स्मृति गीत:
हर दिन पिता याद आते हैं...
संजीव 'सलिल'
*
जान रहे हम अब न मिलेंगे.
यादों में आ, गले लगेंगे.
आँख खुलेगी तो उदास हो-
हम अपने ही हाथ मलेंगे.
पर मिथ्या सपने भाते हैं.
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.
कर न सकूँ इनकी पैमाइश.
ले पहचान गैर-अपनों को-
कर न दर्द की कभी नुमाइश.
अब न गोद में बिठलाते हैं.
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.
नित घर-घाट दिखाए तुमने.
जब-जब मन कोशिश कर हारा-
फल साफल्य चखाए तुमने.
पग थमते, कर जुड़ जाते हैं
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
divyanarmada.blogspot.com
हर दिन पिता याद आते हैं...
संजीव 'सलिल'
*
जान रहे हम अब न मिलेंगे.
यादों में आ, गले लगेंगे.
आँख खुलेगी तो उदास हो-
हम अपने ही हाथ मलेंगे.
पर मिथ्या सपने भाते हैं.
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.
कर न सकूँ इनकी पैमाइश.
ले पहचान गैर-अपनों को-
कर न दर्द की कभी नुमाइश.
अब न गोद में बिठलाते हैं.
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.
नित घर-घाट दिखाए तुमने.
जब-जब मन कोशिश कर हारा-
फल साफल्य चखाए तुमने.
पग थमते, कर जुड़ जाते हैं
हर दिन पिता याद आते हैं...
*
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13 टिप्पणियां:
achal verma ekavita
पिता की याद है जीवन संभाले,
नहीं कोई भूला पाये कभी भी.
सबेरे जागकर हमको जगाना,
जगा देती है हम सबको अभी भी.
बहुत मार्मिक कविता के लिए आपको बधाई.
kanhaiyakrishna@hotmail.com
आचार्य जी,
आपकी पित्रभक्ति को नमन
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है
mcdewedy@gmail.com
sundar bhav salil ji.
आ० आचार्य जी,
पिता की स्मृति में मार्मिक गीत के लिये साधुवाद !
सोचता हूँ क्या नई पीढ़ी को भी इसी भाँति पिता याद
आते रहेंगे ?
सादर,
कमल
पिता की स्मृति को इस काव्यात्मक आवरण् में प्रस्तुत करना अच्छा लगा ।
भावुक कर दिया रचना ने.
पिता की याद में लिखी गयी पंक्तियाँ भावुक कर दी !!
अच्छा और खूब लिखा आपने...दिल को छू जाती है..आपकी कविता..लिखते रहिए..
शालिनी राय
शंकर जी की आई याद,
बम भोले के गूँजे नाद,
बोलो हर-हर, बम-बम..!
बोलो हर-हर, बम-बम..!!
सुन्दर रचना..
महा-शिवरात्रि की शुभकामनाएँ!
yah blog padhkar to hamen bhi bahut yaad aate hain.
Bahut Sundar Rachana....Aabhar!
pag thamte kar jud jaate hain,
har din pita yaad aate hain.
-behad bhav-purn rachna.
इसे प्रस्तुत करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
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