जापानी छंद कतौता
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कतौता लिखो,
अपनी राह चुनो
नए सपने बुनो।
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कभी न बनो
लकीर के फकीर,
पुरानी लीक तोड़ो।
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प्यार को प्यार
कम मिलता यार,
क्यों होते हो बेज़ार?
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दीप से दीप
जलाते चलो भाई
तब होगा उजाला।
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कोयल कूकी
दहका है पलाश
पर्वत पर आग।
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बरसात में
नदिया है बौराई
भूल गई मर्यादा।
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जो हुआ; हुआ
बिसरा; आगे बढ़ो
उठो! भविष्य गढ़ो।
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वर्ण पिरोएँ
पाँच-सात औ' सात
कतौता रचें आप।
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इंद्र धनुष
सतरंगी कमान
शर लापता।
७-५-२०२२
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