीं जिन्होंने मुम्बई बीच फोर्ट पर नमक बनाया।इस समिति में दूसरी महिला अवन्तिका बी गोखले थीं। कमलादेवी यहीं नहीं रुकीं। उनहोंने साहस की मिसाल कायम करते हुए समीपस्थ उच्च न्यायालय में जाकर उपस्थित न्यायाधीश से पूछा कि क्या वह उनके द्वारा तुरंत तैयार किया गया नमक खरीदना चाहेगा? २६ जनवरी १९३० को भारतीय तिरंगे झंडे से लिपटकर उसकी रक्षा करने पर वे देशव्यापी चर्चा औरए सराहना की पात्र हुईं। १९३० में ही मुम्बई स्टोक एक्सचेज में घुसकर देशी नमक के पैकेट बेचने पर उन्हें गिरफ्तार कर एक साल का कारावास दिया गया।
हरिन और कमला ने अनेक कलात्मक प्रयोग किए और ख्यति अर्जित की, उन्हें एक पुत्र रामा प्राप्त हुआ। उस समय संभ्रांत परिवारों की महिलाओं के लिए अभिनय का निषेध होने पर भी कमला देवी ने कुछ चलचित्रों में अभिनय किया और अपनी प्रतिभा की छाप छोडी। वर्ष १९३१ में शूद्रक के प्रसिद्ध नाटक पर आधारित प्रथम कन्नड़ मूक चलचित्र मृच्छकटिक (वसंतसेना) जिसके नायक येनाक्षी रामाराव, निदेशक कन्नड़ फिल्मों के पितामह मोहन दयाराम भवानी थे, में अभिनय कर कमलादेवी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। तत्पश्चात अपनी दूसरी पारी में वर्ष १९४३ में हिंदी चलचित्र तानसेन (नायक के.एल.सहगल, सहनायिका खुर्शीद), शंकर-पारवती (१९४३), तथा धन्ना भगत (१९४५) में कमलादेवी ने जीवंत अभिनय किया। विवाह के कई वर्षों बाद एक और परंपरा को तोड़ते हुए कमलादेवी ने 'तलाक' का वाद स्थापित कर १९५५ में विवाह का अंत किया।
वर्ष १९३६ में कमला देवी कोंग्रेस समाजवादी दल की अध्यक्ष चुनी गईं जहाँ उनके सहयोगी जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया और मीनू मसानी जैसे प्रखर नेता थे। १९४० में द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ होते समय कमलादेवी लन्दन में थीं। उनहोंने तुरंत विश्व भ्रमण कर भारत की परिस्थिति और विश्व युद्ध के पश्चात स्वाधीनता हेतु वातावरण बनाने का कार्य आरम्भ कर दिया।
भारत की स्वतंत्रता के साथ आई विभाजन की त्रसदी से दात्कार्जूझते हुए कमला देवी ने शरणार्थियों के पुनर्वास के कार्य में खुद को झोंक दिया। उनहोंने इन्डियन कोओपरेटिव यूनियन की स्थापना कर पुनर्वास तथा सहकारिता आधारित नगर निर्माण की संकल्पना को मूर्त रूप दिया। भारत सरकार विशेषकर जवाहरलाल नेहरु ने इस शर्त पर अनुमति दी कि वे सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मांगेंगी। कमलादेवी ने असाधारण जीवत का परिचय देते हुए नार्थ वेस्ट फ्रंटीयार से आये ५०.००० से अधिक शरणार्थियों के लिए दिल्ली की सीमा पर फरीदाबाद नगर का निर्माण कराया। उनहोंने शरणार्थियों को रहने के लिए घर तथा आजीविका चलाने के लिए नया काम-धंधा सिखाने, तथा स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करने के लिए खुद को झोंक दिया।
जीवन के उत्तरार्ध में भारतीय हस्तशिल्प तथा हस्तकलाओं के संरक्षण, उन्नयन तथा आजीविका-साधन के रूप में विकास के प्रति कमला देवी समर्पित रहीं। उनहोंने नेहरू जी द्वारा पश्चिमी देशों से विशाल उत्पादन तकनीक को उद्योग जगत में लाने के प्रयासों से हत्शिल्प और हस्तकलाओं पर संभावित दुष्प्रभावों से बचाने का सफल प्रयास लगातार किया। असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के लिए क्राफ्ट म्यूजियम स्थापित कर उन्हें पारंपरिक कलाओं के भण्डार ग्रहों और विक्रय केन्द्रों के रूप में विकसित किया। इसक श्रेष्ठ उदाहरण थियेटर क्राफ्ट्स म्यूजियम दिल्ली है।उन्होंने शिल्प और कलाओं को उन्नत करने के साथ-साथ श्रेष्ठ कलाकारों-शिल्पकारों को प्रोत्साहित करने के लिए, उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने, उन्हें पुरस्कृत करने तथा उनकी कलाकृतियों को पारंपरिक गौरव के साथ जोड़कर क्रय करने की मानसिकता पूरे देश में विकसित की। १९६४ में कमला देवी ने भारतीय नाट्य संघ के अंतर्गत नाट्य इन्स्टीट्यट ऑफ़ कत्थक एंड कोरिओग्राफी बेंगलुरु का श्री गणेश किया तथा यूनेस्को से सम्बद्ध कराया। इसकी वर्तमान निदेशक श्रीमती माया राव हैं।
कमलादेवी अपने समय से बहुत आगे रहने वाली महिला रत्न थीं। वे आल इण्डिया हिन्दी क्राफ्ट बोर्ड की स्थापना के मूल में थीं तथा इसकी प्रथम अध्यक्ष रहीं। क्राफ्ट कौंसिल ऑफ़ इंडिया, को विश्व क्राफ्ट्स कौंसिल एशिया-पेसिफिक रीजन का प्रथम अध्यक्ष होने का गौरव कमलादेवी ने ही दिलाया। कालांतर में उनहोंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा की स्थापना, संगीत-नाटक अकादमी की अध्यक्षता तथा यूनेस्को के सदस्य के रूप में महती भूमिका का निर्वहन किया। १९८६ में उनकी आत्मकथा 'इनर रिसेसेस एंड आउटर स्पेसेस' प्रकाशित हुई।
पुरस्कार-सम्मान:
वर्ष १९५५ में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म भूषण' तथा १९८७ में द्वितीय सर्वोच्च नागरिक अलंकरण 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। उन्हें वर्ष १९६६ में सामुदायिक नेतृत्व हेतु विश्व विख्यात रमनमैगसाय्साय पुरस्कार, संगीत-नाटक अकादमी से संगीत-नाटक अकादमी फेलोशिप व रत्न सदस्य तथा इंडियास नेशनल अकादमी ऑफ़ म्यूजिक, डांस एंड ड्रामा के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड जैसे सर्वोच्च पुरस्कार देकर संस्थाएं गौरंवान्वित हुईं। यूनेस्को ने १९७७ में उन्हें हस्तशिल्प के उन्नयन हेतु पुरस्कृत किया। शान्तिनिकेतन ने अपना सर्वोच्च 'देशिकोत्तम' पुरस्कार समर्पित किया।
भारत सरकार की मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा मार्च २०१७ में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला बुनकरों एवं शिल्पियों के लिए ‘कमलादेवी चट्टोपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार’ शुरू करने की घोषणा की गई है।
साहित्य:
कमला देवी ने अनेक पुस्तकों का प्रणयन किया है। प्रमुख है: १. The Awakening of Indian women, Everyman's Press, 1939. २. Japan-its weakness and strength, Padma Publications 1943.३. Uncle Sam's empire, Padma publications Ltd, 1944.४. In war-torn China, Padma Publications, 1944.५. Towards a National theatre, (All India Women's Conference, Cultural Section. Cultural books), Aundh Pub. Trust, 1945.६. America,: The land of superlatives, Phoenix Publications, 1946.७. At the Cross Roads, National Information and Publications, 1947.८. Socialism and Society, Chetana, 1950.९. Tribalism in India, Brill Academic Pub, 1978, ISBN 0706906527.१०. Handicrafts of India, Indian Council for Cultural Relations & New Age International Pub. Ltd., New Delhi, India, 1995. ISBN 99936-12-78-2.११. Indian Women's Battle for Freedom. South Asia Books, 1983. ISBN 0-8364-0948-5.१२. Indian Carpets and Floor Coverings, All India Handicrafts Board, 1974.१३. Indian embroidery, Wiley Eastern, 1977.१४. India's Craft Tradition, Publications Division, Ministry of I & B, Govt. of India, 2000. ISBN 81-230-0774-4.१५. Indian Handicrafts, Allied Publishers Pvt. Ltd, Bombay India, 1963.१६. Traditions of Indian Folk Dance.१७. The Glory of Indian Handicrafts, New Delhi, India: Clarion Books, 1985.१८. Inner Recesses, Outer Spaces: Memoirs, 1986. ISBN 81-7013-038-7.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय पर पुस्तकें: १.. Sakuntala Narasimhan, Kamaladevi Chattopadhyay. New Dawn Books, 1999. ISBN 81-207-2120-9. २. S.R. Bakshi, Kamaladevi Chattopadhyaya : Role for Women’s Welfare, Om, 2000, ISBN 81-86867-34-1.३. Reena Nanda, Kamaladevi Chattopadhyaya: A Biography (Modern Indian Greats), Oxford University Press, USA, 2002, ISBN 0-19-565364-5.४. Jamila Brij Bhushan, Kamaladevi Chattopadhyaya – Portrait of a Rebel, Abhinav Pub, 2003. ISBN 81-7017-033-8. ५. M.V. Narayana Rao (Ed.), Kamaladevi Chattopadhyay: A True Karmayogi. The Crafts Council of Karnataka: Bangalore. 2003 ६. Malvika Singh, The Iconic Women of Modern India – Freeing the Spirit. Penguin, 2006, ISBN 0-14-310082-3.७. Jasleen Dhamija, Kamaladevi Chattopadhyay, National Book Trust, 2007. ISBN 8123748825 ८. . Indra Gupta , India’s 50 Most Illustrious Women. ISBN 81-88086-19-3.
***
छंद सलिला :
राग और रागी जातीय छंद
*
हिंदी पिंगल में छ: रागों के आधार पर छ: मात्रिक छंद को 'रागी जातीय' छंद कहा गया है। 'षटराग' का अभ्यासी अपनी धुन में मस्त रहा और जन सामान्य उसे न 'खटरागी' कहकर उपहास करता रहा।
रागों के वर्गीकरण की परंपरागत पद्धति (१९वीं सदी तक) के अनुसार हर एक राग का परिवार है। मुख्य छः राग हैं पर विविध मतों के अनुसार उनके नामों व पारिवारिक सदस्यों की संख्या में अन्तर है। इस पद्धति को मानने वालों के चार मत हैं।
१. शिव मत इसके अनुसार छः राग माने जाते थे, प्रत्येक की छः-छः रागिनियाँ तथा आठ पुत्र हैं। इस मत में मान्य छः राग- १. राग भैरव, २. राग श्री, ३. राग मेघ, ४. राग बसंत, ५. राग पंचम, ६. राग नट नारायण हैं।
कल्लिनाथ मत- इसमें भी वही छः राग माने गए हैं जो शिव मत के हैं, पर रागिनियाँ व पुत्र-रागों में अन्तर है।
भरत मत- के अनुसार छः राग, प्रत्येक की पाँच-पाँच रागिनियाँ आठ पुत्र-राग तथा आठ पुत्र वधू हैं। इस मत में मान्य छः राग निम्नलिखित हैं- १. राग भैरव, २. राग मालकोश, ३. राग मेघ, ४. राग दीपक, ५. राग श्री, ६. राग हिंडोल।
हनुमान मत- इस मत के अनुसार भी छः राग वही हैं जो 'भरत मत' के हैं, परन्तु इनकी रागिनियाँ, पुत्र-रागों तथा पुत्र-वधुओं में अन्तर है।
ये चारों पद्धति १८१३ ई. तक चलीं तत्पश्चात पं॰ भातखंडे जी ने 'थाट राग' पद्धति का प्रचार व प्रसार किया।
*
विमर्श :
पंच यज्ञ
हर मनुष्य को ५ श्रेष्ठ कर्ण नियमित रूप से करना चाहिए. इन्हीं कर्मो का नाम यज्ञ है। ५ यज्ञों के आधार पर ५ मात्राओं के छंदों को याज्ञिक जातीय कहा गया है। ५ यज्ञ निम्न हैं-
१. ब्रह्मयज्ञ- प्रातः सूर्योदय से पूर्व तथा सायं सूर्यास्त के बाद जब आकाश में लालिमा हो तब एकांत स्थान में बैठ कर ईश्वर का ध्यान करना ब्रह्मयज्ञ (संध्या) है।
२. देवयज्ञ- अग्निहोत्र (हवन) देवयज्ञ है। हम अपने शरीर द्वारा वायु, जल और पृथ्वी को निरंतर प्रदूषित करते हैं। मानव निर्मित यंत्र भी प्रदूषणफैलाते हैं जिसे रोक वायु,जल और पृथ्वी को पवित्र करने हेतु हवन करना हमारा परम कर्तव्य है।
हवन में बोले मन्त्रों से मानसिक - आत्मिक पवित्रता एवं शान्ति प्राप्त होती है।
३. पितृ यज्ञ- जीवित माता पिता गुरुजनो और अन्य बड़ो की सेवा एवं आज्ञा पालन करना ही पितृ यज्ञ है।
४. अतिथि यज्ञ- घर आये विद्वान्,धर्मात्मा, स्नेही स्वजन आदि का सत्कार कर ज्ञान पाना अतिथि यज्ञ है।
५. बलिवैश्वदेव यज्ञ- पशु-पक्षी, कीट-पतंग आदि पर दया कर खाना-पानी देना बलिवैश्वदेव यज्ञ है।
***
।। वेदोक्त रात्रि सूक्त।।
*
। ॐ रजनी! जग प्रकाशें, शुभ-अशुभ हर कर्म फल दें।
।। विश्व-व्यापें देवी अमरा,ज्योति से तम नष्ट कर दें।।
*
। रात्रि देवी! भगिनी ऊषा को प्रगट कर मिटा दें तम।
।। मुदित हों माँ पखेरू सम, नीड़ में जा सो सकें हम ।।
*
। मनुज, पशु, पक्षी, पतंगे, पथिक आंचल में सकें सो।
।। काम वृक वासना वृकी को, दूर कर सुखदायिनी हो।।
*
। घेरता अज्ञान तम है, उषा!ऋणवत दूर कर दो।
।। पयप्रदा गौ सदृश रजनी!, व्योमपुत्रि!! हविष्य ले लो।।
***
***
दोहे पर्यावरण के
भारत की जय बोल
*
वृक्ष देव देते सदा, प्राणवायु अनमोल.
पौधारोपण कीजिए, भारत की जय बोल..
*
पौधारोपण से मिले, पुत्र-यज्ञ का पुण्य.
पेड़ काटने से अधिक, पाप नहीं है अन्य..
*
माँ धरती के लिये हैं, पत्ते वस्त्र समान.
आभूषण फल-फूल हैं, सर पर छत्र वितान..
*
तरु-हत्या दुष्कर्म है, रह नर इससे दूर.
पौधारोपण कर मिले, तुझे पुण्य भरपूर..
*
पेड़ कटे, वर्षा घटे, जल का रहे अभाव.
पशु-पक्षी हों नष्ट तो, धरती तप्त अलाव..
*
जीवनदाता जल सदा, उपजाता है पौध.
कलकल कलरव से लगे, सारी दुनिया सौध..
*
पौधे बढ़कर पेड़ हों, मिलें फूल,फल, नीड़.
फुदक-फुदक शुक-सारिका, नाचें देखें भीड़..
*
पेड़ों पर झूले लगें, नभ छू लो तुम झूल.
बसें देवता-देवियाँ. काटो मत तुम भूल..
*
पीपल में हरि, नीम में, माता करें निवास.
शिव बसते हैं बेल में, पूजो रख विश्वास..
*
दुर्गा को जासौन प्रिय, हरि को हरसिंगार.
गणपति चाहें दूब को, करिए सबसे प्यार..
*
शारद-लक्ष्मी कमल पर, 'सलिल' रहें आसीन.
पाट रहा तालाब नर, तभी हो रहा दीन..
३-४-२०१७
***
माहिया (त्रिपदियाँ)
*
हर मंच अखाडा है
लड़ने की कला गायब
माहौल बिगाड़ा है.
*
सपनों की होली में
हैं रंग अनूठे ही
सांसों की झोली में.
*
भावी जीवन के ख्वाब
बिटिया ने देखे हैं
महके हैं सुर्ख गुलाब
*
चूनर ओढ़ी है लाल
सपने साकार हुए
फिर गाल गुलाल हुए
*
मासूम हँसी प्यारी
बिखरी यमुना तट पर
सँग राधा-बनवारी
*
पत्तों ने पतझड़ से
बरबस सच बोल दिया
अब जाने की बारी
*
चुभने वाली यादें
पूँजी हैं जीवन की
ज्यों घर की बुनियादें
*
देखे बिटिया सपने
घर-आँगन छूट रहा
हैं कौन-कहाँअपने?
*
है कैसी अनहोनी?
सँग फूल लिये काँटे
ज्यों गूंगे की बोली
३-४-२०१६
***
बुन्देली दोहे
महुआ फूरन सों चढ़ो, गौर धना पे रंग।
भाग सराहें पवन के, चूम रहो अॅंग-अंग।।
मादल-थापों सॅंग परंे, जब गैला में पैर।
धड़कन बाॅंकों की बढ़े, राम राखियो खैर।।
हमें सुमिर तुम हो रईं, गोरी लाल गुलाल।
तुमें देख हम हो रए, कैसें कएॅं निहाल।।
मन म्रिदंग सम झूम रौ, सुन पायल झंकार।
रूप छटा नें छेड़ दै, दिल सितार कें तार।।
नेह नरमदा में परे, कंकर घाईं बोल।
चाह पखेरू कूक दौ, बानी-मिसरी घोल।।
सैन धनुस लै बेधते, लच्छ नैन बन बान।
निकरन चाहें पै नईं, निकर पा रए प्रान।।
तड़प रई मन मछरिया, नेह-नरमदा चाह।
तन भरमाना घाट पे, जल जल दे रौ दाह।।
अंग-अंग अलसा रओ, पोर-पोर में पीर।
बैरन ननदी बलम सें, चिपटी छूटत धीर।।
कोयल कूके चैत मा, देख बरे बैसाख।
जेठ जिठानी बिन तपे, सूरज फेंके आग।।
३-४-२०१६
***
क्षणिका
कानून और आदमी
*
क़ानून को
आम आदमी तोड़े
तो बदमाश
निर्बल तोड़े
तो शैतान
असहाय तोड़े
तो गुंडा
समर्थ या नेता
तोड़े तो निर्दोष
और अभिनेता
तोड़े तो
सहानुभूति का पात्र.
३-४-२-१३
***
गीत:
बिन तुम्हारे...
*
बिन तुम्हारे सूर्य उगता, पर नहीं होता सवेरा.
चहचहाते पखेरू पर डालता कोई न डेरा.
उषा की अरुणाई मोहे, द्वार पर कुंडी खटकती.
भरम मन का जानकर भी, दृष्टि राहों पर अटकती..
अनमने मन चाय की ले चाह जगकर नहीं जगना.
दूध का गंजी में फटना या उफन गिरना-बिखरना..
साथियों से बिना कारण उलझना, कुछ भूल जाना.
अकेले में गीत कोई पुराना फिर गुनगुनाना..
साँझ बोझिल पाँव, तन का श्रांत, मन का क्लांत होना
याद के बागों में कुछ कलमें लगाना, बीज बोना..
विगत पल्लव के तले, इस आज को फिर-फिर भुलाना.
कान बजना, कभी खुद पर खुद लुभाना-मुस्कुराना..
बिन तुम्हारे निशा का लगता अँधेरा क्यों घनेरा?
बिन तुम्हारे सूर्य उगता, पर नहीं होता सवेरा.
३-४-२०११
***

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

अप्रैल २, युगतुलसी, व्यंग्य, सॉनेट, पवन, चित्रगुप्त, दुर्गा, हनुमान, दोहा, मात्रा, कत्अ

सलिल सृजन २ अप्रैल
*
स्मरण युगतुलसी
युगतुलसी में तुलसी युग था
राम नाम हर श्वास गुँजाया
हुलसी हुलसी तुलसी पाकर पुत्र रामबोला दे खोई
बोला राम राम आजीवन मानस रच नव आशा बोई
मर्यादा पुरुषोत्तम सर्वोत्तम जन जन हृदय के बसाया
युगतुलसी में तुलसी युग था राम नाम हर श्वास गुँजाया
नेह नर्मदा तट साक्षी तुलसी- युगतुलसी राम-लीन थे
सिया-राम-हनुमान नाम पल पल गुंजित कर रही बीन थे
राम भक्ति में लीन हुए वै, रिम नाम पर्याय बनाया
युगतुलसी में तुलसी युग था राम नाम हर श्वास गुँजाया
गए नर्मदा तट से गंगा सरयू तट पर राम रमाया
राम चरित मानस जन गण के मानस में रोपा विकसाया
राम-भक्ति सलिला प्रवहित कर भव को भव से पार कराया
युगतुलसी में तुलसी युग था राम नाम हर श्वास गुँजाया
२.४.२०२४
•••
व्यंग्य रचना 
छंद जाए भाड़ में
*
हो रही नीलाम कविता छंदमय बाज़ार में।  
जेब में नगदी नहीं तो लो खरीद उधार में।।

टके के हैं तीन छंदाचार्य इंटरनेट पर।
सिखाते आधा-अधूरा ज्ञान वे व्यवहार में।।

मूलत: है छंद वाचिक जो नहीं यह जानते
है नहीं लौकिक या वैदिक छंद छंदागार में।।

वर्ण-मात्रा से अधिक कुछ भी न जानें जो वही
ग्रंथ पिंगल के लिखें नित; शून्य जो उच्चार में।।

वास्ता लय; नाद या आलाप से किंचित नहीं
तानसेनी विरासत कहते मिली किरदार में।।

चेलियाँ भाती बहुत करते अलंकृत नित उन्हें।
छोड़ पति बच्चे गृहस्थी जो भ्रमित छनकार में।।

राशियाँ ले; दे रहे सम्मान अनगिन रोज ही।
विश्व सम्मेलन हुआ धंधा नया आचार में।।

कर रहे प्रतिबद्ध लेखन नहीं सच से वास्ता।
पथ दिखाते दृष्टि खो; रह अकादमी सरकार में।।
२.४.२०२४
***
सॉनेट
पवन
झोंका बन पुलके झकझोर
अंतर्मन में उठा हिलोर
रवि-ऊषा बिन उज्जवल भोर
बन आलिंगन दे चितचोर
गाए मिलन-विरह के गीत
लूटे लुटा हमेशा प्रीत
हँसे हार ज्यों पाई जीत
तोड़-बनाए पल-पल रीत
कोई सकता कभी न रोक
कोई सके न किंचित टोक
होता विकल न करता शोक
पैना बहुत न लेकिन नोक
संगी भू नभ सलिल अगन
चिरजीवी हो पवन मगन
२-४-२०२२
•••
भजन
तुमखों सुमिरूँ चित्रगुप्त प्रभु, भव सागर सें पार करो।
डगमग डगमग नैया डोले, झटपट आ उद्धार करो।।
*
तुमईं बिरंचि सृष्टि रच दी, हरि हो खें पालन करते हो।
हर हो हर को चरन सरन दे, सबकी झोली भरते हो।।
ध्यान धरम कछू आउत नइयां, तुमई हमाओ ध्यान धरो।
तुमखों सुमिरूँ चित्रगुप्त प्रभु, भव सागर सें पार करो।।
*
जैंसी करनी तैंसी भरनी, न्याओ तुमाओ है सच्चो।
कैसें महिमा जानौं तुमरी, ज्ञान हमाओ है कच्चो।।
मैया नंदिनी-इरावती सें, बिनती सिर पर हाथ धरो।
तुमखों सुमिरूँ चित्रगुप्त प्रभु, भव सागर सें पार करो।।
*
सादर मैया किरपा करके, मोरी मत निरमल कर दें।
काम क्रोध मद मोह लोभ हर, भगति भाव जी भर, भर दें।
कान खैंच लो भले पर पिता, बाँहों में भर प्यार करो।
तुमखों सुमिरूँ चित्रगुप्त प्रभु, भव सागर सें पार करो।।
२-४-२०२१
***
कार्यशाला : कुण्डलिया
जाने कितनी हो रही अपने मन में हूक।
क्यों होती ही जारही अजब चूक पर चूक। - रामदेव लाल 'विभोर'
अजब चूक पर चूक, विधाता की क्या मर्जी?
फाड़ रहा है वस्त्र, भूलकर सिलना दर्जी
हठधर्मी या जिद्द, पड़ेगी मँहगी कितनी?
ले जाएगी जान, न जाने जानें कितनी - संजीव
चिंतन
दुर्गा पूजा
*
एक प्रश्न
बचपन में सुना था ईश्वर दीनबंधु है, माँ पतित पावनी हैं।
आजकल मंदिरों के राजप्रासादों की तरह वैभवशाली बनाने और सोने से मढ़ देने की होड़ है।
माँ दुर्गा को स्वर्ण समाधि देने का समाचार विचलित कर गया।
इतिहास साक्षी है देवस्थान अपनी अकूत संपत्ति के कारण ही लूट को शिकार हुए।
मंदिरों की जमीन-जायदाद पुजारियों ने ही खुर्द-बुर्द कर दी।
सनातन धर्म कंकर कंकर में शंकर देखता है।
वैष्णो देवी, विंध्यवासिनी, कामाख्या देवी अादि प्राचीन मंदिरों में पिंड या पिंडियाँ ही विराजमान हैं।
परम शक्ति अमूर्त ऊर्जा है किसी प्रसूतिका गृह में उसका जन्म नहीं होता, किसी श्मशान घाट में उसका दाह भी नहीं किया जा सकता।
थर्मोडायनामिक्स के अनुसार इनर्जी कैन नीदर बी क्रिएटेड नॉर बी डिस्ट्रायड, कैन ओनली बी ट्रांसफार्म्ड।
अर्थात ऊर्जा का निर्माण या विनाश नहीं केवल रूपांतरण संभव है।
ईश्वर तो परम ऊर्जा है, उसकी जयंती मनाएँ तो पुण्यतिथि भी मनानी होगी।
निराकार के साकार रूप की कल्पना अबोध बालकों को अनुभूति कराने हेतु उचित है किंतु मात्र वहीं तक सीमित रह जाना कितना उचित है?
माँ के करोड़ों बच्चे महामीरी में रोजगार गँवा चुके हैं, अर्थ व्यवस्था के असंतुलन से उत्पादन का संकट है, सरकारें जनता से सहायता हेतु अपीलें कर रही हैं और उन्हें चुननेवाली जनता का अरबों-खरबों रुपया प्रदर्शन के नाम पर स्वाहा किया जा रहा है।
एक समय प्रधान मंत्री को अनुरोध पर सोमवार अपराह्न भोजन छोड़कर जनता जनार्दन ने सहयोग किया था। आज अनावश्यक साज-सज्जा छोड़ने के लिए भी तैयार न होना कितना उचित है?
क्या सादगीपूर्ण सात्विक पूजन कर अपार राशि से असंख्य वंचितों को सहारा दिया जाना बेहतर न होगा?
संतानों का घर-गृहस्थी नष्ट होते देखकर माँ स्वर्णमंडित होकर प्रसन्न होंगी या रुष्ट?
दुर्गा सप्तशती में महामारी को भी भगवती कहा गया है। रक्तबीज की तरह कोरोना भी अपने अंश से ही बढ़ता है। रक्तबीज तभी मारा जा सका जब रक्त बिंदु का संपर्क समाप्त हो गया। रक्त बिंदु और भूमि (सतह) के बीच सोशल कॉन्टैक्ट तोड़ा था मैया ने। आज बेटों की बारी है। कोरोना वायरस और हवा, मानवांग या स्थान के बीच सोशल कॉन्टैक्ट तोड़कर कोरोना को मार दें। यह न कर कोरोना के प्रसार में सहायक जन देशद्रोही ही नहीं मानव द्रोही भी हैं। उनके साथ कानून वही करे जो माँ ने शुंभ-निशुंभ के साथ किया। कोरोना को मानव बम बनाने की सोच को जड़-मूल से ही मिटाना होगा।
२-४-२०२०
*
जप ले मम हनुमान: गौतम बुद्ध नगर निवासी हनुमद्भक्त रीता सिवानी द्वारा रचित ४० भक्ति प्रधान दोहों का नित्य पाठ करने योग्य संग्रह। आरंभ में शुभ कामना ९ दोहों के रूप में
जय गणेश विघ्नेश्वर, ऋद्धि-सिद्धि के नाथ।
कर्मदेव श्री चित्रगुप्त, रखिए सिर पर हाथ।।
सिया राम सह पवनसुत, वंदन कर स्वीकार।
करें कृपा संजीव हो, मम मन तव आगार।।
रीता मन-घट भर प्रभु, कृपा सलिल से नित्य।
विधि-हरि-हर हर विधि करें, हम पर कृपा अनित्य।।
प्रिय रीता दोहा रचे, प्रभु का कर गुणगान।
पवन-अंजनी सुत सहित, करें अभय मतिमान।।
सरस-सहज दोहे सभी, भक्ति-भाव भरपूर।
पढ़-सुन हर दिन गाइए, प्रभु हों सदय जरूर।।
हनुमतवत नि:स्वार्थ हों, काम करें निष्काम।
टेरें जब 'आ राम' हम, बैठें मन आ राम।।
प्रभु रीता-मनकामना, करिए पूर्ण तुरंत।
कीर्ति आपकी व्यापती, पल-पल दिशा-दिगंत।।
सफल साधना कर रहे, मन्वन्तर तक नाम।
तुहिना सम जीवन जिएँ, निर्मल अरु अभिराम।।
शब्द-शब्द 'जय हनु' कहे, दोहा-दोहा राम।
सीता सी लय साथ हो, जय प्रभु पूरनकाम।।
***
रीता उवाच:
निश्छल मन से जो जपे, जय जय जय हनुमान।
कृपा करें उन पर सदा, हनुमत कृपानिधान।।
लंकापति का तोड़कर, लंका में अभिमान।
सीता माता का पता, ले आए हनुमान।।
तोड़े रावण-भीम से, बलियों के अभिमान।
हनुमत जैसा कौन है, इस जग में बलवान।।
ग्यारहवें अवतार हैं, शंकर के हनुमान।
मद में रावण कह गया, उनको कपि नादान।।
कहे सुने हनुमत-कथा, मम से- जो इंसान।
उस पर करते हैं कृपा, जग के कृपानिधान।।
***
मुक्तक
*
सिर्फ पानी नहीं आँसू, हर्ष भी हैं दर्द भी।
बहाती नारी न केवल, हैं बनाते मर्द भी।।
गर प्रवाहित हों नहीं तो हृदय ही फट जाएगा-
हों गुलाबी-लाल तो होते कभी ये जर्द भी।।
***
मुक्तिका
*
अभावों का सूर्य, मौसम लापता बरसात का।
प्रभातों पर लगा पहरा अंधकारी रात का।।
वास्तव में श्री लिए जो वे न रह पाए सुबोध
समय जाने कब कहेगा दर्द इस संत्रास का।।
जिक्र नोटा का हुआ तो नोटवाले डर गए
संकुचित मजबूत सीने विषय है परिहास का।।
लोकतंत्री निजामत का राजसी देखो मिजाज
हार से डर कर बदलता हाय डेरा खास का।।
सांत्वना है 'सलिल' इतनी लोग सच सुन सनझते
मुखौटा हर एक नेता है चुनावी मास का।।
२-४-२०१९
***
दोहा लेखन विधान
१. दोहा द्विपदिक छंद है। दोहा में दो पंक्तियाँ (पद) होती हैं। हर पद में दो चरण होते हैं।
२. दोहा मुक्तक छंद है। कथ्य (जो बात कहना चाहें वह) एक दोहे में पूर्ण हो जाना चाहिए।
३. विषम (पहला, तीसरा) चरण में १३-१३ तथा सम (दूसरा, चौथा) चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
४. तेरह मात्रिक पहले तथा तीसरे चरण के आरंभ में एक शब्द में जगण (लघु गुरु लघु) वर्जित होता है।
६. सम चरणों के अंत में गुरु लघु मात्राएँ आवश्यक हैं।
५. विषम चरणों की ग्यारहवीं मात्रा लघु हो तो लय भंग होने की संभावना कम (समाप्त नहीं) हो जाती है।
८. हिंदी दोहाकार हिंदी व्याकरण नियमों का पालन करें। दोहा में वर्णिक छंद की तरह लघु को गुरु या गुरु को लघु पढ़ने की छूट नहीं होती।
७. हिंदी में खाय, मुस्काय, आत, भात, आब, जाब, डारि, मुस्कानि, हओ, भओ जैसे देशज शब्द-रूपों का उपयोग न करें। बोलियों में दोहा रचना करते समय उस बोली का शुद्ध रूप व्यवहार में लाएँ।
९. श्रेष्ठ दोहे में लाक्षणिकता, संक्षिप्तता, मार्मिकता (मर्मबेधकता), आलंकारिकता, स्पष्टता, पूर्णता तथा सरसता होना चाहिए।
१०. दोहे में संयोजक शब्दों और, तथा, एवं आदि का प्रयोग यथा संभव न करें। औ' वर्जित 'अरु' स्वीकार्य। 'न' सही, 'ना' गलत। 'इक' गलत।
११. दोहे में कोई भी शब्द अनावश्यक न हो। शब्द-चयन ऐसा हो जिसके निकालने या बदलने पर दोहा अधूरा सा लगे।
१३. दोहा में विराम चिन्हों का प्रयोग यथास्थान अवश्य करें।
१२. दोहे में कारक (ने, को, से, के लिए, का, के, की, में, पर आदि) का प्रयोग कम से कम हो।
१४. दोहा सम तुकान्ती छंद है। सम चरण के अंत में समान तुक आवश्यक है।
२. कम समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की एक तथा अधिक समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की दो मात्राएँ गिनी जाती हैंं।
१५. दोहा में लय का महत्वपूर्ण स्थान है। लय के बिना दोहा नहीं कहा जा सकता।
*
मात्रा गणना नियम
१. किसी ध्वनि-खंड को बोलने में लगनेवाले समय के आधार पर मात्रा गिनी जाती है।
४. शेष वर्णों की दो-दो मात्रा गिनें। जैसे- आम = २१ = ३, काकी = २२ = ४, फूले २२ = ४, कैकेई = २२२ = ६, कोकिला २१२ = ५, और २१ = ३आदि।
३. अ, इ, उ, ऋ तथा इन मात्राओं से युक्त वर्ण की एक मात्रा गिनें। उदाहरण- अब = ११ = २, इस = ११ = २, उधर = १११ = ३, ऋषि = ११= २, उऋण १११ = ३ आदि।
५. शब्द के आरंभ में आधा या संयुक्त अक्षर हो तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा। जैसे गृह = ११ = २, प्रिया = १२ =३ आदि।
६. शब्द के मध्य में आधा अक्षर हो तो उसे पहले के अक्षर के साथ गिनें। जैसे- क्षमा १+२, वक्ष २+१, विप्र २+१, उक्त २+१, प्रयुक्त = १२१ = ४ आदि।
७. रेफ को आधे अक्षर की तरह गिनें। बर्रैया २+२+२आदि।
९. अपवाद स्वरूप कुछ शब्दों के मध्य में आनेवाला आधा अक्षर बादवाले अक्षर के साथ गिना जाता है। जैसे- कन्हैया = क+न्है+या = १२२ = ५आदि।
१०. अनुस्वर (आधे म या आधे न के उच्चारण वाले शब्द) के पहले लघु वर्ण हो तो गुरु हो जाता है, पहले गुरु होता तो कोई अंतर नहीं होता। यथा- अंश = अन्श = अं+श = २१ = ३. कुंभ = कुम्भ = २१ = ३, झंडा = झन्डा = झण्डा = २२ = ४आदि।
११. अनुनासिक (चंद्र बिंदी) से मात्रा में कोई अंतर नहीं होता। धँस = ११ = २आदि। हँस = ११ =२, हंस = २१ = ३ आदि।
मात्रा गणना करते समय शब्द का उच्चारण करने से लघु-गुरु निर्धारण में सुविधा होती है। इस सारस्वत अनुष्ठान में आपका स्वागत है। कोई शंका होने पर संपर्क करें।
विमर्श,
'कत्अ'
*
'कत्अ' उर्दू काव्य का एक हिस्सा है। 'कत्अ' का शब्दकोशीय अर्थ 'टुकड़ा या भूखंड' है। 'उर्दू नज़्म की एक किस्म जिसमें गज़ल की तरह काफ़िए की पाबन्दी होती है और जिसमें कोई एक बात कही जाती है'१ कत्अ है। 'कत्अ' को सामान्यत: 'कता' कह या लिख लिया जाता है।
'प्राय: गज़लों में २-३ या इससे अधिक अशार ऐसे होते थे जो भाव की दृष्टि से एक सुगठित इकाई होते थे, इन्हीं को (गजल का) कता कहते थे।'... 'अब गजल से स्वतंत्र रूप से भी कते कहे जाते हैं। आजकल के कते चार मिसरों के होते हैं (वैसे यह अनिवार्य नहीं है) जिसमें दूसरे और चौथे मिसरे हमकाफिया - हमरदीफ़ होते हैं।२
'कत्अ' के अर्थ 'काटा हुआ' है। यह रूप की दृष्टि से गजल और कसीदे से मिलता-जुलता है। यह गजल या कसीदे से काटा हुआ प्रतीत होता है। इसमें काफिये (तुक) का क्रम वही होता है जो गजल का होता है। कम से कम दो शे'र होते हैं, ज्यादा पर कोइ प्रतिबन्ध नहीं है। इसमें प्रत्येक शे'र का दूसरा मिस्रा हम काफिया (समान तुक) होता है। विषय की दृष्टि से सभी शे'रों का एक दूसरे से संबंध होना जरूरी होता है। इसमें हर प्रकार के विषय प्रस्तुत किये जा सकते हैं।३
ग़ालिब की मशहूर गजल 'दिले नादां तुझे हुआ क्या है' के निम्न चार शे'र 'कता' का उदाहरण है-
जबकि तुम बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ खुदा क्या है।
ये परि चेहरा लोग कैसे हैं
गम्ज़-ओ-इश्व-ओ-अदा क्या है।
शिकने-जुल्फ़े-अंबरी क्यों है
निग्हे-चश्मे-सुरमा सा क्या है।
सब्ज़-ओ-गुल कहाँ से आये है
अब्र क्या चीज़ है, हवा क्या है।
फैज़ का एक कता देखें-
हम खस्तातनों से मुहत्सिबो, क्या माल-मनाल की पूछते हो।
इक उम्र में जो कुछ भर पाया, सब सामने लाये देते हैं
दमन में है मुश्ते-खाके-जिगर, सागर एन है कहने-हसरते-मै
लो हमने दामन झाड़ दिया, लो जाम उलटाए देते हैं
यह बिलकुल स्पष्ट है कि कता और मुक्तक समानार्थी नहीं हैं।
***
सन्दर्भ- १. उर्दू हिंदी शब्दकोष, सं. मु. मुस्तफा खां 'मद्दाह', पृष्ठ ९५, २. उर्दू कविता और छन्दशास्त्र, नरेश नदीम पृष्ठ १६, ३.उर्दू काव्य शास्त्र में काव्य का स्वरुप, डॉ. रामदास 'नादार', पृष्ठ ८५-८६, ४.
***
मुक्तिका
*
कद छोटा परछाईं बड़ी है.
कैसी मुश्किल आई घड़ी है.
*
चोर कर रहे पहरेदारी
सच में सच रुसवाई बड़ी है..
*
बैठी कोष सम्हाले साली
खाली हाथों माई खड़ी है..
*
खुद पर खर्च रहे हैं लाखों
भिक्षुक हेतु न पाई पड़ी है..
*
'सलिल' सांस-सरहद पर चुप्पी
मौत शीश पर आई-अड़ी है..
२-४-२०१७
***
हाइकु के रंग भोजपुरी के संग '
*
आपन त्रुटि
दोसरा माथे मढ़
जीव ना छूटी..
*
बिना बात के
माथा गरमाइल
केतना फीका?.
*
फनफनात
मेहरारू, मरद
हिनहिनात..
*
बांझो स्त्री के
दिल में ममता के
अमृत-धार..
*
धूप-छाँव बा
नजर के असर
छाँव-धूप बा..
*
तन एहर
प्यार-तकरार में
मन ओहर..
*
झूठ न होला
कवनो अनुभव
बोल अबोला..
*
सबुर दाढे
मेवा फरेला पर
कउनो हद?.
*
घर फूँक के
तमाशा देखल
समझदार?.
२-४-२०१०

***




सोमवार, 1 अप्रैल 2024

अप्रैल १, सोरठा, यमक, श्लेष, भुजंगप्रयात, रामकिंकर, मुक्तिका, महाभुजंगप्रयात सवैया, गीत

सलिल सृजन १ अप्रैल
*
स्मरण युगतुलसी
युगतुलसी को नमन करो तो राम नमन हो जाता है।
युगतुलसी का भजन करो तो राम भजन हो जाता है।।
शिव जी भजते सदा राम को, राम भजें शिवशंकर को।
सत्-शिव-सुंदर राह चलो तो प्रभु-दर्शन हो जाता है।।
धनुष-बाण या चक्र सुदर्शन प्रभु को दोनों ही सोहें।
सरयू जी का जमुना जी से जन्म-जन्म का नाता है।।
हरि अनंत हरि कथा अनंता आदि-अंत है कहीं नहीं।
हनुमत पूजो, उर बैठे रघुवर पूजन हो जाता है।।
१.४.२०२४ 
•••
अप्रैल कब? क्या??
०१. मूर्ख (एप्रिल फूल) दिवस 

०२. १७८३ अमेरिकी लेखक वाशिंगटन इरविंग (निधन १८५९) जन्म न्यूयॉर्क, १७९२ पहली अमरीकी टकसाल फिलाडेल्फिया, १८६३ वर्जीनिया ब्रेड दंगा, १८०५ परी कथा लेखक हंस क्रिश्चियन एंडरसन (निधन १८७५) का जन्म ओडेंस डेनमार्क, १८४० एमिल ज़ोला फ्रांसीसी लेखिका (निधन १९०२), १९८२ फाकलैंड द्वीप युद्ध अर्जेन्टीना-इंग्लैंड आरंभ

०३. १९४४ अफ्रीकी अमरीकियों को मताधिकार टेक्सास, १९४८ साम्यवाद को रोकने व यूरोपीय देशों की अर्थ व्यवस्था सुधारने हेतु मार्शल योजना अमरीकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन द्वारा हस्ताक्षरित, १९९५ न्यायाधीश सैंड्रा डे ओ'कॉनर अमरीकी सुप्रीम कोर्ट की प्रथम अध्यक्ष      

०४. १८०२ अमेरिकी समाज सुधारक डोरोथिया डिक्स (निधन १८८७) जन्म हैम्पडेन, मेन, १८८७ अमेरिका में पहली महिला मेयर सुज़ाना एम. साल्टर अरगोनिया, कंसास, १९४९ उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो गठित), १९६८ डॉ. मार्टिन लूथर किंग (१९६४ नोबल पुरस्कार) मेम्फिस, टेनेसी में हत्या, 

०६. १४८३ पुनर्जागरण कलाकार राफेल (निधन १५२०) का जन्म उरबिनो इटली, १८९६ वर्ष बाद पहला ओलंपिक एथेंस ग्रीस, १९१७ अमेरिका  प्रथम विश्व युद्ध में शामिल, १९९४ रवांडा नरसंहार हुतु- तुत्सी जनजातीय संघर्ष आरंभ ५ लाख मारे, २० लाख देश छोड़ भागे  

०७. १७१२ काले गुलाम विद्रोह न्यूयार्क 

०८. ५६३ ई.पू. बुद्ध (निधन ४८३ ई.पू.) जयंती, १९१३ अमेरिका १७ वाँ संविधान संशोधन अमरीकी सेनेटरों राज्य विधान सभाओं के स्थान पर का चुनाव जनता द्वारा, 

०९. १८६५ अमरीकी गृह युद्ध समाप्त ५ लाख से अधिक मौतें  जनरल रॉबर्ट ई. ली ने एपोमैटॉक्स कोर्ट हाउस के गांव में विल्मर मैकलीन के घर में जनरल यूलिसिस एस. ग्रांट के सामने आत्मसमर्पण किया, १८६६ राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के वीटो के बावजूद नागरिक अधिकार विधेयक कांग्रेस द्वारा पारित श्वेतों को अमेरिकी नागरिकता के अधिकार, १८९८ अफ्रीकी अमेरिकी अभिनेता-गायक पॉल रॉबसन (निधन १९७६) जन्म प्रिंसटन न्यू जर्सी 

१०. १८४७ प्रकाशक जोसेफ पुलिट्ज़र जन्म १९४२ (निधन १९११) बुडापेस्ट हंगरी, द्वितीय विश्व युद्ध प्रशांत क्षेत्र बाटन डेथ मार्च ७६ हजार युद्धबंदी बेटन-कैबानाटुआन ६० किलोमीटर  ६ दिन बिना भोजन-पानी ५००० मरे, १९४५ नाजी एकाग्रता शिविर बुचेनवाल्ड अमरीकी सैनिक मुक्त। १९९८ उत्तरी आयरलैंड हिंसा निषेध समझौता 

११. १९६८ अमरीका नागरिक अधिकार अधिनियम राष्ट्रपति लिंडन बी. जानसन द्वारा हस्ताक्षरित, १९७० अपोलो १३ प्रक्षेपित केपकेनेडी, 

१२. १८६१ अमरीकी गृह युद्ध आरंभ, १९४५  अमरीकी राष्ट्रपति फ्रेंकलीन डी. रुजवेल्ट मृत्यु वॉर्म स्प्रिंग जॉर्जिया, १९६१ यूरी गगरीन प्रथम अंतरिक्ष यात्री वोस्टोक १ यान 

१३. १७४३ अमरीकी राष्ट्रपति थॉमस जेफर्सन जन्म (निधन ४.७.१८२६) अल्बर्टमारले वर्जीनिया, 

१४.  १८२८ अमेरिकन डिक्शनरी ऑफ द इंग्लिश लैंग्वेज  प्रकाशित, १८६५ अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या 

१५.  १८१७ प्रथम बधिर विद्यालय हार्डफोर्ड कनेक्टिकट थॉमस एच. गैलॉडेट और लॉरेंट क्लर्क द्वारा, १९१२ टाईटेनिक जलयान डूबा न्यूफाउंडलैंड 

१६.१८६२ कोलंबिया दासता समाप्त, १८६७ अमरीकी विमानक विलबर राइट जन्म (निधन मई १९१२, टाइफाइड) इंडियाना, १८८९ हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन जन्म लंदन (निधन १९७७), 

17 अप्रैल, 1961 - क्यूबा के प्रधान मंत्री फिदेल कास्त्रो को उखाड़ फेंकने का अमेरिका समर्थित प्रयास विनाशकारी रूप से विफल रहा, जिसे बे ऑफ पिग्स असफलता के रूप में जाना जाता है। लगभग 1,400 कास्त्रो-विरोधी निर्वासितों ने पिग्स की खाड़ी के साथ द्वीप के दक्षिणी तट पर आक्रमण किया, लेकिन 20,000 क्यूबाई सैनिकों ने उन पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित और निर्देशित, निर्वासितों को अमेरिकी सैन्य विमानों से समर्थन और द्वीप पर कास्त्रो विरोधी विद्रोहियों से मदद की उम्मीद थी। इसके बजाय, दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण, उन्होंने बिना किसी सहारे के अपना बचाव किया। असफल आक्रमण ने क्यूबा के राजनीतिक सहयोगी, सोवियत रूस और राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के नवोदित प्रशासन के बीच शीत युद्ध के तनाव को बढ़ा दिया। अगले वर्ष, रूसियों ने खुलेआम क्यूबा में परमाणु मिसाइलें स्थापित कीं, जिसके परिणामस्वरूप क्यूबा मिसाइल संकट पैदा हुआ।

17 अप्रैल, 1989 - लगभग एक दशक के संघर्ष के बाद पोलिश श्रमिक संघ सॉलिडेरिटी को कानूनी दर्जा दिया गया, जिससे पोलिश कम्युनिस्ट पार्टी के पतन का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके बाद हुए चुनावों में, सॉलिडैरिटी उम्मीदवारों ने 100 संसदीय सीटों में से 99 सीटें जीतीं और अंततः लेक वालेसा के नेतृत्व वाली सॉलिडेरिटी सरकार को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जन्मदिन - अमेरिकी फाइनेंसर जॉन पियरपोंट (जेपी) मॉर्गन (1837-1913) का जन्म हार्टफोर्ड, कनेक्टिकट में हुआ था। उन्होंने असाधारण प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन किया, कई असफल कंपनियों को पुनर्गठित और समेकित करके उन्हें लाभदायक बनाया। उनकी व्यापक रुचियों में बैंकिंग, इस्पात, रेलमार्ग और कला संग्रह शामिल थे। 1895 में, उन्होंने खजाने को फिर से भरने के लिए साथी फाइनेंसरों के बीच एक निजी बांड बिक्री करके असफल अमेरिकी खजाने की सहायता की।

18 अप्रैल, 1775 - पॉल रेवरे और विलियम डावेस की आधी रात की सवारी तब हुई जब दो व्यक्ति लेक्सिंगटन और कॉनकॉर्ड में देशभक्तों को ब्रिटिशों के बारे में चेतावनी देने के लिए रात 10 बजे के आसपास बोस्टन से बाहर निकले।

18 अप्रैल, 1906 - सैन फ्रांसिस्को में सुबह 5:13 बजे भूकंप आया, जिसके बाद लकड़ी के पलटे हुए स्टोव और टूटे हुए गैस पाइपों से भीषण आग लग गई। आग तीन दिनों तक बेकाबू रही, जिसके परिणामस्वरूप 10,000 एकड़ से अधिक संपत्ति नष्ट हो गई और 4,000 लोगों की जान चली गई।

18 अप्रैल, 1942 - द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मुख्य भूमि जापान पर पहला हवाई हमला तब हुआ जब जनरल जेम्स डूलिटल ने वाहक हॉर्नेट से टोक्यो और तीन अन्य शहरों पर बमबारी करने के लिए बी -25 बमवर्षकों के एक स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया। क्षति न्यूनतम थी, लेकिन वर्षों की अनियंत्रित जापानी सैन्य प्रगति के बाद छापे ने मित्र देशों का मनोबल बढ़ा दिया।

18 अप्रैल, 1982 - इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1867 के ब्रिटिश उत्तरी अमेरिका अधिनियम की जगह कनाडा संविधान अधिनियम 1982 पर हस्ताक्षर किए, जिससे कनाडा को मौलिक कानूनों और नागरिक अधिकारों का एक नया सेट प्रदान किया गया।

जन्मदिन - अमेरिकी वकील क्लेरेंस डैरो (1857-1938) का जन्म किंसमैन, ओहियो में हुआ था। उन्होंने अलोकप्रिय मुद्दों का समर्थन किया और उन्हें स्कोप्स 'मंकी ट्रायल' के लिए जाना जाता है जिसमें उन्होंने एक शिक्षक का बचाव किया था जिसने विकासवाद का सिद्धांत पढ़ाया था।

19 अप्रैल, 1775 - मैसाचुसेट्स में भोर में, लगभग 70 सशस्त्र मिलिशिया ब्रिटिश अग्रिम गार्ड इकाई के साथ लेक्सिंगटन ग्रीन पर आमने-सामने खड़े थे। एक अव्यवस्थित 'दुनिया भर में सुनी गई गोली' ने अमेरिकी क्रांति की शुरुआत की । ब्रिटिश राइफल की गोलीबारी के बाद संगीनों से हमला किया गया, जिसमें आठ अमेरिकी मारे गए और दस घायल हो गए।

19 अप्रैल, 1943 - वारसॉ यहूदी बस्ती में यहूदियों ने नाजी एसएस सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया, जो उन्हें जबरन मौत के शिविरों में भेजने का प्रयास कर रहे थे।

19 अप्रैल, 1989 - प्यूर्टो रिको के पानी में तोप अभ्यास के दौरान यूएसएस आयोवा पर एक बंदूक बुर्ज में विस्फोट से सैंतालीस अमेरिकी नाविक मारे गए ।

19 अप्रैल, 1993 - वाको, टेक्सास में, शाखा डेविडियन धार्मिक पंथ का परिसर जलकर खाक हो गया, जिसमें 17 बच्चों सहित 82 लोग शामिल थे। 51 दिनों के गतिरोध के बाद संघीय एजेंटों द्वारा बख्तरबंद वाहनों के साथ परिसर में इमारतों पर हमला करने के बाद आग भड़क उठी।

19 अप्रैल, 1995 - सुबह 9:02 बजे, एक बड़े कार-बम विस्फोट ने ओक्लाहोमा सिटी में एक नौ मंजिला संघीय इमारत के पूरे हिस्से को नष्ट कर दिया, एक डे केयर सेंटर के अंदर 19 बच्चों सहित 168 लोगों की मौत हो गई। खाड़ी युद्ध के एक सम्मानित अनुभवी को बाद में हमले के लिए दोषी ठहराया गया था।

20 अप्रैल, 1914 - कोलोराडो के लुडलो में खनन कंपनी द्वारा भुगतान किए गए नेशनल गार्डमैन द्वारा खनिकों पर हमला किया गया। खनिक अपने यूनाइटेड माइन वर्कर्स यूनियन की मान्यता की मांग कर रहे थे। मशीन गन की आग से पांच पुरुषों और एक लड़के की मौत हो गई, जबकि खनिकों की टेंट कॉलोनी नष्ट हो जाने से 11 बच्चे और दो महिलाएं जलकर मर गईं।

20 अप्रैल, 1999 - अमेरिका के इतिहास में सबसे घातक स्कूल गोलीबारी लिटलटन, कोलोराडो में हुई, जब दोपहर के भोजन के समय बंदूकों और विस्फोटकों से लैस दो छात्रों ने कोलंबिन हाई स्कूल में धावा बोल दिया, फिर 12 सहपाठियों और एक शिक्षक की हत्या कर दी और हत्या से पहले 20 से अधिक अन्य लोगों को घायल कर दिया। खुद।

जन्मदिन - एडॉल्फ हिटलर (1889-1945) का जन्म ब्रौनौ एम इन, ऑस्ट्रिया में हुआ था। 1933 से 1945 तक नाजी जर्मनी के नेता के रूप में, उन्होंने यूरोप में विस्तार के लिए युद्ध छेड़ा, जिसमें सैन्य संघर्ष और नरसंहार के माध्यम से अनुमानित 50 मिलियन लोगों की मौत हुई, जिसमें नाजियों ने यूरोप की पूरी यहूदी आबादी को खत्म करने का प्रयास किया।

21 अप्रैल, 1836 - सैम ह्यूस्टन के नेतृत्व वाले टेक्सस और सांता अन्ना के नेतृत्व वाली मैक्सिकन सेना के बीच सैन जैसिंटो की लड़ाई वर्तमान ह्यूस्टन के पास हुई। टेक्सस ने निर्णायक रूप से मैक्सिकन सेनाओं को हराया जिससे स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

21 अप्रैल, 1918 - प्रथम विश्व युद्ध के दौरान , सोम्मे की लड़ाई के दौरान रेड बैरन (मैनफ़्रेड वॉन रिचटोफ़ेन) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्हें लाल फोककर ट्राइप्लेन उड़ाकर दो साल से भी कम समय में 80 लोगों को मारने का श्रेय दिया गया। ब्रिटिश पायलटों ने उनका शव बरामद किया और उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ दफनाया।

22 अप्रैल, 1864 - कांग्रेस के एक अधिनियम द्वारा सभी नवनिर्मित अमेरिकी सिक्कों पर "इन गॉड वी ट्रस्ट" को शामिल किया गया।

22 अप्रैल, 1889 - ओक्लाहोमा भूमि पर भीड़ दोपहर में एक ही बंदूक की गोली के साथ शुरू हुई, जो हजारों बाशिंदों के उन्मादी हमले की शुरुआत का संकेत देती है। वे संघीय सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए लगभग दो मिलियन एकड़ के हिस्से पर दावा करना चाह रहे थे। भूमि मूल रूप से क्रीक और सेमिनोले भारतीय जनजातियों की थी।

जन्मदिन - व्लादिमीर लेनिन (1870-1924) का जन्म रूस के सिम्बीर्स्क में हुआ था। उन्होंने अक्टूबर 1917 की रूसी क्रांति का नेतृत्व किया जिसने ज़ार निकोलस को अपदस्थ कर दिया और एक कठोर कम्युनिस्ट शासन का मार्ग प्रशस्त किया। 1924 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके शरीर को लेपित किया गया और मॉस्को के रेड स्क्वायर में प्रदर्शन के लिए रखा गया, जो एक तीर्थस्थल बन गया, जहां सोवियत संघ के वर्षों के दौरान लाखों लोग आते थे।

23 अप्रैल - नाज़ियों द्वारा मारे गए अनुमानित छह मिलियन यहूदियों की याद में इज़राइल के नेसेट द्वारा होलोकॉस्ट दिवस के रूप में स्थापित किया गया।

जन्मदिन - विलियम शेक्सपियर (1564-1616) का जन्म इंग्लैंड के स्ट्रैटफ़ोर्ड-ऑन-एवन में हुआ था। अंग्रेजी भाषा के सबसे प्रभावशाली लेखक के रूप में प्रसिद्ध, उन्होंने 36 नाटक और 154 सॉनेट बनाए, जिनमें रोमियो एंड जूलियट , हैमलेट और द मर्चेंट ऑफ वेनिस शामिल हैं।

जन्मदिन - 15वें अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स बुकानन (1791-1868) का जन्म कोव गैप, पेंसिल्वेनिया में हुआ था। वह 1857 से 1861 तक केवल एक कार्यकाल के लिए व्हाइट हाउस पर कब्जा करने वाले एकमात्र आजीवन कुंवारे थे

24 अप्रैल, 1800 - वाशिंगटन, डीसी में कांग्रेस लाइब्रेरी की स्थापना की गई, यह अमेरिका की सबसे पुरानी संघीय सांस्कृतिक संस्था और दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। इसके संग्रह में 145 मिलियन वस्तुओं में 33 मिलियन से अधिक किताबें, 3 मिलियन रिकॉर्डिंग, 12.5 मिलियन तस्वीरें, 5.3 मिलियन मानचित्र, शीट संगीत के 6 मिलियन टुकड़े और 63 मिलियन पांडुलिपियां हैं। प्रत्येक दिन लगभग 10,000 नए आइटम जोड़े जाते हैं।

24 अप्रैल, 1915 - प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एशिया माइनर में , कॉन्स्टेंटिनोपल से अर्मेनियाई नेताओं के निर्वासन और उसके बाद यंग तुर्कों द्वारा नरसंहार के साथ आधुनिक युग का पहला नरसंहार शुरू हुआ। मई में, सभी अर्मेनियाई लोगों का निर्वासन और तुर्कों द्वारा सामूहिक हत्या शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप ओटोमन साम्राज्य और सभी ऐतिहासिक अर्मेनियाई मातृभूमि से अर्मेनियाई लोगों का पूर्ण सफाया हो गया। अनुमान है कि 800,000 से लेकर 2,000,000 से अधिक अर्मेनियाई लोगों की हत्या की गई।

25 अप्रैल, 1967 - कोलोराडो के गवर्नर जॉन लव द्वारा गर्भपात को वैध बनाने वाले पहले कानून पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें उन मामलों में गर्भपात की अनुमति दी गई, जिनमें तीन डॉक्टरों का एक पैनल सर्वसम्मति से सहमत था।

जन्मदिन - रेडियो आविष्कारक गुग्लिल्मो मार्कोनी (1874-1937) का जन्म इटली के बोलोग्ना में हुआ था। उन्होंने 1890 के दशक में वायरलेस टेलीग्राफी के उपयोग की शुरुआत की। 1921 तक, मार्कोनी का आविष्कार वायरलेस टेलीफोनी (वॉयस रेडियो) के रूप में विकसित हो गया था।

26 अप्रैल, 1937 - स्पेनिश गृहयुद्ध के दौरान, प्राचीन शहर ग्वेर्निका पर जर्मन युद्धक विमानों द्वारा हमला किया गया था। तीन घंटे की बमबारी में शहर को नष्ट करने के बाद, विमानों ने भाग रहे नागरिकों पर मशीनगन से गोलीबारी की।

26 अप्रैल, 1944 - सीआईओ यूनियन को मान्यता देने के राष्ट्रपति रूजवेल्ट के आदेश को मानने से इनकार करने के बाद संघीय सैनिकों ने मॉन्टगोमरी वार्ड के शिकागो कार्यालयों को जब्त कर लिया और इसके अध्यक्ष को हटा दिया। जब्ती तब समाप्त हुई जब यूनियनों ने कंपनी के श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनाव जीता।

26 अप्रैल, 1986 - यूक्रेन में चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में, एक विस्फोट के कारण परमाणु ईंधन पिघल गया और वायुमंडल में एक रेडियोधर्मी बादल फैल गया, जिसने अंततः यूरोप के अधिकांश हिस्से को कवर कर लिया। संयंत्र के आसपास का 300 वर्ग मील का क्षेत्र खाली करा लिया गया। बताया गया कि इकतीस लोगों की मौत हो गई, जबकि विकिरण से कैंसर के एक हजार अतिरिक्त मामले सामने आने की आशंका थी। इसके बाद आगे विकिरण को फैलने से रोकने के लिए संयंत्र को एक ठोस कंक्रीट कब्र में बंद कर दिया गया।

26 अप्रैल, 1994 - दक्षिण अफ़्रीका के इतिहास में पहली बार बहुजातीय चुनाव हुए। लगभग 18 मिलियन अश्वेतों के मतदान के साथ, नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति और एफडब्ल्यू डी क्लार्क उपाध्यक्ष चुने गए।

जन्मदिन - अमेरिकी कलाकार और प्रकृतिवादी जॉन जे. ऑडबोन (1785-1851) का जन्म हैती में हुआ था। उन्होंने उत्तरी अमेरिका के पक्षियों के सजीव चित्र बनाए।

जन्मदिन - लैंडस्केप वास्तुकार फ्रेडरिक लॉ ओल्मस्टेड (1822-1903) का जन्म हर्टफोर्स, कनेक्टिकट में हुआ था। उन्होंने अमेरिका के कुछ सबसे प्रसिद्ध पार्कों को डिजाइन करने में मदद की, जिनमें न्यूयॉर्क में सेंट्रल पार्क, बोस्टन में कनेक्टिंग पार्कों की एमराल्ड नेकलेस श्रृंखला और योसेमाइट नेशनल पार्क शामिल हैं।

जन्मदिन - नाजी रुडोल्फ हेस (1894-1987) का जन्म अलेक्जेंड्रिया, मिस्र में हुआ था। वह नाज़ी जर्मनी के डिप्टी फ्यूहरर और हिटलर के आंतरिक घेरे के सदस्य थे। 10 मई, 1941 को, उन्होंने एक आश्चर्यजनक एकल उड़ान भरी और ब्रिटिशों के साथ शांति वार्ता करने के इरादे से स्कॉटलैंड में पैराशूट से उतरे। हालाँकि, अंग्रेजों ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कुछ समय के लिए जेल में डाल दिया। युद्ध के बाद, उन्हें नूर्नबर्ग ले जाया गया और अन्य शीर्ष नाज़ियों के साथ उन पर मुकदमा चलाया गया। 1987 में कैद में उनकी मृत्यु हो गई, वह प्रमुख नूर्नबर्ग युद्ध अपराधियों में से अंतिम थे 

27 अप्रैल, 1865 - मिसिसिपी नदी पर, अमेरिकी इतिहास की सबसे भयानक स्टीमशिप दुर्घटना हुई, जब सुल्ताना में विस्फोट से लगभग 2,000 यात्रियों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर यूनियन सैनिक थे जो युद्धबंदी थे और घर लौट रहे थे।

जन्मदिन - टेलीग्राफ के आविष्कारक सैमुअल एफबी मोर्स (1791-1872) का जन्म चार्ल्सटाउन, मैसाचुसेट्स में हुआ था। उन्होंने 1830 के दशक में एक विद्युत चुम्बकीय टेलीग्राफ का विचार विकसित किया और अपना पहला संदेश "भगवान ने क्या बनाया?" 1844 में वाशिंगटन, डीसी से बाल्टीमोर तक चलने वाली पहली टेलीग्राफ लाइन पर। मोर्स द्वारा कोई अन्य वित्तीय सहायता प्राप्त करने में विफल रहने के बाद पहली टेलीग्राफ लाइन के निर्माण को कांग्रेस ($30,000) द्वारा वित्त पोषित किया गया था। 1856 में वेस्टर्न यूनियन की स्थापना के बाद, अमेरिका में टेलीग्राफ लाइनें तेजी से एक तट से दूसरे तट तक फैल गईं।

जन्मदिन - गृहयुद्ध के जनरल और 18वें अमेरिकी राष्ट्रपति यूलिसिस एस. ग्रांट (1822-1885) का जन्म प्वाइंट प्लेजेंट, ओहियो में हुआ था। युद्ध के दौरान, उन्हें "बिना शर्त समर्पण" ग्रांट उपनाम मिला और उन्हें संघ सेनाओं की कमान सौंपी गई। उन्होंने घोटालों से ग्रस्त प्रशासन में 1869 से 1877 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्होंने अपने संस्मरण लिखना शुरू किया और इसके पूरा होने के कुछ ही दिनों बाद 1885 में उनकी मृत्यु हो गई।

28 अप्रैल, 1789 - ब्रिटिश जहाज बाउंटी पर फ्लेचर क्रिश्चियन ने कैप्टन विलियम ब्लाइग के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें और 18 वफादार चालक दल के सदस्यों को 23 फुट खुली नाव में भटकना पड़ा। एक छोटे से द्वीप पर उतरने से पहले ब्लीग 3,600 मील से अधिक की 47-दिवसीय यात्रा में जीवित बच गया। क्रिश्चियन ने बाउंटी को वापस ताहिती के लिए रवाना किया, अंततः पिटकेर्न द्वीप पर बस गए और जहाज को जला दिया।

28 अप्रैल, 1945 - इटली में तेईस साल का फासीवादी शासन अचानक समाप्त हो गया क्योंकि इतालवी पक्षपातियों ने पूर्व तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी को गोली मार दी। फ़ासिस्ट पार्टी के अन्य नेता और मुसोलिनी के मित्र भी उसकी मालकिन क्लारा पेटाची के साथ मारे गए। फिर उनके शवों को उल्टा लटका दिया गया और मिलान में उपहास करने वाली भीड़ द्वारा उन पर पथराव किया गया।

जन्मदिन - 5वें अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मोनरो (1758-1831) का जन्म वर्जीनिया के वेस्टमोरलैंड काउंटी में हुआ था। उन्होंने 1817 से 1825 तक दो कार्यकाल तक सेवा की और उन्हें मोनरो सिद्धांत के लिए जाना जाता है, जिसमें घोषणा की गई थी कि अमेरिका किसी भी यूरोपीय राष्ट्र को उत्तर या दक्षिण अमेरिका में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने या सशस्त्र बल का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा।

29 अप्रैल, 1992 - इस घोषणा के बाद लॉस एंजिल्स में दंगे भड़क उठे कि कैलिफोर्निया के सिमी वैली में एक जूरी, एक अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्ति की वीडियोटेप में पिटाई के आरोपी चार लॉस एंजिल्स पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराने में विफल रही थी।

जन्मदिन - अमेरिकी प्रकाशक विलियम रैंडोल्फ हर्स्ट (1863-1951) का जन्म सैन फ्रांसिस्को में हुआ था। एक सोने की खदान करने वाले के बेटे, 1887 में असफल सैन फ्रांसिस्को एग्जामिनर का नियंत्रण लेने के लिए उसने हार्वर्ड छोड़ दिया, जिसे उसके पिता ने खरीदा था। उन्होंने एग्जामिनर को बचाया , फिर न्यूयॉर्क गए और जोसेफ पुलित्जर से प्रतिस्पर्धा करने के लिए न्यूयॉर्क मॉर्निंग जर्नल खरीदा। हर्स्ट की "पीली" पत्रकारिता की सनसनीखेज शैली ने अभूतपूर्व संख्या में समाचार पत्र बेचे और इसमें 1897-98 में क्यूबा के साथ युद्ध को बढ़ावा देना भी शामिल था। उन्होंने अन्य शहरों और पत्रिका प्रकाशन, पुस्तकों और फिल्मों में विस्तार किया। उन्होंने कांग्रेस में भी काम किया और लगभग न्यूयॉर्क शहर के मेयर बन गये।

जन्मदिन - जापान के सम्राट हिरोहितो (1901-1989) का जन्म टोक्यो में हुआ था। 1926 में, वह सम्राटों की लंबी कतार में 124वें बन गए और फिर युद्धकालीन जापान की अध्यक्षता की, जिसका नेतृत्व सैन्यवादी प्रधान मंत्री हिदेकी तोजो ने किया था। अमेरिका द्वारा दो परमाणु बम गिराए जाने के बाद, उन्होंने एक रेडियो संबोधन में अपने लोगों से लड़ाई बंद करने का आग्रह किया। युद्ध के बाद, वह जापान की नई संसदीय सरकार में प्रतीकात्मक राज्य प्रमुख बने रहे। 1946 में, उन्होंने अपनी दिव्यता को त्याग दिया और फिर समुद्री जीव विज्ञान में अपनी रुचि को आगे बढ़ाया, और इस विषय में एक मान्यता प्राप्त प्राधिकारी बन गए।

30 अप्रैल, 1789 - जॉर्ज वॉशिंगटन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने, जब उन्हें न्यूयॉर्क शहर में वॉल और ब्रॉड स्ट्रीट के कोने पर स्थित फेडरल हॉल की बालकनी में पद की शपथ दिलाई गई।

30 अप्रैल, 1948 - फ़िलिस्तीनी यहूदियों ने ब्रिटिश शासन से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की और इज़राइल के नए राज्य की स्थापना की। देश जल्द ही हज़ारों नाजी नरसंहार से बचे लोगों और एक मजबूत अमेरिकी सहयोगी के लिए एक गंतव्य बन गया।

30 अप्रैल, 1967 - अमेरिकी सेना में शामिल होने से इनकार करने के बाद बॉक्सर मुहम्मद अली से उनकी विश्व हैवीवेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप छीन ली गई। उन्होंने धार्मिक छूट का दावा किया था.

छंद सोरठा
अलंकार यमक
*
आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया
आस मान संतोष, आ समा न कह कराया
अलंकार श्लेष
सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते
झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते
१.४.२०१९
***
रसानंद दे छंद नर्मदा २३: ०२-०४-२०१६
दोहा, सोरठा, रोला, आल्हा, सार, ताटंक, रूपमाला (मदन), चौपाई, हरिगीतिका, उल्लाला,गीतिका,घनाक्षरी, बरवै, त्रिभंगी, सरसी, तथा छप्पय छंदों से साक्षात के पश्चात् अब मिलिए भुजंगप्रयात छन्द से.
चार यगण आवृत्ति ही है छंद भुजंगप्रयात
*
'चतुर्भिमकारे भुजंगप्रयाति' अर्थात भुजंगप्रयात छंद की हर पंक्ति यगण की चार आवृत्तियों से बनती है।
यमाता X ४ या ४ (लघु गुरु गुरु) अथवा निहारा निहारा निहारा निहारा के समभारीय पंक्तियों से भुजंगप्रयात छंद का पद बनता है।
मापनी- १२२ १२२ १२२ १२२
उदाहरण-
०१. कहूं किन्नरी किन्नरी लै बजावैं ।
सुरी आसुरी बाँसुरी गीत गावैं।।
कहूँ जक्षिनी पक्षिनी लै पढ़ावैं।
नगी कन्यका पन्नगी को नचावैं।।
०२. न आँसू, न आहें, न कोई गिला है।
वही जी रहा हूँ, मुझे जो मिला है।।
कुआँ खोद मैं रोज पानी निकालूँ
जला आग चूल्हे, दिला से उबालूँ ।।
मुक्तक -
०३. कहो आज काहे पुकारा मुझे है?
छिपी हो कहाँ, क्यों गुहारा मुझे है?
पड़ा था अकेला, सहारा दिया क्यों -
न बोला-बताया, निहारा मुझे है।
मुक्तिका-
०४. न छूटा तुम्हारा बहाना बनाना
न छूटा हमारा तुम्हें यूँ बुलाना
न भूली तुम्हारी निगाहें, न आहें
न भूला फसाना, न भूला तराना
नहीं रोक पाया, नहीं टोंक पाया
न भा ही सका हूँ, नहीं याद जाना
न देखो हमें तो न फेरो निगाहें
न आ ही सको तो नहीं याद आना
न 'संजीव' की हो, नहीं हो परायी
न वादा भुलाना, न वादा निभाना
महाभुजंगप्रयात सवैया- ८ यगण प्रति पंक्ति
०५. तुम्हें देखिबे की महाचाह बाढ़ी मिलापै विचारे सराहै स्मरै जू
रहे बैठि न्यारी घटा देखि कारी बिहारी बिहारी बिहारी ररै जू -भिखारीदास
०६. जपो राम-सीता, भजो श्याम-राधा, करो आरती भी, सुने भारती भी
रचो झूम दोहा, सवैया विमोहा, कहो कुंडली भी, सुने मंडली भी
न जोड़ो न तोड़ो, न मोड़ो न छोड़ो, न फाड़ो न फोड़ो, न मूँछें मरोड़ो
बना ना बहाना, रचा जो सुनाना, गले से लगाना, सगा भी बताना
वागाक्षरी सवैया- उक्त महाभुजङ्गप्रयात की हर पंक्ति में से अंत का एक गुरु कम कर,
०७. सदा सत्य बोलौ, हिये गाँठ खोलौ, यही मानवी गात को
करौ भक्ति साँची, महा प्रेमराची, बिसारो न त्रैलोक्य के तात को - भानु
०८. न आतंक जीते, न पाखण्ड जीते, जयी भारती माँ, हमेशा रहें
न रूठें न खीझें, न छोड़ें न भागें, कहानी सदा सत्य ही जो कहें
न भूलें-भुलायें, न भागें-भगायें, न लूटें-लुटायें, नदी सा बहें
न रोना न सोना, न जादू न टोना, न जोड़ा गँवायें,न त्यागा गहें
उर्दू रुक्न 'फ़ऊलुन' के चार बार दोहराव से भुजंगप्रयात छन्द बन सकता है यदि 'लुन' को 'लुं' की तरह प्रयोग किया जाए तथा 'ऊ' को दो लघु न किया जाए।
०९. शिकारी न जाने निशाना लगाना
न छोड़े मियाँ वो बहाने बनाना
कहे जो न थोड़ा, करे जो न थोड़ा
न कोई भरोसा, न कोई ठिकाना
१-४-२०१६
***
दो दोहे
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो इसका राज..
***
गीत
मीत  
*
मीत तुम्हारी राह हेरता...
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सुधियों के उपवन में तुमने
वासंती शत सुमन खिलाये.
विकल अकेले प्राण देखकर-
भ्रमर बने तुम, गीत सुनाये.
चाह जगा कर आह हुए गुम
मूँदे नयन दरश करते हम-
आँख खुली तो तुम्हें न पाकर
मन बौराये, तन भरमाये..
मुखर रहूँ या मौन रहूँ पर
मन ही मन में तुम्हें टेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
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मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में
तुम्हें खोजकर हार गया हूँ.
बाहर खोजा, भीतर पाया-
खुद को तुम पर वार गया हूँ..
नेह नर्मदा के निनाद सा
अनहद नाद सुनाते हो तुम-
ओ रस-रसिया!, ओ मन बसिया!
पार न पाकर पार गया हूँ.
ताना-बाना बुने बुने कबीरा
किन्तु न घिरता, नहीं घेरता.
मीत तुम्हारी राह हेरता...
१-४-२०१०
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