लघुकथा
मौन बर्फ
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मौन बर्फ
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इधर एक बीज अंकुरित हुआ, पल्लवित होते हुए किशोर वृक्ष ने इधर बाँहें फैलायीं, उन पेपर बैठे पखेरू चहचहाते हुए कलरव करते रहे। एक दिन भरी बूट पहने कुछ इंसान कुछ युवकों को लेकर लुकते-छिपते हुए इधर से उधर गए ही थे कि उधर से गोली चला दी गयी। धाँय-धाँय रुकने पर मरे पड़े पंछियों को देखकर सिसक रही थी मौन बर्फ।
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