एक हुए दोहा-यमक
दिलवर का दिल वर लिया
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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दिलवर का दिल वर लिया
संजीव वर्मा 'सलिल'
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दिलवर का दिल वर लिया, सिल ने सधा काज.
दिलवर ने दिल पर किया, ना जाने कब राज?
जीवन जीने के लिये, जी वन कह इंसान.
अगर न जी वन सका तो, भू होगी शमशान..
मंजिल सर कर मगर हो, ठंडा सर मत भूल.
अकसर केसर-दूध पी, सुख-सपनों में झूल..
जिसके सर चढ़ बोलती, 'सलिल' सफलता एक.
अवसर पा बढ़ता नहीं, खोता बुद्धि-विवेक..
टेक यही बिन टेक के, मंजिल पाऊँ आज.
बिना टेक अभिनय करूँ, हो हर दिल पर राज..
दिल पर बिजली गिराकर, हुए लापता आप.
'सलिल' ला पता आपका, करे प्रेम का जाप..
कर धो खा जिससे न हो, बीमारी का वार.
कर धोखा जो जी रहे, उन्हें न करिए प्यार..
पौधों में जल डाल- दें, काष्ठ हवा फल फूल.
डाल कभी भी काट मत, घातक है यह भूल..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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6 टिप्पणियां:
Rakesh Khandelwal ✆
२० दिसम्बर
जिसके सर चढ़ बोलती, 'सलिल' सफलता एक.
अवसर पा बढ़ता नहीं, खोता बुद्धि-विवेक..
आदरणीय
सहज शब्दों में बोलता हुआ यथार्थ मन को भाया.
सादर
राकेश
drdeepti25@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com
२० दिसम्बर
ekavita
कविवर संजीव जी, आपके इस दोहे में यमक कहाँ है ? ! भाव निश्चित ही उत्तम हैं लेकिन यमक के बिना !
समझाएगें तो आभारी होऊंगी !
सादर,
दीप्ति
sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com
२१ दिसम्बर
ekavita
आओ आचार्य जी ,
कई दिनों बाद आपकी रचना से साक्षात् हुआ | साधुवाद |
पहले दोहे की पहली पंक्ति में शायद ' दिल ने साधा काज ' है
कमल
sanjiv verma salil ✆
२२ दिसम्बर
ekavita
दीप्ति जी!
आभारी हूँ कि अपने त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित किया. वस्तुतः निम्न रूप जाना था, असावधानी से पूर्व रूप छाप गया.
जिसके सर चढ़ बोलती, 'सलिल' सफलता एक.
अवसर सर करता नहीं, खोता बुद्धि-विवेक..
dks poet ✆ dkspoet@yahoo.com
२३ दिसम्बर
ekavita
आदरणीय सलिल जी,
यमक युक्त दोहों में आपको महारत हासिल हो चुकी है। साधुवाद स्वीकार करें।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
santosh.bhauwala@gmail.com द्वारा yahoogroups.com
२३ दिसम्बर
ekavita
आदरणीय आचार्य जी ,अति उत्तम !!! साधुवाद
सादर संतोष भाऊवाला
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