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जे पुरवैया
मतवारी.
रामबाबू गौतम, न्यू जर्सी
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मेरी गाँठिन दर्द उठाय गयी,
जे पुरवैया मतवारी ||
सनन- सनन जे पुरवैया चाले,
वैरिन साँस मेरी रहि-२ चाले,
एजी ऊपर से बरसे पुरवैया की बौछार,
भीगि गयी देह सारी ||
जे पुरवैया मतवारी ....
अंग - अंग जब दर्द उठे और ठहराये,
वैरिन संग चले पुरवैया मन
घबडाये,
एजी ऊपर ते पसली को दर्द करे लाचार,
दर्द उठे अति भारी ||
जे पुरवैया मतवारी ..
कदम-कदम पे उठि- उठि बैठूं चालूँ,
वैरिन- टाँगें साथ चलें न कैसे चालूँ?,
एजी ऊपर ते दिल - दर्द उठे अनेकों बार,
जाते मति गयी है मारी ||
जे पुरवैया
मतवारी ..
घिरि- घिरि बदरा मेरे आँगन आयें,
वैरिन बयार चले बदरा आयें- जायें,
एजी ऊपर ते दामिन तडपे, तडपे जिया
हमार,
डर, अकुलाइ व्याकुल मैं
भारी ||
जे पुरवैया मतवारी ..
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