ॐ 
छंद बहर का मूल है: ८ 
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छंद परिचय:
संरचना: SIS SIS SIS S / SIS SIS SISS 
सूत्र: रररग। 
दस वार्णिक पंक्ति जातीय बाला छंद।
सत्रह मात्रिक महासंस्कारी जातीय रामवत छंद। 
बहर: फ़ाइलुं फ़ाइलुं फ़ाइलुं फ़े / फ़ाइलुं फ़ाइलुं फ़ाइलातुं ।
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आप हैं जो, वही तो नहीं हैं 
दीखते है वही जो नहीं हैं 
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खोजते हैं खुदी को जहाँ पे 
जानते हैं वहाँ तो नहीं हैं 
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जो न बोला वही बोलते हैं 
बोलते, बोलते जो नहीं हैं 
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माल को तौलते ही रहे जो 
आत्म को तौलते वो नहीं 
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देश शेष क्या? पूछते हैं 
देश में शेष क्या जो नहीं हैं 
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आद्म्मी देवता क्या बनेगा?
आदमी आदमी ही नहीं है 
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जोश में होश को खो न देना 
देश में जोश हो, क्यों नहीं है?
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SIS SIS SISS
आपका नूर है आसमानी 
गायकी आपकी शादमानी 
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आपका ही रहा बोलबाला 
लोच है, सोज़ है रातरानी 
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आसमां छू रहीं भावनाएँ 
भ्रांत हों ही नहीं वासनाएँ 
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खूब हालात ने आजमाया 
आज हालात को आजमाएँ 
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कोशिशों को मिली कामयाबी 
कोशिशें ही सदा काम आएँ
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आदमी के नहीं पास आएँ
हैं विषैले न वे काट खाएँ 
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२१.४.२०१७ 
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