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रविवार, 4 अप्रैल 2021

कार्यशाला: दोहा से कुंडली

कार्यशाला:
दोहा से कुंडली
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ऊँची-ऊँची ख्वाहिशें, बनी पतन का द्वार।
इनके नीचे दब गया, सपनों का संसार।। - 
दोहा: तृप्ति अग्निहोत्री,लखीमपुर खीरी

सपनों का संसार न लेकिन तृप्ति मिल रही
अग्निहोत्र बिन हवा विषैली आस ढल रही
सलिल' लहर गिरि नद सागर तक बहती नीची
कैसे हरती प्यास अगर वह बहती ऊँची   
रोला: संजीव वर्मा सलिल

४-४-२०१९ 

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