मुक्तक
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सिर्फ पानी नहीं आँसू, हर्ष भी हैं दर्द भी।
बहाती नारी न केवल, हैं बनाते मर्द भी।।
गर प्रवाहित हों नहीं तो हृदय ही फट जाएगा-
हों गुलाबी-लाल तो होते कभी ये जर्द भी।।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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