द्विपदियाँ
संजीव
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जब समय के पार झाँकें, नयन तब देखें अदेखा
तुम न जानो ग्रह बतायें, कहाँ कैसी भाग्य रेखा?
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चाँद जब उसको कहा, रूठ गयी वह मुझसे
दाग चेहरे पे नहीं मेरे, मैं न नेता हूँ..
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चाँद से जब भी मिले, रजनी पूर्णिमा हो तभी
सफर का अन्त ही, शुरुआत नयी होती है.
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जात मजहब धर्म बोली, चाँद अपनी कह जरा
पुज रहा तू ईद में भी, संग करवा चौथ के.
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चाँद तनहा है ईद हो कैसे? चाँदनी उसकी मीत हो कैसे??
मेघ छाये घने दहेजों के, रेप पर उसकी जीत हो कैसे??
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एक मुक्तक
कोशिशें करती रहो, बात बन ही जायेगी
जिन्दगी आज नहीं, कल तो मुस्कुरायेगी
हारते जो नहीं गिरने से, वो ही चल पाते-
मंजिलें आज नहीं कल तो रास आयेंगी.
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संकलितः ईद मुबारक
रात कल ख्वाब में मुझको तेरी दीद हुई
ईद हो या कि ना हो ,मेरे लिए ईद हुई .
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कमाल-ऐ-ज़ब्त मोहब्बत इसी को कहते है,
चाँद दिख भी गया और हम उसे अपना न कह सके.
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जिनका चाँद वक़्त के आसमां में खो गया
उनके हाथों पे भी कभी कोई ईद रख ज़रा -अशोक जमनानी
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ईद की सबको मुबारक ईद का त्योंहार है,
दोस्तों और दुश्मनों में आज देखो प्यार है,
ईद की पुरज़ोर ख़ुशियों का ये मंज़र देखिये,
हिन्दू-मुस्लिम एक हैं हाइल कहाँ दीवार है -नासिर ज़ैदी
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साल भर के बाद आया दिन मुबारक ईद का,
भर के खुशियाँ साथ लाया दिन मुबारक ईद का। -प्रो. सरन घई
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ईद वालों को ईद मुबारक, तीज वालों को तीज मुबारक
प्यार से नफरत हारे यादव', रोप दें ऐसे बीज मुबारक -रघुविन्द्र यादव
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ईद मुबारक हो हर हाल मुबारक हो.
खुशियों से भरे झोली हर साल मुबारक हो| -प्रभुदयाल श्रीवस्तव
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आज बधायां ईद री, सावण तीज सुहाय.
रळमिल रैवां माेकळा, रूं- रूं खिलताै जाय..- दीनदयाल शर्मा
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छाेड़ पुरानी रंजिशें, ईद मनाएं साथ.
गले लगा ले आज ताे,सिर्फ मिला मत हाथ..- विजेन्द्र
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रामायन और रामचरित मानस में पुष्पक विमान का उल्लेख है। महाभारत का में अदृश्य होने और भस्म होने के कई प्रसंग हैं। हाल ही में एक सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक अफगानिस्तान में एक ५००० साल पुराना विमान मिला है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह महाभारतकालीन हो सकता है।
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वायर्ड डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि प्राचीन भारत के पांच हजार वर्ष पुराने एक विमान को हाल ही में अफगानिस्तान की एक गुफा में पाया गया है। कहा जाता है कि यह विमान एक 'टाइम वेल' में फंसा हुआ है अथवा इसके कारण सुरक्षित बना हुआ है। यहां इस बात का उल्लेख करना समुचित होगा कि 'टाइम वेल' इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्स से सुरक्षित क्षेत्र होता है और इस कारण से इस विमान के पास जाने की चेष्टा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण गायब या अदृश्य हो जाता है।
कहा जा रहा है कि यह विमान महाभारत काल का है और इसके आकार-प्रकार का विवरण महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। इस कारण से इसे गुफा से निकालने की कोशिश करने वाले कई सील कमांडो गायब हो गए हैं या फिर मारे गए हैं। रशियन फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विज (एसवीआर) का कहना है कि यह महाभारत कालीन विमान है और जब इसका इंजन शुरू होता है तो इससे बहुत सारा प्रकाश निकलता है। इस एजेंसी ने २१ दिसंबर २०१० को इस आशय की रिपोर्ट अपनी सरकार को पेश की थी।
घातक हथियार भी लगे हैं इस विमान में..
रूसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस विमान में चार मजबूत पहिए लगे हुए हैं और यह प्रज्जवलन हथियारों से सुसज्जित है। इसके द्वारा अन्य घातक हथियारों का भी इस्तेमाल किया जाता है और जब इन्हें किसी लक्ष्य पर केन्द्रित कर प्रक्षेपित किया जाता है तो ये अपनी शक्ति के साथ लक्ष्य को भस्म कर देते हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि यह प्रागेतिहासिक मिसाइलों से संबंधित विवरण है। अमेरिकी सेना के वैज्ञानिकों का भी कहना है कि जब सेना के कमांडो इसे निकालने का प्रयास कर रहे थे तभी इसका टाइम वेल सक्रिय हो गया और इसके सक्रिय होते ही आठ सील कमांडो गायब हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह टाइम वेल सर्पिलाकार में आकाशगंगा की तरह होता है और इसके सम्पर्क में आते ही सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व इस तरह समाप्त हो जाता है मानो कि वे मौके पर मौजूद ही नहीं रहे हों।
एसवीआर रिपोर्ट का कहना है कि यह क्षेत्र 5 अगस्त को पुन: एक बार सक्रिय हो गया था और इसके परिणामस्वरूप ४० सिपाही और प्रशिक्षित जर्मन शेफर्ड डॉग्स इसकी चपेट में आ गए थे। संस्कृत भाषा में विमान केवल उड़ने वाला वाहन ही नहीं होता है वरन इसके कई अर्थ हो सकते हैं, यह किसी मंदिर या महल के आकार में भी हो सकता है।
चीन को भी तलाश है भारत के प्राचीन ज्ञान की
ऐसा भी दावा किया जाता है कि कुछेक वर्ष पहले ही चीनियों ने ल्हासा, तिब्बत में संस्कृत में लिखे कुछ दस्तावेजों का पता लगाया था और बाद में इन्हें ट्रांसलेशन के लिए चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में भेजा गया था।
यूनिवर्सिटी की डॉ. रूथ रैना ने हाल ही इस बारे में जानकारी दी थी कि ये दस्तावेज ऐसे निर्देश थे जो कि अंतरातारकीय अंतरिक्ष विमानों (इंटरस्टेलर स्पेसशिप्स) को बनाने से संबंधित थे।
हालांकि इन बातों में कुछ बातें अतरंजित भी हो सकती हैं कि अगर यह वास्तविकता के धरातल पर सही ठहरती हैं तो प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान और तकनीक के बारे में ऐसी जानकारी सामने आ सकती है जो कि आज के जमाने में कल्पनातीत भी हो सकती है।
स्त्रोत : हिंदी वेबदुनिया

