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शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

baal kavita

बाल रचना:
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लालू बन्दर ने कहा: 'काटो मेरे बाल'.
बेढब माँग सुनी हुए, शेषपाल जी लाल.
शेषपाल जी लाल, 'समझते हो क्या नउआ'?
बोला बन्दर 'अगर नहीं तो क्या कनकउआ?
बाल-पृष्ठ पर कर रहा, आज दान मैं बाल.
लिए नहीं तो लाऊँगा पल भर में भूचाल.'
अगर यहाँ साहित्य, सहित हित बाल दान लो.
जितना हित करना उतना ही नगद दान दो'
सिर पकड़े बैठे दद्दू सुन-सुन कर ताने.
'इससे बेहतर चला जाऊँ चुप पागलखाने'.
सुना लालू बोला 'जाओ तुम अभी जहन्नुम.
लेकर बाल नगद दो मुझको होगा उत्तम'.
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salil.sanjiv@gmail.com, ७९९५५५९६१८
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bundeli khadya

बुन्देलखंड:
व्यंजन
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वीरभूमि बुंदेलखंड ही नहीं मानव सभ्यता का प्रमुख आयाम है भोजन। 'भूखे भजन न होंय गुपाला, यह ले अपनी कंठी माला' कहता भक्त 'पहले पेट पूजा फिर काम दूजा' की लोकोक्ति को सत्य बताता है। प्रस्तुत है बुंदेलखंड  के लोकप्रिय व्यंजन। आप अन्य व्यंजन जोड़ सकते हैं। अन्य अंचलों के व्यंजन सूची आमंत्रित है। जानकार इन्हें बनाए की सामग्री, विधि, मौसम या अवसर बता सकें तो नई पीढ़ी इनसे जुडी रह सकेगी।  

१. सतुआ (सत्तू)।
२. बिरचुन। 
३. बिजौरा।
४. खीचला (खिचड़ी)।
५. भाँटा (भटा) भर्ता।
६. चीला।
७. गांकर/ गकरिया।
८. घुइंया-पत्ता। 
९. भसीढ़ा।
१०. मठा-महेरी।
११. महेरो। 
१२.सन्नाटो।
१३. डुबरी।
१४. लपटा।
१५. बरा।
१६. बरी।
१७. लपसी।
१८. सीरा।
१९. मीड़ा। 
२०. बिढ़ई। 
२१. पकौड़ा।
२२. पकौड़ी।
२३. मिंगौड़ा।
२४ मिंगौड़ी। 
२५. अछ्यायो मठा। 
२६. मठा के आलू। 
२७. कमल गट्टा। 
२८. बेसन-गट्टा।
२९. उसे बेर। 
३०. गडेरी। 
३१. सिवैंया। 
३२. मुर्रा। 
३३. मुरका। 
३४. लटा। 
३५. खुरमा। 
३६. बिर्रा रोटी/पराठा।    
३७. कठिया रोटी/पराठा। 
३८. जुंडी रोटी/पराठा। 
३९. प्याज रोटी/पराठा। 
४०. ज्वार रोटी। 
४१. मका रोटी। 
४१. बाजार रोटी। 
४२. पिटउआ। 
४३. चना भाजी। 
४४. निगौना। 
४५. नेनुआ/नोनिआ भाजी। 
४६. बरेजा भाजी। 
४७. चना भाजी। 
४८. लाल भाजी। 
४९. चौलाई भाजी। 
५०. मेथी भाजी। 
५१. आलू। 
५२. सकला / सकरकंद। 
५३. सूरन सब्जी / अचार। 
५४. मूंफल्ली। 
५५. लैया। 
५६. गजक। 
५७. गुड़। 
५८. खांडसार। 
५९. पंजीरी। 
६०. राम फल। 
६१. सीता फल। 
६२. बेर। 
६३. जाम फल / बिही। 
६४. जामुन। 
६५. करौंदा। 
६६. बिलायती इमली। 
६७. इमली। 
६८. सिंघाड़ा। 
६९. भुट्टा। 
७०. ककड़ी। 
७१. खीरा। 
७२. खीर। 
७३. कोदो। 
७४. कुटकी। 
७५. गेहूं। 
७६. चाँवल। 
७७. दाल अरहर/राहर, मूंग, उड़द, चना। 
७८. 

kavita- diya

दिया :
सारी ज़िन्दगी
तिल-तिल कर जला.
फिर भर्र कभी
हाथों को नहीं मला.
होठों को नहीं सिला.
न किया शिकवा गिला.
आख़िरी साँस तक
अँधेरे को पिया
इसी लिये तो मरकर भी
अमर हुआ
मिट्टी का दिया.
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