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शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

hindi ke naye chhand 15 - vaamaangee chhand

हिन्दी के नये छंद- १५  
वामांगी छंद 
हिंदी के नए छंदों की श्रुंखला में अब तक आपने पढ़े- पाँच मात्रिक भवानी, राजीव, साधना, हिमालय, आचमन, ककहरा, तुहिणकण, अभियान, नर्मदा, सतपुडा छंद, शाद मात्रिक महावीर छंद । अब प्रस्तुत है षड्मात्रिक छंद वामांगी। 
विधान-
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा।
२. प्रति पंक्ति मात्रा क्रम गुरु गुरु गुरु। 
मुक्तिका 
जो आता 
है जाता 
नेता जी 
आए हैं। 
वादे भी 
लाए हैं। 
ख़्वाबों को 
बेचेंगे। 
कौओं सा 
गाएँगे। 
वोटों का 
है नाता
जो आता 
है जाता 
 
वादे हैं 
सच्चे क्या?
क्यों पूछा?
बच्चे क्या?
झूठे ही 
होता  है। 
लज्जा भी 
खोता हैं।
धोखा दे 
गर्वाता 
जो आता 
है जाता 
पाएगा 
खोएगा। 
झूठा ही 
रोएगा। 
कुर्सी पा 
गर्राता। 
सत्ता खो  
खो जाता। 
पार्टी को 
धो जाता। 
जो आता 
है जाता 
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salil.sanjiv@gmail.com
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शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017

chitra par rachna

चित्र पर रचना: 
नीचे दिए चित्र को ध्यान से देखें और मन में उमड़ते भावों कविताबद्ध करें।

  
मेघदूत 
नील नभ से मेघ चुन लूँ 
चंद यायावर पुलक फिर,
डाल कर चलभाष पर मैं  
बना अपना दूत भेजूँ। 
*
श्वेतवर्णी कपोतों सम 
मेघदूतों में निहित है प्रीत मेरी।  
गह सको तो गहो इसको,
तह सको तो तहो इसको। 
उषा किरणों सी सुनहरी 
सलिल-बिम्बित रीत मेरी। 
'सर' पर न असर कुछ भी 
***







navgeet

नवगीत navgeet
*
प्रजातंत्र का अर्थ हो गया 
केर-बेर का संग 
*
संविधान कर प्रावधान
जो देता, लेता छीन
सर्वशक्ति संपन्न लोग हैं
केवल बेबस-दीन
नाग-साँप-बिच्छू चुनाव लड़
बाँट-फूट डालें
विजयी हों, मिल जन-धन लूटें
माल लूट खा लें
लोकतंत्र का पोस्टर करती
राजनीति बदरंग
प्रजातंत्र का अर्थ हो गया
केर-बेर का संग
*
आश्वासन दें, जीतें जाते
जुमला कह झट भूल
कहें गरीबी पर गरीब को
मिटा, करें निर्मूल
खुद की मूरत लगा पहनते,
पहनाते खुद हार
लूट-खसोट करें व्यापारी
अधिकारी बटमार
भीख माँग, पा पुरस्कार
लौटा करते हुड़दंग
प्रजातंत्र का अर्थ हो गया
केर-बेर का संग
*
गौरक्षा का नाम, स्वार्थ ही
साध रहे हैं खूब
कब्ज़ा शिक्षा-संस्थान पर
कर शराब में डूब
दुश्मन के झंडे लहराते
दें सेना को दोष
बिन मेहनत पा सकें न रोटी
तब आएगा होश
जनगण जागे, गलत दिखे जो
करे उसी से जंग
प्रजातंत्र का अर्थ हो गया
केर-बेर का संग
***

salil.sanjiv@gmail.com
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