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गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

षट्पदी

षट्पदी
तजें विश्वास क्यों सूरज उषा ले आए हैं लाली
सुनाते गीत पंछी; बजाते पत्ते विहँस ताली
हुए आबाद घर फिर से; न अनबोला रहा बाकी
न आवारा कसें फिकरे, न लोफर दे रहे गाली
मिटे कोरोना तो भी; दूर अनुशासन नहीं करना
सजग हो जाएँ गम सब, छोड़ अनुशासन न फिर मरना
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संजीव
१५-४-२०२०

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