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शनिवार, 10 नवंबर 2012

हिंदी सीखें: अर्थवाही शब्द रचना डॉ. मधुसूदन

https://mail-attachment.googleusercontent.com/attachment/u/0/?ui=2&ik=dad2fa7c6e&view=att&th=13ae842f42f275d9&attid=0.2&disp=inline&safe=1&zw&saduie=AG9B_P8iolpeP3f4iPAHowfQMMHF&sadet=1352522475837&sads=R3pw8gaUBXJO7yzeozB3tHqQ2ic
हिंदी सीखें:                                   अर्थवाहीशब्द रचना
डॉ. मधुसूदन
*
 सूचना: एकाग्रता बनाए रखे, और कुछ समझते समझते, धीरे-धीरे पढें, मैं मेरी ओर से पूरा प्रयास करूंगा, विषय को सरल बनाने के लिए। धन्यवाद।

(१) अर्थवाही भारतीय शब्द
तेल शब्द कहांसे आया? तो पढ़ा हुआ स्मरण है, कि तेल शब्द का मूल तिलहै। अब तिल को निचोड़ने से जो द्रव निकला उसे 'तैल' कहा गया। यह प्रत्ययों के नियमाधीन बनता है। जैसे मिथिला से मैथिल, और फिर मैथिली, विदर्भ से बना वैदर्भ, और फिर वैदर्भी तो उसी प्रकार तिल से बना हुआ इस अर्थ में तैल कहा गया। मूलतः तिल से निचोड़कर निकला इसलिए, उसे तैल कहा, फिर हिन्दी में तैल से तेल हो गया, बेचनेवाला तेली हो गया। इस तेल का अर्थ विस्तार भी हुआ, और आज सरसों, नारियल, अरे मिट्टी का भी तेल बन गया।

हाथ को करभी कहा जाता है, क्यों कि हाथों से काम करतेहैं। पैरों को चरण, क्यों कि पैरों से विचरण किया जाता है। आंखों को नयन’, इसी लिए, कि वे हमें गन्तव्य की ओर (नयन करते) ले जाते हैं। ऐसे ऐसे हमारे शब्द बनते चले जाते हैं। यास्क मुनि निरुक्त लिख गए हमारे लिए।

(२) शब्द कलेवर में अर्थ
ऐसे, कुछ परम्परा गत शब्दों के उदाहरणों से, शब्दों के कलेवर में कैसे अर्थ भरा गया है, यह विशद करना चाहता हूँ।  शब्द अपने गठन में अपना अर्थ ढोते हुए चलता है, या अर्थ वहन कर चलता है। इस लिए हमारी बहुतेरी शब्द रचना प्रमुखतः अर्थवाही (अर्थ ढोनेवाली) है। जब शब्द ही अर्थवाही, (अर्थ-सूचक) हो, तो उसका अर्थ शब्द के उच्चारण से ही प्रकट हो जाता है। इस कारण, पारिभाषिक शब्दों की व्याख्याओं को रटना नहीं पड़ता और देवनागरी के कारण स्पेलिंग भी रटना नहीं पड़ता।

(३) लेखक की समस्या
कठिनाई यह है, कि जिन उदाहरणों द्वारा, समझाने का प्रयास होगा, उन्हें समझने में भी कुछ शुद्ध हिन्दी या संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। स्वतंत्रता के बाद संस्कृत को (और हिन्दी) को भी बढ़ावा देना तो दूर, उसकी घोर उपेक्षा ही हुयी, इसी कारण आप पाठकॊं को भी मेरी बात, स्वीकार करने में शायद कठिनाई हो सकती है। फिर भी इस विषय पर लिखने के अतिरिक्त कोई और उपाय नहीं। अतः एकाग्रता बनाए रखे, और कुछ समझने के लिए धीरे-धीरे पढ़ें, मैं अपनी ओर से पूरा प्रयास करूंगा, विषय को सरल बनाने के लिए। इस लेख में कुछ परिचित, और प्रति दिन बोले जाने वाले शब्दों के उदाहरण लेता हूँ। पारिभाषिक शब्दों के उदाहरण, कभी आगे लेख में दिए जा सकते हैं।

(४) नदी, की शब्दार्थ वहन की शक्ति
नदी, सरिता, तरंगिणी सारे जल प्रवाह के ही नाम है। नदी का बीज धातु नद है। संस्कृत में, ”या नादति सा नदीऐसी व्याख्या करेंगे। नाद का अर्थ, है ध्वनि या गर्जना। यहां अर्थ हुआ, जो प्रवाह कल कल छल छल नाद करता हुआ बहता है, उसे नदी कहा जाएगा।

नदी ऐसा नाद किस कारण करती है? भूगोल में आप ने पढ़ा होगा, कि जब एक प्रवाह पर्वत की ऊँचाई से गिरता है, तो अल्हड़ बालिका की भाँति, शिलाओं पर टकराते-टकराते एक कर्ण मधुर नाद करता हुआ, उछल -कूद करते नीचे उतरता है। इस कर्ण मधुर गूँज को ही नाद संज्ञा दी गयी है। और ऐसी ध्वनि करते करते जो प्रवाह बहता है, उसे ही नदी कहा जाता है: 'या नादयति सा नदी।' -जो नाद करती है, वह नदी है। अतः नदी शब्द के अंतर्गत नाद अक्षर जुड़े होना ही उसका अर्थ वहन माना जा सकता है। इसे ही शब्दार्थ वहन की शक्ति कहा गया है। तो बंधुओं नदी, जल-वहन ही नहीं पर अपना अर्थ भी वहन कर रही है। अर्थ को भी ढो रही है। यह हमारी देव वाणी संस्कृत का चमत्कार है। अब यदि आप पूछेंगे, कि नदी को सरिता क्यों कहा जाता है?

(५) सरिता
सरिता का शब्द बीज धातु 'सृ' है। अब जब ऊपरी नदी का जल प्रवाह पहाड़ों से समतल भूमि पर उतर आता है, तो ढलान घटने के कारण, उसकी गति धीमी होती जाती है, और जब और भूमि सपाट होने लगती है, तो, बहाव की गति और धीमी हो जाती है, तो वह प्रवाह सरने लगता है, जैसे कोई सर्प सर रहा है तो अब उसे नदी नहीं सरिता नाम से जानेंगे और संस्कृत में व्याख्या करेंगे, ”या सरति सा सरिता। हिन्दी में, जो सरते-सरते (सरकते-सरकते) बहती है, वह सरिता है। तो पाठकों, बोलचाल की भाषा में हम सरिता और नदी में भेद नहीं करते पर शब्द बीज दोनों के अलग हैं। इसलिए वास्तव में अर्थ भी अलग है।

(६) तरंगिणी
वैसे तथाकथित नदी को तरंगिणी भी कहा जाता है। किस नदी को तरंगिणी कहा जाएगा?  लहरों को, आप जानते होंगे, तरंग भी कहते हैं। 'तरंग' शब्द भी अपना तैरने का अर्थ साथ लेकर ही है। जो जल-पृष्ठ पर तैरता है वह तरंग है। यह 'तृ' बीज-धातु से निकला हुआ शब्द है: 'यः तरति सः तरंगः' अर्थ होगा, जिस नदी पर लहरें नाच रही है, उसे तरंगिणी कहा जाएगा। यह सारे शब्द, तरंग, तरंगिणी, तारक, तरणी, अवतार 'तॄ' धातु से निकले हुए हैं।

निघंटुमें (नदी) के लिए ३७ नाम गिनाए गए हैं।
निघंटु के पश्चात भी पाणिनीय विधि से और भी नाम है। निघंटु वेदों के शब्दों का संग्रह है। उसके शब्दों की व्युत्पत्तियों का शोध करने वाले ग्रन्थों को निरुक्त कहते हैं। यास्क मुनि ने अतीव तर्क शुद्ध निरुक्त लिखा है।

(७) अर्थ परिवर्तन
उक्त उदाहरणों से निष्कर्ष निकलता है कि अर्थ में परिवर्तन होता रहता है किन्तु यह परिवर्तन की प्रक्रिया सर्वथा ऊटपटांग नहीं होती। अर्थ विस्तार एक प्रकार की प्रक्रिया है। जो तिल से तेल बनने की प्रक्रिया में दर्शाई गयी है और भी बहुत उदाहरण है। कुछ उदाहरण संक्षेप में प्रस्तुत करता हूँ।

(८)प्रवीण
अब, प्रवीण शब्द का विश्लेषण करते हैं। शब्द को देखने से पता चलता है, कि, यह शब्द वीणा शब्द के अंश 'वीण' के साथ 'प्र' उपसर्ग जोड़कर बना है। प्र+वीण=प्रवीण। संस्कृत में कहेंगे,–>’प्रकृष्टो वीणायाम्‌’, अर्थ हुआ, 'वीणा बजाने में कुशल व्यक्ति' इस प्रवीण शब्द का अर्थ विस्तार हुआ, और किसी भी कला, शास्त्र, या काम में निपुण व्यक्ति को, प्रवीण कहा जाने लगा कोई झाड़ू देने में प्रवीण कोई भोजन पकाने में प्रवीण, कोई व्यापार में प्रवीण। चाहे इन लोगों ने कभी वीणा को छुआ तक ना होफिर भी वे प्रवीण कहाने लगे।

(९) कुशल
ऐसा ही दूसरा अर्थ विस्तृत शब्द हैं, कुशल। कुशल शब्द का अर्थ था कुश लानेवालाकुश उखाड़ने में सतर्कता से काम लेना पड़ता है। एक तो उसकी सही पहचान करना, और दूसरे उखाड़ते समय सावधानी बरतना, नहीं तो उसके नुकीले अग्रभाग से उँगलियों के छिद जाने का भय बना रहता है। आरम्भ में 'कुशल' केवल कुश सावधानी से उखाड़लाने की चतुराई का वाचक था पर पश्चात किसी भी प्रकार की चतुराई का वाचक बन गया। अब किसी भी काम में चतुर व्यक्ति को कुशल कहा जाता है। कुश, कुशल, कुशलता, कौशल्य इसी जुडे हुए शब्द है।

(१०) कुशाग्रता
इसी कुश से जुडा हुआ शब्द है कुशाग्रता। कुश का अग्र भाग नुकीला, पैना होता है। ऐसी पैनी बुद्धि को कुशाग्रता और ऐसे व्यक्ति को कुशाग्र बुद्धिवाला कहा जाएगा।

(११) गोरज मूहूर्त
मुझे और एक शब्द जो प्रिय है, वह है गोरज मुहूर्त। सन्ध्या का समय है। गांव के बाहर दूर गौएंबछड़े इत्यादि चराके वापस लाए जा रहें हैं और गौओं के चरणों तले से रज-धूलि उड़ रही है। इस रजके उड़ने की जो समय घटिका है, उसका हमारे जिन पुरखों ने 'गोरज-मूहूर्त' नामकरण किया। वे आज के किसी भी कवि से कम नहीं होंगे। मुझे तो लिखते-लिखते भी भावुकता से हृदय गदगद हो जाता है।

(७)संध्या, या संध्याकाल।
शब्द ही क्या-क्या भाव जगाता है?  दिवस का अन्त और रात्रि का आगमन। रात्रि-दिवस का मिलन या सन्धि काल, सन्ध्या कहते ही अर्थ प्रकट।

(१२) मनः अस्ति स मानवः
मानव शब्द की व्याख्या है, 'वही मानव है, जिसे मन है'। मन विचार करने के लिए होता है। संस्कृत व्याख्या होगी- 'मनः अस्ति स मानवः'। आप जानते होंगे कि, मन होने के कारण मानव विचार कर सकता है। अन्य प्राणी विचार करने में असमर्थ है, वे जन्म-जात (Instinct) वृत्ति लेकर जन्म लेते हैं।
एक दूसरी भी व्याख्या दी जाती है, मानव की। वह है मनु के पुत्र के नाते ,मानव। जैसे पांडु के पुत्र पांडव, कुरू के कौरव, रघु के पुत्र सारे राघव। ठीक वैसे ही मनु के पुत्र मानव कहाए


(१३) उधार शब्द क्यों नहीं?
जो शब्द अंग्रेज़ी से, उधार लिए जाते हैं, उन में यह गुण होता नहीं है, और होता भी है, तो उसका संदर्भ परदेशी लातिनी या यूनानी होने से हमारी भाषाओं में वैसा शब्द लड़खड़ाते चलता है। पता चल जाता है, कि शब्द लंगड़ा रहा है, उच्चारण लड़खड़ा रहा है। दूसरा कारण, उस शब्द पर हमारे उपसर्ग, प्रत्यय, समास, सन्धि इत्यादिका वृक्ष (संदर्भ: शब्द वृक्ष) खड़ा नहीं किया जा सकता। शब्द अकेला ही स्वीकार कर के, स्पेलिंग और व्याख्या भी रटनी पड़ती है। शब्द अर्थवाही नहीं होता।

(१४) व्यक्ति (अव्यक्त व्यक्त व्यक्ति )
उसी प्रकार अन्य शब्द व्यक्ति है, परमात्मा की उत्तम कृति जहाँ व्यक्त होती है, वह व्यक्ति है। जन्म के पहले हम अव्यक्त थे, जन्मे तो व्यक्त हुए, और मृत्यु के बाद फिर से अव्यक्त में विलीन हो जाएंगे। इतना बडा सत्य जब हम किसी को 'व्यक्ति' कहते हैं, तो व्यक्त करते हैं। अंग्रेज़ी में जब हम इसका अनुवाद Individual करते हैं, तो क्या यह अर्थ व्यक्त होता है? नहीं, नहीं।
ऐसे बहुत सारे उदाहरण दिए जा सकते हैं।

(१५) वृक्ष
वृक्ष को वृक्ष क्यों कहते हैं? 'वृक्ष्‌ वृक्षते'। वृक्ष धातु बीज का अर्थ होता है, वेष्टित करना, आवरित करना, आवरण प्रदान करना। तो अर्थ हुआ जो आवरण करते हैं, वे वृक्षहै। आवरण के कारण छाया भी देते हैं। छाया देने का अर्थ वृक्ष के साथ जुड़ा हुआ है।

(१६) भारतीय शब्द-व्युत्पत्ति
भारतीय शब्द व्युत्पत्ति के आधार पर रचा जाता है। व्युत्पत्ति का अर्थ है 'विशेष उत्पत्ति'।
अंग्रेज़ी शब्दों की Etymology होती है। Etymology का अर्थ होता है, शब्द का प्रवास ढूँढना। शब्द किस भाषा में जन्मा, वहां से और किन-किन भाषाओं में गया, और अंत में अंग्रेज़ी में कैसे आया। उसे आप शब्द-प्रवास कह सकते हैं।

(१७) गुणवाचक संस्कृत शब्द
संस्कृत में , गुणवाचक अर्थ भरकर शब्द रचने की परम्परा है। लातिनी की परम्परा नहीं है, ऐसा नहीं, पर हमारी परम्परा बहुत ही समृद्ध है और हमारे लिए लातिनी परम्परा का उपयोग नहीं, जब तक हम कुछ लातिनी भी न सीख ले। इससे उलटे संस्कृत परम्परा है।आप जैसे वस्तुओं के गुण वर्णित करेंगे, वैसा शब्द संस्कृत आपको देने में समर्थ है। आपको केवल गुण दर्शाने होंगे। संस्कृत शब्द गुण-वाचक, अर्थ-वाचक, अर्थ-बोधक, अर्थ-वाही होता है।

(१८) अंग्रेज़ी का शब्द
अंग्रेज़ी का शब्द किसी वस्तु पर आवश्यकता पड़ने पर आरोपित किया जाता है। अंग्रेज़ी शब्द का इतिहास ढूँढा जाता है, कि किस भाषासे वह लिया गया है? संस्कृत शब्द मूलतः गुणवाचक होता है। अपने गुणों को उसके अर्थ को साथ वहन करता है। अंग्रेज़ी ने कम से कम पचास भाषाओं से शब्द लिए, इस लिए उसकी खिचड़ी बनी हुयी है। उसके उच्चारण का भी कोई एक सूत्रता नहीं, नियम नहीं। इस विषय में कभी हमारे अंग्रेज़ी के दीवानों ने सोचा है?
___________________________-


arthwahi-term-composition-dr-mudan

मंगलवार, 6 नवंबर 2012

Blogger पर Content Slider जोड़ना एकदम सरल है

0 Cmt and 0 Rct


आशा करता हूँ कि आपको पिछला HTML5 स्लाइडर (Slider) पसंद आया होगा। जैसा कि मैंने कहा था कि तरह-तरह के सरल स्लाइडर (Slider) आपके लिए तकनीक दृष्टा पर समय-समय पर दिये जायेंगे ताकि आप अपने ब्लॉग को सुंदर बना सकें और अपने ब्लॉग पर चुनिंदा पोस्टों की ब्लॉग पर नुमाइश कर सकें। मैं जो स्लाइडर (Slider) आपके लिए लाया हूँ उसको कंटेंट स्लाइडर (Content Slider) भी कहा जाता है जिसमें आप एक फोटो, पोस्ट का शीर्षक और पोस्ट का संक्षिप्त विवरण डाल सकते हैं। नीचे दिया गया चित्र कंटेंट स्लाइडर (Content Slider) कैसा दिखता है उसका प्रारूप है।

Content Slider Preview
Content Slider Preview

Sections of Content Slider
Sections of Content Slider

विशेषताएँ: Features
  1. इस स्लाइडर (Slider) में जोड़े गये पोस्ट शीर्षकRead More पर क्लिक करके पाठक आपकी पोस्ट (Post) तक पहुँच सकते हैं।
  2. इसके अतिरिक्त स्लाइडर से जोड़ी गयी फोटो एक निश्चित आकार (Fixed Sized) में रहती है जिससे आपके द्वारा प्रयोग की गयी फोटो के छोटे व बड़े आकार का अधिक महत्व नहीं रह जाता है।

See Slider Demo

कंटेंट स्लाइडर को ब्लॉग पर कैसे जोड़ें? | How to add Content Slider on Blogger


नोट:
1. किसी भी परिवर्तन से पूर्व टेम्प्लेट (Template) का बैकअप (Backup) ज़रूर ले लीजिए| कैसे? यह जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
2. ब्लॉगर टेम्पलेट (Blogger template) में बदलाव की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

नीचे दिये सभी चरण (Steps) पूरे कीजिए -

1- Dashboard ›› Blog's Template ›› Edit HTML ›› Proceed ›› Search for ]]></b:skin>

2- अब नीचे दिया गया CSS CODE इसके ऊपर पेस्ट कर दीजिए

#feature{ background:#f4f4f1;  width:525px;  height:280px;  padding:10px;  margin:0 auto 20px}
.slider{ margin:0;  padding:0}
.sliderwrapper{ background:#fff;  position:relative;  overflow:hidden;  width:100%;  height:250px}
.thumbnailz{ float:left;  margin:0;  padding:10px}
.thumbnailz img{ width:250px !important;  height:230px !important}
.contentdiv{ height:250px !important}
.pagination{ width:510px;  text-align:right;  background:#f4f4f1;  padding:0 0 0 10px;  height:20px;  margin-top:10px}
.pagination a{ padding:2px 7px;  text-decoration:none;  color:#fff;  background:#D04528}
.pagination a:hover, .pagination a.selected{ background:#fff;  color:#444}
.desc{ overflow:hidden;  padding:5px 10px 10px 0;  margin:0}
.desc p{ margin:10px 0 0 0;  padding:0}
.desc h2 a{ color:#D04528;  font-size:24px}

3- इसके बाद टेम्पलेट में </body> Tag की खोज कीजिए और नीचे दी गयी जावा स्क्रिप्ट (JS) इसके ऊपर पेस्ट कर दीजिए

<script src='//ajax.googleapis.com/ajax/libs/jquery/1.8.2/jquery.min.js'/>
<script src='//techprevue.googlecode.com/files/contentslider.js'/>
<script>
featuredcontentslider.init({
id: &quot;slider1&quot;, //id of main slider DIV
contentsource: [&quot;inline&quot;, &quot;&quot;], //Valid values: [&quot;inline&quot;, &quot;&quot;] or [&quot;ajax&quot;, &quot;path_to_file&quot;]
toc: &quot;#increment&quot;, //Valid values: &quot;#increment&quot;, &quot;markup&quot;, [&quot;label1&quot;, &quot;label2&quot;, etc]
nextprev: [&quot;Previous&quot;, &quot;Next&quot;], //labels for &quot;prev&quot; and &quot;next&quot; links. Set to &quot;&quot; to hide.
enablefade: [true, 0.5], //[true/false, fadedegree]
autorotate: [true, 6000], //[true/false, pausetime]
onChange: function(previndex, curindex){ //event handler fired whenever script changes slide
//previndex holds index of last slide viewed b4 current (1=1st slide, 2nd=2nd etc)
//curindex holds index of currently shown slide (1=1st slide, 2nd=2nd etc)
}
})
</script>

4- सभी परिवर्तन सावधानी पूर्वक पूरे कर लेने के बाद टेम्पलेट को SAVE कर दीजिए

5- अब आपको लेआउट (Layout) में जाकर एक HTML/Javascript Gadget जोड़ना है इसके लिए Add a Gadget पर क्लिक कीजिए
[Dashboard ›› Blog's Layout ›› Add a Gadget ›› HTML/Javascript Gadget]

6- इस गैजेट (Gadget) में आपको नीचे दिया कोड पेस्ट करके गैजेट को SAVE कर दीजिए
<div id="feature">
        <div class="sliderwrapper" id="slider1">
            <!-- Begin of Content Slider 1 -->
            <div class="contentdiv">
          <div class="thumbnailz">
       <img alt="ALT_IMG" src="http://i.minus.com/ivTnPCT8qUGvT.jpg" />
                </div>    
                <div class="desc">
       <h2><a href="#Post_Link_1">Post Title 1</a></h2>
       <p>Short Description about post 1 in 100 words</p>
                                     <a style='text-align:right;' href="#Post_Link_1">Read More...</a>
  </div>
            </div>
            <!-- End of Content Slider 1 -->

            <!-- Begin of Content Slider 2 -->
            <div class="contentdiv">
          <div class="thumbnailz">
       <img alt="ALT_IMG" src="http://i.minus.com/i7oMaU7tRPsxV.jpg" />
                </div>    
                <div class="desc">
       <h2><a href="#Post_Link_2">Post Title 2</a></h2>
       <p>Short Description about post 2 in 100 words</p>
                                     <a style='text-align:right;' href="#Post_Link_2">Read More...</a>
  </div>
            </div>
            <!-- End of Content Slider 2 -->

            <!-- Begin of Content Slider 3 -->
            <div class="contentdiv">
          <div class="thumbnailz">
       <img alt="ALT_IMG" src="http://i.minus.com/iAlUYKB0Cg4yZ.jpg" />
                </div>    
                <div class="desc">
       <h2><a href="#Post_Link_3">Post Title 3</a></h2>
       <p>Short Description about post 3 in 100 words</p>
                                     <a style='text-align:right;' href="#Post_Link_3">Read More...</a>
  </div>
            </div>
            <!-- End of Content Slider 3 -->

            <!-- Begin of Content Slider 4 -->
            <div class="contentdiv">
          <div class="thumbnailz">
       <img alt="ALT_IMG" src="http://i.minus.com/iuxI5V15twm0B.jpg" />
                </div>    
                <div class="desc">
       <h2><a href="#Post_Link_4">Post Title 4</a></h2>
       <p>Short Description about post 4 in 100 words</p>
                                     <a style='text-align:right;' href="#Post_Link_4">Read More...</a>
  </div>
            </div>
            <!-- End of Content Slider 4 -->

       </div>
         <div class="pagination" id="paginate-slider1"/>
    </div>
</div>

इस गैजेट में जोड़ा जाने वाला कोड स्लाइडर कंटेंट (Slider Content) है जिसे आपको अपने अनुसार बदलना होगा। मतलब ये है कि यही वो कोड है जिसमें आपको फोटो, पोस्ट शीर्षक और संक्षिप्त विवरण जोड़ना है।

यह परिवर्तन कैसे किये जायें इसके लिए नीचे दिये उदाहरण कोड को समझें। आप इस स्लाइडर में कितनी भी स्लाइड जोड़ सकते हैं किंतु ब्लॉग को धीमा होने से रोकने के लिए अधिकतम 5 से 10 स्लाइडर (5 to 10 Slides) ही जोड़ें।

<!-- Begin of Content Slider 1 -->
            <div class="contentdiv">
          <div class="thumbnailz">
       <img alt="ALT_IMG" src="http://i.minus.com/ivTnPCT8qUGvT.jpg" />
                </div>    
                <div class="desc">
       <h2><a href="#Post_Link_1">Post Title 1</a></h2>
       <p>Short Description about post 1 in 100 words</p>
                                     <a href="#Post_Link_1">Read More...</a>
  </div>
            </div>
            <!-- End of Content Slider 1 -->

ऊपर दिया कोड स्लाइडर की एक स्लाइड (1 Slide) का है। इसमें 4 भाग (Part) हैं जिन्हें आपको बदलना है।

1. http://i.minus.com/ivTnPCT8qUGvT.jpg ›› यह उदाहरण इमेज लिंक है
2. #Post_Link_1 ›› इसे आपको पोस्ट लिंक से बदलना है
3. Post Title 1 ›› इसे आपको पोस्ट शीर्षक से बदलना है
4. Short Description about post 1 in 100 words ›› इसकी जगह आप लगभग 100 शब्दों में पोस्ट का संक्षिप्त विवरण दें

इसी प्रकार बाक़ी स्लाइडस्‌ (Remaining Slides) के लिए कोड बदलकर आप अपना स्लाइडर तैयार कर सकते हैं। मेरे द्वारा दिए गये स्लाइडर में 4 स्लाइडस्‌ (Slides) हैं आप इसमें और भी स्लाइडस्‌ जोड़ सकते हैं।

आशा करता हूँ कि आप इस स्लाइडर को अपने ब्लॉग पर जोड़ने में सफल हो जायेंगे। पोस्ट पसंद आये तो फेसबुक पेज अवश्य [LIKE] करें।

सोमवार, 5 नवंबर 2012

कविता: दीप्ति शर्मा

कविता: 



Deepti Sharma की प्रोफाइल फोटो
 
दीप्ति शर्मा

*
अक्सर सवाल करती हूँ
उन टँगी तस्वीरों से
क्या वो बोलती हैं??
नहीं ना !!
फिर क्यों एक टक
यूँ मौन रह देखतीं हैं मुझे
कि जैसे जानती हैं
हर एक रहस्य जो कैद है
मन के अँधेरे खँड़रों में
क्या जवाब दे सकती हैं
मेरी उलझनों का
कुछ उड़ते हुए
असहाय सवालों का
जो मौन में दबा रखे हैं
शायद कहीं भीतर ।
©

पौराणिक आर्य युग रंजीत सिन्हा, कटिहार



पौराणिक आर्य युग 
रंजीत सिन्हा, कटिहार
सतयुग / ऋग्वैदिक काल --प्रारंभ वैशाख शुक्ल तृतीया, देव गंगा स्नान कर अन्य पुण्य कार्य करते हैं।

त्रेता / यजुर्वेदिक काल--प्रारंभ कार्तिक शुक्ल नवमी।

द्वापर / यजुदिक  / साम दिक काल--भद्र कृष्ण त्रयोदशी।

कलियुग / लौह युग --माघ पूर्णिमा, गंगा स्नान।
                                                                          
                                                                      अक्षय वट  
मनोकामना पूर्ण करने की क्षमताधारी पवित्र वृक्ष: 1. प्रयाग की किले में, 2. गया में।  पुरानों के अनुसार इनका अंत प्रलय काल में भी महीन होता।  पूजन से अमरत्व प्राप्ति। 
द्वादशाक्षर मन्त्र 
 "ओं नमो भगवते वासुदेवाय "--मूलतः वैश्वानर (अग्नि) को तथा कालांतर में विष्णु को समर्पित। 
                                                                     गन्धर्व-किन्नर 
ये देव-योनी में परिगणित होते हैं। ये गायन तथा नृत्य विधा में निपुण तथा राज्य-पालित होते रहे। किन्नर अलिंग (न पुरुष, न स्त्री) हैं इसलिए नवजात शिशु को लेकर नृत्य करते हैं  तथा कयानी-ध्यानी होने का आशीष देते हैं।

ha...ha...ha... vijay kaushal

ha...ha...ha...
Why did the chicken cross the road ? 
If asked what would be the Answers of 
famous personalities !!!

vijay kaushal 

















रविवार, 4 नवंबर 2012

POEM: A Simple Hug DR.G. M. SINGH

A Simple Hug

 
There's something in a simple hug

That always warms the heart,

It welcomes us back home

And makes it easier to part.

A hug is a way to share the joy

And sad times we go through,

Or just a way for friends to say

They like you 'cause you're you.


Hugs are meant for anyone

For whom we really care,

From your grandma to your neighbor,

Or a cuddly teddy bear.

A hug is an amazing thing

It's just the perfect way

To show the love we're feeling

But can't find the words to say.


It's funny how a little hug

Makes everyone feel good;

In every place and language,

It's always understood.

And hugs don't need new equipment,

Special batteries or parts -

Just open up your arms

And open up your hearts.

DR.G. M. SINGH GENERAL MEDICAL SERVICE 3/5 WEST PATEL NAGAR NEW DELHI-110008 INDIA 01142488406;9891635088

शनिवार, 3 नवंबर 2012

गीत: उत्तर, खोज रहे... संजीव 'सलिल'

गीत:
उत्तर, खोज रहे...
संजीव 'सलिल'

*
उत्तर, खोज रहे प्रश्नों को, हाथ न आते।
मृग मरीचिकावत दिखते, पल में खो जाते।
*
कैसा विभ्रम राजनीति, पद-नीति हो गयी।
लोकतन्त्र में लोभतन्त्र, विष-बेल बो गयी।।
नेता-अफसर-व्यापारी, जन-हित मिल खाते...
*
नाग-साँप-बिच्छू, विषधर उम्मीदवार हैं।
भ्रष्टों से डर मतदाता करता गुहार है।।
दलदल-मरुथल शिखरों को बौना बतलाते...
*
एक हाथ से दे, दूजे से ले लेता है।
संविधान बिन पेंदी नैया खे लेता है।।
अँधा न्याय, प्रशासन बहरा मिल भरमाते...
*
लोकनीति हो दलविमुक्त, संसद जागृत हो।
अंध विरोध न साध्य, समन्वय शुचि अमृत हो।।
'सलिल' खिलें सद्भाव-सुमन शत सुरभि लुटाते... 
*
जो मन भाये- चुनें,  नहीं उम्मीदवार हो।
ना प्रचार ना चंदा, ना बैठक उधार हो।।
प्रशासनिक ढाँचे रक्षा का खर्च बचाते...
*
जन प्रतिनिधि निस्वार्थ रहें, सरकार बनायें।
सत्ता और समर्थक, मिलकर सदन चलायें।।
देश पड़ोसी देख एकता शीश झुकाते...
*
रोग हुई दलनीति, उखाड़ो इसको जड़ से।
लोकनीति हो सबल, मुक्त रिश्वत-झंखड़ से।।
दर्पण देख न 'सलिल', किसी से आँख चुराते...
*

गीत: सागर में गिरकर... सीमा अग्रवाल

गीत:

सागर में गिरकर...



सीमा अग्रवाल 
*
सागर में गिर कर हर सरिता बस सागर ही हो जाती है 
लहरें बन व्याकुल हो हो फिर तटबंधों से टकराती है 

अस्तित्व स्वयं का तज बोलो 
किसने अब तक पाया है सुख 
गिरवी स्वप्नों की रजनी का 
चमकीला हो कैसे आमुख 

खोती प्रभास दीपक की लौ, जब सविता में घुल जाती है 
लहरें बन ..........

हो विलय ताम्र कंचन के संग 
खो जाता कंचन हो जाता 

कर सुद्रढ़ सुकोमल स्वर्ण गात 
निजता पर प्रमुख बना जाता

तज स्वत्व हेम हित ताम्र ज्योति बन हेम स्वयं मुसकाती है 
लहरें बन ..........

खो कर भी निज सत्ता खुद का 
अभिज्ञान सतत रखना संचित 

माधुर्यहीन,हो क्यों नदीश में 
सलिला सम रहना किंचित 

तांबा सोने में मुस्काता ,तरणी क्षारित कहलाती हैं 
लहरें बन व्याकुल ............

गीत: समाधित रहो .... संजीव 'सलिल'

गीत:
समाधित रहो ....







संजीव 'सलिल'
+
चाँद ने जब किया चाँदनी दे नमन,
कब कहा है उसी का क्षितिज भू गगन।
दे रहा झूमकर सृष्टि को रूप नव-
कह रहा देव की भेंट ले अंजुमन।।

जो जताते हैं हक वे न सच जानते,
जानते भी अगर तो नहीं मानते।
'स्व' करें 'सर्व' को चाह जिनमें पली-
रार सच से सदा वे रहे ठानते।।

दिन दिनेशी कहें, जल मगर सर्वहित,
मौन राकेश दे, शांति सबको अमित।
राहु-केतु ग्रसें, पंथ फिर भी न तज-
बाँटता रौशनी, दीप होता अजित।।

जोड़ता जो रहा, रीतता वह रहा,
भोगता सुर-असुर, छीजता ही रहा।
बाँट-पाता मनुज, ज़िन्दगी की ख़ुशी-
प्यास ले तृप्ति दे, नर्मदा सा बहा।।

कौन क्या कह रहा?, कौन क्या गह रहा?
किसकी चादर मलिन, कौन स्वच्छ तह रहा?
तुम न देखो इसे, तुम न लेखो इसे-
नित नया बन रहा, नित पुरा ढह रहा।।

नित निनादित रहो, नित प्रवाहित रहो।
सर्व-सुख में 'सलिल', चुप समाहित रहो।
शब्द-रस-भावमय छन्द अर्पित करो-
शारदी-साधना में समाधित रहो।।

***

पैरोडी: मैया मोरी... सतीश चौपड़ा


पैरोडी: मैया मोरी...

सूरदास से क्षमा प्रार्थना सहित-

सतीश चौपड़ा 
From: satish chopra <satishchopra@rediffmail.com>


शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

गूगल IME - हिन्दी में टाइप करने का सरलतम साधन --शैलेश भारतवासी

गूगल IME - हिन्दी में टाइप करने का सरलतम साधन

 

आज से लगभग दो वर्ष पहले जब मैं लोगों को ऑनलाइन हिन्दी टाइपिंग टूल के बारे में बताता था तो सबसे पहले गूगल का ट्रांसलिटरेशन (लिप्यंतरण) टूल के बारे में बताता था। और ऐसे लोगों को जो कि पहली बार हिन्दी में टाइप कर रहे होते थे, उन्हें सबसे अधिक यही टूल पसंद भी आता था।

लेकिन इस टूल की अपनी सीमाएँ हैं-
1) इंटरनेट कनैक्शन के लगातार बने रहने पर ही यह काम करता है।
2) इंटरनेट कनैक्शन सतत नहीं है, या आप डायल-अप कनैक्शन के उपभोक्ता हैं तो बहुत सम्भव है कि कई शब्द रोमन से देवनागरी में बदले ही ना।
3) और जबसे गूगल ने गूगल ट्रांसलिटरेशन बुकमार्कलेट ज़ारी किया तब से इनका अजाक्स फीचर और भी दुखदायी हो गया है।

मुझे याद है यूनिप्रशिक्षण के दौरान कम से कम 500 प्रशिक्षुओं ने मुझसे पूछा होगा कि गूगल की यह सुविधा ऑफलाइन इस्तेमाल के लिए नहीं मिल सकती? मैं कहता कि मैं तो इन सुविधाओं का प्रचारक हूँ, बनाने वाला होता तो ज़रूर बना चुका होता। इस संदर्भ मैंने गूगल-दरबार में 1-2 बार गुहार भी लगाई। खैर उन गुहारों का असर तो नहीं हुआ लेकिन बाज़ार का असर हुआ। माइक्रोसाफ्ट द्वारा हिन्दी के अतिरिक्त कई अन्य भारतीय भाषाओं में आईएमई(इनपुट मेथड एडीटर) ज़ारी किये जाने के बाद शायद प्रतिस्पर्धा का ही परिणाम था कि गूगल ने अपना आईएमई टूल जारी कर दिया।

हाँ, तो मैं इस खुशख़बरी के साथ हाज़िर हूँ कि यदि आप गूगल के ट्रांसलिटरेशन टूल के साथ बने रहना चाहते हैं लेकिन किसी ऑनलाइन बाक्स, ऑरकुट, जीमेल में टाइप करने के ताम-झाम से बचना चाहते हैं तो गूगल ने अपना ट्रांसलिटरेशन आईएमई टूल ज़ारी कर दिया है। गूगल ने यह टूल एक साथ 14 भाषाओं (अरबी, फ़ारसी (पर्सियन), ग्रीक, बंगाली, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, तमिल, तेलगू और ऊर्दू) में टाइप करने के लिए ज़ारी किया है। मैं यह ट्यूटोरियल हिन्दी के IME टूल के लिए तैयार कर रहा हूँ।

क्या खा़स है इस टूल में-

1) इंटरनेट कनैक्शन की कोई आवश्यकता नहीं- आप एक बार इंस्टॉल कर लें, फिर आपके पास इंटरनेट कनैक्शन हो या न हो, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
2) आसान कीबोर्ड- गूगल के इस टूल से लोगों की यह भी शिकायत रहती थीं कि वे हिन्दी के चालू शब्द तो टाइप कर लेते थे, लेकिन कई संस्कृतनिष्ठ शब्द नहीं टाइप हो पाते थे। जैसे बहुत कोशिशों के बाद भी 'हृदय' लिखना मुश्किल होता था, 'ह्रदय' से ही काम चलाना पड़ता था। जो लोग इस टूल का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस टूल की सीमाओं का पता है। अब नये IME में गूगल ने एक कीबोर्ड दिया है, जिसकी मदद से आप दुर्लभ और जटिल शब्द भी टाइप कर सकते हैं।
3) शब्दों की पूर्ति- इसमें शब्दकोश आधारित शब्द पूर्ति पद्धति सक्रिय है। इसकी मदद से टाइप करने वाले को यह आसानी होती है कि जैसे ही वह किसी शब्द के 2-3 अक्षर टाइप करता है, गूगल का यह सिस्टम इससे बन सकने वाले शब्दों का सुझाव देने लगता है। जैसे- 'हिन्दी' लिखना है, hi टाइप करते ही 'हिन्दी' का विकल्प प्रदर्शित हो जाता है।
4) खोज का विकल्प- इस टूल के साथ हर शब्द, शब्द-युग्म और सम्भावित शब्द के नीचे एक तीरनुमा आकृति बनी है, जिसपर क्लिक करने से Search (खोज) का विकल्प आता है, उसपर क्लिक करते ही गूगल उस शब्द से संबंधित खोज परिणाम प्रदर्शित करने लगता है। टाइपिंग पट्टी के ऊपरी दायें कोने में भी गूगल का ऑइकॉन है, जिसपर क्लिक करके गूगल-सर्च किया जा सकता है। इस विकल्प के जुड़े रहने से देवनागरी-सर्च को भी बढ़ावा मिलेगा।
5) वैयक्तिक चयन- गूगल का यह टूल आप द्वारा किये गये संशोधनों को भी अपने ध्यान में रखता है और अगली बार आपके रोमन अक्षरयुग्मों से उन्हीं शब्दों का सुझाव देता है जो आप द्वारा वांछित है। जैसे आप 'kam' से 'काम' की जगह 'कम' लिखना चाहते हैं तो अगली बार से यह आपकी पसंद का ख्याल रखता है।
6) सुखद अनुकूलन- गूगल इस टूल में फॉन्ट चयन, साइच चयन का विकल्प भी प्रदान करता है, जिससे आप अपनी पसंद के स्टाइल में टाइपिंग कर सकें।

अब इतना जान लेने के बाद आप यह ज़रूर जानना चाहेंगे कि इसे आप अपने सिस्टम में संस्थापित (इंस्टॉल) कैसे करें।

1) यहाँ क्लिक करके इसका सेट-अप डाउनलोड करें (आप चाहें तो इस टूल के अधिकारिक पृष्ठ पर जाकर भी सेट-अप डाउनलोड कर सकते है)।
2) एक ही क्लाइंट मशीन पर एक से अधिक भाषाओं का IME सेट-अप चलाया जा सकता है।
3) यह टूल Windows 7/Vista/XP 32-bit ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करता है।
4) जब इंस्टॉलर डाउनलोड हो जाये तो उसे चलायें। यह कुछ डाउनलोड करने की शुरूआत करेगा।
5) नियम व शर्तों को स्वीकार करें-

6) गूगल इनपुट सेट-अप इंस्टॉल हो रहा है-

7) फिनिश बटन पर क्लिक करके इंस्टॉलेशन विज़ार्ड से बाहर आयें-

विन्यास (कन्फिगरेशन)

आप यदि इस टूल को चलाना चाहते हैं तो पहले तो आपके सिस्टम में यूनिकोड का सपोर्ट इंस्टॉल होना चाहिए। इसके लिए आप Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Install files for complex scripts and right to left languages और Install files for East Asian languages दोनों को चेक्ड करके इंस्टॉलर सीडी द्वारा इंस्टॉल करें। इसके बाद आपके टूलबार में भाषा का विकल्प दिखने लगेगा। भाषा के इस विकल्प को लैंग्वेज बार भी कहते हैं।

यदि लैंग्वेज-बार न दिखे तो।
डेस्कटॉप पर राइट क्लिक करें (दायाँ क्लिक करें) और टूलबार में जायें और निम्नलिखित चित्र की भाँति लैंग्वेज़ बार इनेबल करें।

यदि फिर भी लैंग्वेज बार नहीं दिखता तो निम्नलिखित तरीके से लैंग्वेज बार दिखायें-
Windows 7/Vista
  1. Control Panel -> Regional and Language Options -> Keyboard and Languages tab
  2. Text services and input languages dialog खोलने के लिए Change keyboards पर क्लिक करें।
  3. Language Bar tab पर क्लिक करें
  4. लैंग्वेज़ बार वर्ग से Docked in the taskbar रेडियो बटन को इनेबल (सक्रिय) करें।
  5. उपर्युक्त सभी सेटिंग को इप्लाई करें और देखने की कोशिश करें कि आपके टूलबार में लैंग्वेज बार देखें।
Windows XP
  1. जायें-Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and input languages (Details) -> Advanced Tab
  2. यह सुनिश्चित कीजिए कि System configuration विकल्प के अंतर्गत Turn off advanced text services चेक्ड नहीं है।
  3. जायें- Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and input languages (Details) -> Settings Tab
  4. Language Bar पर क्लिक करें
  5. Show the Language bar on the desktop चुनें और OK पर क्लिक करें।
IME का Shortcut कैसे सक्रिय करें-

हालाँकि आप लैंग्वेज बार से अंग्रेजी और हिन्दी को बारी-बारी से चुनकर दोनों भाषाओं के बीच टॉगल कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने कीबर्ड से कोई शार्टकर्ट का इस्तेमाल करके किसी भी अनुप्रयोग में इसे चलाना चाहते हैं तो निम्नलिखित तरीके से कर सकते हैं-

Windows 7/Vista
  1. Control Panel -> Regional and Language Options -> Keyboard and Languages tab

  2. Text services and input languages dialog खोलने के लिए Change keyboards... बटन पर क्लिक करें।

  3. Advanced Key Settings tab खोजें और इसपर क्लिक करें।

  4. यदि Google Input उस लिस्ट में नहीं है तो Add पर क्लिक करें। Add Input language dialog box में भाषा विकल्प में हिन्दी और कीबोर्ड में Google Input चुनें।

  5. Hot keys for input languages वर्ग में - Google Input पर जायें।

  6. Change Key Sequence दबायें

  7. Enable Key Sequence चुनें

  8. Left ALT + SHIFT + Key 1 जैसा कोई विकल्प चुनें।

  9. ऊपर्युक्त सभी सेटिंग को एप्लाई करें।

  10. अब नोटपैड, वर्डपैड जैसे किसी अनुप्रयोग को खोलकर यह चेक करें कि शॉर्टकर्ट काम कर रहा है या नहीं। Left ALT + SHIFT + Key 1 दबायें और देखें कि हिन्दी में लिख पा रहे हैं या नहीं।
Windows XP

  1. Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and input languages (Details) -> Settings Tab
  2. यदि या Google Installed Services बॉक्स में भाषा के रूप में नहीं जुड़ा है, तो Add पर क्लिक करके Add Input language dialog box खोलें Input language में जोड़े और Keyboard layout/IME में Google Input चुनें। OK पर क्लिक करें।
  3. Key Settings पर क्लिक करें।
  4. Hot keys for input languages में Switch to -Google Input चुनें
  5. Change Key Sequence पर क्लिक करें
  6. Enable Key Sequence चुनें
  7. Left ALT + SHIFT + Key 1 जैसा कोई विकल्प चुनें।
  8. ऊपर्युक्त सभी सेटिंग को एप्लाई करें।
  9. अब नोटपैड, वर्डपैड जैसे किसी अनुप्रयोग को खोलकर यह चेक करें कि शॉर्टकर्ट काम कर रहा है या नहीं। Left ALT + SHIFT + Key 1 दबायें और देखें कि हिन्दी में लिख पा रहे हैं या नहीं।


फीचर-

मैं इसके बहुत से फीचरों के बारे में पहले ही बता चुका हूँ। एक बार चित्र के मध्यम से देखते हैं-

स्टेटस विंडो-

जब आप लैंग्वेज बार सक्रिय कर लेंगे और गूगल का विकल्प जोड़ लेंगे तो IME सक्रिय करने का शॉर्टकर्ट चलाते ही आपके स्क्रीन पर इस टूल का स्टेटस दिखाई देगा।

संपादन खिड़की-

स्क्रीन पर गूगल IME का विंडो दिखते ही आप नोटपैड सरीखे किसी अनुप्रयोग को खोलें और टाइप करना शुरू करें। जब आप 'googl' टाइप करेंगे तो निम्नलिखित तरीके से विकल्प दिखेंगे-

नेविगेशन और चयन-

बाय-डिफाल्ट सबसे बायाँ विकल्प आपका सक्रिय चयन है। आप अपना चयना BOTTOM-ARROW या TAB बटन द्वारा बदल सकते हैं। विकल्पों पर आगे बढ़ जाने के बाद पीछे के विकल्प/विकल्पों पर लौटने के लिए UP-ARROW या SHIFT+TAB बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मुश्किल लगे तो माउस राजा तो है हीं। Enter बटन को दबाकर वांछित शब्द इमसर्ट कर सकते हैं। SPACE या कोई PUNCTUATION CHARACTER (विराह चिह्न) आदि बटनों का प्रयोग करके भी शब्द को पूरा टाइप किया जा सकता है। CTRL+ के शॉर्टकर्ट से भी आप प्रदर्शित विकल्पों में से वांछित विकल्प चुन सकते हैं। जैसे दूसरा विकल्प चुनने के लिए CTRL+2 -

शब्द-पूर्ति-

जब आप इस संपादित्र (एडीटर) के माध्यम से कोई शब्द टाइप करते हैं तो यह सारे संभावित शब्द युग्मों को काले और नीले रंगों में दिखाता है। काले रंग के बैकग्राउंड में प्रदर्शित हो रहे शब्द आपके द्वारा टंकित रोमन अक्षरों से सम्भावित शब्द है और नीले रंग के बैकग्राउंड में प्रदर्शित होने वाले शब्द शब्दकोश के शब्द हैं।

पेजिंग-

हमने जिस सेटिंग पर चर्चा की, उसमें 1 बार में 5 शब्द प्रदर्शित होते हैं। सेटिंग से आप इसे 6 तक बढ़ा सकते हैं। लेकिन मान लें कि इस टूल के पास आप द्वारा टंकित अक्षरयुग्मों के लिए 5 या 6 से अधिक सुझाव हैं तो यह 1 से अधिक पृष्ठों में सभी शब्द प्रदर्शित करेगा। आप देखेंगे कि ऊपर और नीचे जाने का Arrow नेविगेशन चमकने लगेगा। आप PAGEUP, PAGEDOWN बटन से भी इन विकल्पों के बीच दौड़ सकते हैं।

खोज-

किसी भी समय जब आप इस संपादित्र में टाइप कर रहे हों, दायें कोने में गूगल के ऑइकॉन पर क्लिक करके उस शब्द (हाइलाइटेड) से संबंधित गूगल खोज कर सकते हैं। गैरसक्रिय विकल्पों पर बने डाउनएरो(DownArrow) के निशान पर क्लिक करके उस विशेष विकल्प से संबंधित गूगल खोज कर सकते हैं।

प्रयोक्ता कैशे (USER CACHE)-

कम्प्यूटर के लिए कैशे एक अस्थाई स्मृति होती है जो कभी पहले इस्तेमाल किये गये डाटा के रूप में संग्रहणित होती है। कई दफ़ा स्मृति आधारित बहुत से कम्प्यूटर अनुप्रयोग अपनी इसी स्मृति की मदद से बहुत तेज़ काम करते हैं, तेज़ परिणाम देते हैं।

गूगल का यह आईएमई टूल भी प्रयोक्ता द्वारा सुझाये गये विकल्पों को अपने कैशे मेमोरी में संचित करके रखता है और अगली दफ़ा आपको वांछित परिणाम देता है। उदाहरण के लिए- मान लें कि आपने इस संपादित्र की मदद से रोमन में 'program' टाइप किया। यह टूल पहले आउटपुट के रूप में 'प्रोग्राम' दिखाया, लेकिन आपको दूसरा विकल्प 'प्रोगराम' वांछित था। आपने उसे एरो बटन या माउस द्वारा चुना।

जब आप अगली बार ''program' टाइप करेंगे तो गूगल का यह IME टूल आपके सुझाव और आपकी चाहत को ध्यान में रखेगा और पहले विकल्प के रूप 'प्रोग्रराम' दिखायेगा। नीचे दिखाये गये चित्र की तरह-




दो भाषाओं को आपस में बदलना-

आप इस टूल की मदद से पहले की तरह अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा दोनों के शब्द अपने एक ही कीबोर्ड से लिख सकते हैं। जब आईएमई सक्रिय हो, आप F12 या Ctrl+G की मदद से रोमन और देवनागरी को आपस में बदल सकते हैं।



आप चाहें तो आपके कम्प्यूटर स्क्रीन पर बने ऑइकॉन की मदद से 'अ' पर क्लिक करके 'A' और 'A' पर क्लिक करके 'अ' कर सकते हैं। 'अ' इस बात का सूचक है कि टाइपिंग-आउटपुट देवनागरी में होगा और 'A' इस बात का सूचक है कि टाइपिंग-आउटपुट रोमन में होगा।

कीबोर्ड-

गूगल ने इस बार एक इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड का विकल्प भी दिया है, जिसमें हिन्दी के सभी स्वर, व्यंजन, विराम चिह्न इत्यादि एक क्रम में सजे हुए हैं। इस कीबोर्ड की मदद से आप बहुत से जटिल और दुर्लभ शब्द या अपनी मर्ज़ी के सार्थक-निरर्थक शब्द अपने आलेख में जोड़ सकते हैं। जैसे यदि आप कीबोर्ड की मदद से 'यक्ष' लिखना चाहें तो कीबोर्ड से 'य' और 'क्ष' का बटन दबायें आपका काम हो जायेगा।

यह कीबोर्ड स्टेटस विंडों (कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाला IME का ऑइकॉन) पर बने कीबोर्ड के ऑइकॉन पर क्लिक करके खोला जा सकता है या कीबोर्ड शॉर्टकर्ट Ctrl+K द्वारा खोला जा सकता है। माउस द्वारा वांछित अक्षर का चुनाव कर सकते हैं। माउस से स्टेटस विंडो पर बने कीबोर्ड के ऑइकॉन पर दुबारा क्लिक करके, या Ctrl+K दबाकर या Esc का बटन दबाकर इसे बंद किया जा सकता है।

गूगल ने पहली बार ZWJ और ZWNJ का विकल्प भी इस कीबोर्ड में दिया है। मैं यूनिप्रशिक्षण के दौरान कई बार इन दोनों के महत्व का उल्लेख कर चुका हूँ। आज संक्षेप में दुबारा लिखता हूँ-

ZWJ- Zero Width Joiner (शून्य चौड़ाई वाला योजक)- मतलब दो व्यंजनों को जोड़ने वाला ऐसा योजक जिसकी चौड़ाई शून्य हो। जैसे जब हम सामान्य तरीके से एक आधा व्यंजन और उसके बाद पूरा व्यंजन लिखते हैं तो दोनों मिलकर कई बार बहुत अजीब सा (अवांछित) रूप धर लेते हैं। जैसे जबकि हम 'रक्‍त' लिखना चाहते हैं, लेकिन इसका रूप 'रक्त' जैसा हो जाता है। असल में हम 'रक्‍त' इसी ZWJ की मदद से लिखते हैं। मतलब यह जोड़ भी देता है और कोई स्थान भी नहीं घेरता।
रक्त= र+क्+त
रक्‍त=र+क्+ZWJ+त

या मान लें आपको को 'क्‍', 'ख्‍', 'ग्‍'.....'च्‍', 'छ्‍'.....'त्‍', 'थ्‍' इत्यादि लिखना है तो ZWJ का इस्तेमाल करना होगा।
जैसे ग्‍= ग्+ZWJ

ZWNJ- Zero Width Non Joiner (शून्य चौड़ाई वाला अ-योजक)- मतलब दो व्यंजनों को पारस्परिक अलग-अलग दिखाने का उपाय जिससे हम व्यंजन के पूर्ण शुद्ध रूप को निरूपित कर सकते हैं, भले ही उसके बाद कोई व्यंजन ही आये। अमूमन हिन्दी में किसी पूर्ण शुद्ध व्यंजन के बाद कोई व्यंजन जुड़ते ही उसके आकार में कुछ विकार आ जाता है, लेकिन कई बार हम उसे अलग करके दिखाना चाहते हैं, जिसके लिए ZWNJ का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे मान लें कि 'रक्त' आप ना तो 'रक्त' की तरह और ना ही 'रक्‍त' की तरह दिखाना चाहते हैं बल्कि आप 'रक्‌त' की तरह दिखाना चाहते हैं तब आप ZWNJ का इस्तेमाल करेंगे।
रक्‌त= र+क्+ZWNJ+त




अनुकूलन-

इस टूल में अपने हिसाब से अनुकूलन करने का विकल्प भी मौज़ूद है। आप स्टेट्स विंडों में सेटिंग के ऑइकॉन पर क्लिक करके 'Suggestion Font' से यूनिकोड का फॉन्ट, साइज़ और बोल्ड, इटैलिक, अंडरलाइंड इत्यादि जैसे कस्टोमाइजेशन कर सकते हैं। आप मंगल और Arial Unicode MS के अलावा भी जैसे गार्गी, जयपुर यूनिकोड, जनहिन्दी इत्यादि जैसे यूनिकोड फॉन्ट (यदि आपने इसे अपने सिस्टम में अलग से डाल रखा है तो) जैसा कोई और फॉन्ट चुन सकते हैं।

अंग्रेज़ी के शब्दों के लिए फॉन्ट कस्टोमाइजेशन कर सकते हैं। पेज़ साइज़ बदल सकते हैं (एक पेज़ में कितने विकल्प दिखाने हैं)।

जिस प्रयोक्ता कैशे का उल्लेख मैंने ऊपर किया आप चाहें तो उसे निष्क्रिय भी कर सकते हैं, क्योंकि कई बार आप बहुत अजीब या कम प्रयोग में आने वाला शब्द टाइप करते हैं और आप नहीं चाहते कि चालू शब्द पहले नं॰ पर आना बंद हो।

मैंने गूगल के अंग्रेज़ी ट्यूटोरियल की मदद से, खुद से प्रयोग करके और कुछ पुराने अनुभवों के माध्यम से इस टूल के बारे में बताने की कोशिश की है। फिर भी यदि आपको कोई परेशानी आये तो लिखें।

यदि प्रयोक्ताओं को इस ट्यूटोरियल से बात समझ में नहीं आ पाती तो मैं वीडियो ट्यूटोरियल लेकर उपलब्ध होऊँगा।
divyanarmada.blogspot.com

दोहा सलिला: विवाह- एक दृष्टि द्वैत मिटा अद्वैत वर... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
विवाह- एक दृष्टि

द्वैत मिटा अद्वैत वर...
संजीव 'सलिल'

*
रक्त-शुद्धि सिद्धांत है, त्याज्य- कहे विज्ञान।
रोग आनुवंशिक बढ़ें, जिनका नहीं निदान।।

पितृ-वंश में पीढ़ियाँ, सात मानिये त्याज्य।
मातृ-वंश में पीढ़ियाँ, पाँच नहीं अनुराग्य।।

नीति:पिताक्षर-मिताक्षर, वैज्ञानिक सिद्धांत।
नहीं मानकर मिट रहे, असमय ही दिग्भ्रांत।।

सहपाठी गुरु-बहिन या, गुरु-भाई भी वर्ज्य।
समस्थान संबंध से, कम होता सुख-सर्ज्य।।

अल्ल गोत्र कुल आँकना, सुविचारित मर्याद।
तोड़ें पायें पीर हों, त्रस्त करें फ़रियाद।।

क्रॉस-ब्रीड सिद्धांत है, वैज्ञानिक चिर सत्य।
वर्ण-संकरी भ्रांत मत, तजिए- समझ असत्य।।

किसी वृक्ष पर उसी की, कलम लगाये कौन?
नहीं सामने आ रहा, कोई सब हैं मौन।।

आपद्स्थिति में तजे, तोड़े नियम अनेक।
समझें फिर पालन करें, आगे बढ़ सविवेक।।

भिन्न विधाएँ, वंश, कुल, भाषा, भूषा, जात।
मिल- संतति देते सबल, जैसे नवल प्रभात।।

एक्य समझदारी बढ़े, बने सहिष्णु समाज।
विश्व-नीड़ परिकल्पना, हो साकारित आज।।

'सलिल' ब्याह की रीति से, दो अपूर्ण हों पूर्ण।
द्वैत मिटा अद्वैत वर, रचें पूर्ण से पूर्ण।।

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद कार्यकारिणी बैठक दिनांक 28-10-2012


राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद

(कायस्थ सभाओं / संस्थाओं / मंदिरों / धर्मशालाओं / शिक्षा संस्थाओं / पत्र पत्रिकाओं का परिसंघ )
: कार्यालय :
राष्ट्रीय अध्यक्ष: जे. ऍफ़. १/७१, ब्लोक ६, मार्ग १० राजेन्द्र नगर पटना ८०००१६ बिहार
वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष: २०४ , विजय अपार्टमेन्ट, नेपियर टाउन, जबलपुर, ४८२००१ मध्य प्रदेश
महामंत्री: २०९-२१० आयकर कॉलोनी, विनायकपुर, कानपुर २०८०२५ उत्तर प्रदेश

प्रति:
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जयपुर दिनांक 28-10-2012। राष्ट्रीय चित्रगुप्त महापरिषद की केन्द्रीय कार्यकारिणी बैठक  राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री त्रिलोकी प्रसाद वर्मा मुजफ्फरपुर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में 6 राज्यों से पधारे 35 पदाधिकारी प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। महामंत्री चित्रांश डॉ. यू. सी. श्रीवास्तव कानपूर ने बैठक का सञ्चालन करते हुए सनातनधर्मियों के हितों पर कुठाराघात करने और अन्य धर्मावलम्बियों की हित रक्षा की नीति की आलोचना की। समग्र क्रांति आन्दोलन में जे.पी. के अनुयायी रहे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुमार अनुपम ने बिहार में कायस्थ नव जागरण आन्दोलन की चर्चा की। राजस्थान प्रदेश के संयोजक श्री सचिन खरे तथा उपाध्यक्ष अरुण माथुर ने जातिवादी व्यवस्था को समाज के लिए घातक निरूपित किया। दुर्ग छतीसगढ़ से पधारे राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री अरुण श्रीवास्तव 'विनीत' ने वर्तमान दलीय राजनैतिक प्रणाली से उत्पन्न भ्रष्टाचार को घातक बताया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश श्री कमलकांत वर्मा ने अन्ना हजारे तथा केजरीवाल के आंदोलनों में समाज के समर्थन के प्रति आभार व्यक्त किया।

राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष चित्रांश संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर ने देव चित्रगुप्त तथा कायस्थ धर्म की व्याख्या वैदिक-पौराणिक प्रसंगों द्वारा करते हुए निम्न प्रस्ताव प्रस्तुत किये जो सर्व सम्मति से पारित किये गए।

सामाजिक प्रस्ताव:

1. निराकार परात्पर परब्रम्ह अंश रूप में कायाओं में व्यापकर कायस्थ होते हैं। ऐसे सभी व्यक्ति जो इस सत्य को जानते और मानते हैं कायस्थ महावंश के अंग हैं। वर्ण, जाति, धर्म, पंथ, भाषा, भूषा, क्षेत्र या अन्य किसी भी आधार पर उनमें भेद स्वीकार्य नहीं हैं। महापरिषद में अहिन्दीभाषी सदस्य व पदाधिकारी बनाये जाएँ।

2. अन्य किसी भी पंथ / धर्म / मत के अनुयायी उक्त सूत्र को स्वीकार कर जड़-चेतन के प्रति समता-समानता-सद्भाव भाव धारणकर सनातन धर्म के कायस्थ महावंश में सम्मिलित हो सकते हैं। इस हेतु उन्हें निर्धारित प्रक्रिया का पालनकर अपने आचार-विचार को संयमित रखने, अन्य जनों की स्वतंत्रता की रक्षा करने तथा सबसे समतापरक व्यवहार करने का वचनपत्र देना होगा।

3. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तथा लाल बहादुर शास्त्री जी के निधन संबंधी नस्तियां एवं कागजात सार्वजनिक किये जाएँ। नेताजी  का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाए अथवा उनके अज्ञातवास की खोज की जाए तथा जिलाधिकारी फैजाबाद के नाजरात में रखे गुमनामी बाबा के सामान की जाँचकर सूची सार्वजानिक की जाए।

4. सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ़ शंखनाद करते हुई कायस्थ समाज हर क्षेत्र में स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों का समर्थन तथा मलिन छवि के उमीदवारों का सक्रिय विरोध करेगा।

राजनैतिक प्रस्ताव:

5. केन्द्रीय मंत्रिमंडल से एक मात्र कायस्थमंत्री को उनके विरुद्ध गंभीर आरोप न होते हुए हटाने तथा गंभीर आरोपों से घिरे मंत्रियों को बनाये रखने का विरोध करते हुए कोंग्रेस अध्यक्ष को लिखा जाए।

6. आरक्षण समाप्त किया जाए तथा सभी को योग्यतानुसार समान अवसर प्राप्ति सुनिश्चित की जाए अथवा सवर्णों के लिए आरक्षण सुनिश्चित कर कायस्थ, ब्राम्हण, क्षत्रिय तथा वैश्य को समान प्रतिशत दिया जाए।

7. आगामी चुनावों को देखते हुए चुनाव क्षेत्रवार कायस्थ मतदाता संख्या, उपयुक्त उम्मीदवार तथा समर्थित उम्मीदवार का चयन किया जाए। टिकिट प्राप्ति पश्चात् सामाजिक समीकरणों का विवेचन कर नीति निर्धारण हेतु समिति का निर्माण किया जाए।

धार्मिक प्रस्ताव:

8. श्री चित्रगुप्त मंदिर उज्जैन, खजुराहो, अयोध्या, पटना तथा कांची के उन्नयन हेतु विशेष योजना बनाई जाए। डाक टिकिट जारी किया जाए।

9. समकालिक कायस्थ महर्षियों महर्षि महेश योगी, सत्य साईं बाबा तथा सहजयोग प्रवर्तिका निर्मला देवी श्रीवास्तव पर डाक टिकिट जारी किया जाए।

10. सनातन धर्मियों हेतु निर्धारित 16 संस्कारों की सामयिकता पर विचार के समय तथा प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण किया जाए।

11. विक्रम संवत अनुसार वर्ष भर के तीज-त्योहारों के औचित्य,  पूजन-विधान आदि का निर्धारण कर पत्रक जारी किया जाए ताकि युवा पीढ़ी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा से अवगत हो सके।

12. कायस्थों तथा श्री चित्रगुप्त के उद्भव एवम योगदान पर शोधकर प्रामाणिक सामग्री प्रकाशित की जाए।

अन्य:

14. गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे कायस्थों का सर्वेक्षण कर उन्हें आय वृद्धि के साधन तथा अवसर प्रदान किये जाएँ।

14. निर्धन छात्रों को अध्ययन हेतु शिक्षण शुल्क तथा पुस्तकें प्रदान करने हेतु समर्थ कायस्थ जनों से संपर्क कर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।

15. विधवा / विधुर विवाह, कन्या भ्रूण संरक्षण / बाल विवाह निषेध, कन्या-शिक्षा, पुत्र-पुत्री समानता, पौधारोपण, जल संरक्षण, पर्यावरण शुद्धिकरण, खुले स्थान पर शौच-निषेध, पुस्तकालय / वाचनालय स्थापना आदि कार्यक्रम इकाई  स्तर पर अपनाएं जाएं।

इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन हेतु संपर्क सूत्र: 
0761-2411131 / 094251 83244.

सामयिक रचना: सेन्डी की बदगुमानी मैत्रेयी अनुरूपा


सामयिक रचना: 
अमरीका में आए तूफ़ान सैंडी पर: 
सेन्डी की बदगुमानी

मैत्रेयी अनुरूपा
 
तूफ़ान की हदों से गुजरी है ज़िन्दगानी
लेकिन न हार फिर भी लम्हे के लिये मानी
 
दो फ़ुट बरफ़ की चादर ओढ़े हुये कहा है
ए अब्र जरा बरसा कुछ और अभी पानी
 
रफ़्तार मील सत्तर चलती रहें हवायें
हमने भी नशेमन की कुव्वत है आजमानी
 
लेकर उठा है करवट फ़िर खंडहर से कोई
दरिया की आदतें ये अब हो चुकी पुरानी
 
अनुरूपा गिन न पाये जो पेड़ गिर गये हैं
गिनती है सिर्फ़ पौधें जो फिर नई लगानी
***
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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

गीत: गीत तेरे होंठ पर गीतकार

गीत:
गीत तेरे होंठ पर
गीतकार 
  *
गीत तेरे होंठ पर खुद ही मचलने लग पड़ें आ
इसलिये हर भाष्य को व्यवहार मैं देने लगा हूँ
देव पूजा की सलौनी छाँह के नग्मे सजाकर
काँपती खुशबू किसी के नर्म ख्यालों से चुराकर
मैं हूँ कॄत संकल्प छूने को नई संभावनायें
शब्द का शॄंगार करता जा रहा हूँ गुनगुनाकर
अब नयन के अक्षरों में ढल सके भाषा हॄदय की
इसलिये स्वर को नया आकार मैं देने लगा हूँ
रूप हो जो आ नयन में खुद-ब-खुद ही झिलमिलाये
प्रीत हो, मन के समंदर ज्वार आ प्रतिपल उठाये
बात जो संप्रेषणा का कोई भी माध्यम न माँगे
और आशा रात को जो दीप बन कर जगमगाये
भावना के निर्झरों पर बाँध कोई लग न पाये
इसलिये हर भाव को इज़हार मैं देने लगा हूँ
मंदिरों की आरती को कंठ में अपने बसाकर
ज्योति के दीपक सरीखा मैं हॄदय अपना जला कर
मन्नतों की चादरों में आस्था अपनी लपेटे
घूमता हूँ ज़िन्दगी के बाग में कलियाँ खिलाकर
मंज़िलों की राह में भटके नहीं कोई मुसाफ़िर
इसलियी हर राह को विस्तार मैं देने लगा हूँ
geetkar@yahoo.com 

संस्मरण: मधु गुप्ता

संस्मरण:
           मधु गुप्ता 
 
प्रिय जनों ,
एक वाकया सुनाने का मन हो रहा है सो सुना रही हूँ ,
मेरे पति जो आर्मी में डाक्टर थे और लगभग  पच्चीस साल पहले उनकी पोस्टिंग जम्मू से आगे पूंछ पाकिस्तान बोर्डर के पास एक छोटा सा गाँव था सूरनकोट वहाँ के अस्पताल को कमांड कर रहे थे. वो फील्ड पोस्टिंग थी और परिवार नहीं जा सकते थे, अलबत्ता गरमी की छुट्टियों में हम दो महीने के लिए चले जाते थे, और पहाड़ी वादियों का भरपूर लुत्फ़ उठाते थे,  अन्य और भी परिवार आ जाते थे अच्छा खासा रिसोर्ट बन जाता था,वहाँ के स्थानीय कश्मीरी लोगों को भी कुछ नौकरी मिल जाती थी. रशीद नाम का एक सफाई कर्मचारी था जो हमारे कमरे आदि साफ़ करता था, बड़ा ही भला मानुस था. वो कई बार कहता था कि 'उसकी घरवाली अफ़सरान साहेब की मेमसाहब लोगों से मिलना चाहती हैं, मैंने कहा: "ले आओ किसी दिन भी "
एक दिन दोपहर में, हम बरामदे के बाहर कुर्सियों पर बैठे धूप खा रहे थे  कि  हमने देखा साफ़ सुथरे कपड़े पहने उसकी पत्नी, दो बेटियाँ व एक बेटा वहाँ आए, और ठिठकते हुए कुछ दूरी पर खड़े हो गए, स्नेहपूर्वक हमने उन्हें अपने पास बुलाया, कुर्सी की और इशारा किया बठने का, परन्तु वो लोग कुर्सी पर नहीं बैठे, बरामदे की सीढ़ियों पर बैठ गए. खाने-पीने के लिए मेस से कुछ ऑर्डर करना चाहा तो उन्होंने इनकार कर दिया, कहा 'रोज़े' चल रहे हैं, बच्चे  भी' रोजा' रखे थे.( रोजा रखने या न रखने से क्या फरक पड़ता है वैसे भी उनके घरों में कुछ खाने को नहीं होता था, हमने उनका जीवन बहुत नजदीक से देखा था) कुछ देर बाद उन्होंने सफ़ेद रूमाल की पोटली हमारे सामने खोली उसमें ताज़े भुने हुए मकई क दाने थे, और हमारे मुँह की ओर ताकते हुए कहा- "आपके वास्ते "
मेरा मुँह कलेजे में आ गया, घुटन महसूस हुई और दम घुटने लगा. अनायास ही महादेवी वर्मा जी की कहानी  "सिस्तर के वास्ते " याद हो आ . थोड़ी देर बाद 'उन्होंने पूछा बच्चे कहाँ है?'
मैंने दूर खेल रहे बच्चों की और इशारा किया कि, वो वहाँ खेल रहें हैं , कुछ बच्चे बैडमिंटन  खेल रहे थे,  कुछ क्रोके और कुछ यूँ ही भाग दौड़ कर कर रहे थे , मैंने अपनी दोनों बेटियों को आवाज़ दी , और उनसे मिलवाया, मिलने के तुरंत बाद उन्होंने फिर पूछा: "बच्चे कहाँ हैं ?" 
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, सोचा अभी तो इन्हें मिलवाया था, मैंने कहा: "ये ही तो हैं हमारे बच्चे "भोली-भोली सी बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी ओर देखकर उन्होंने अपना प्रश्न फिर दोहराया: "बच्चे कहाँ है?"
मैंने पुनः बेटियों की ओर इशारा किया, वो बोलीं: "ये तो लड़कियाँ हैं, साहब का बच्चा नहीं है ?" 
बाद में हमारी पोस्टिंग दिल्ली हों गई थी। रशीद एक दिन अचानक अपने बेटे के साथ वहाँ पहुँच गया, मेरे पति की यूनिट में आया  उसने बताया उसका एकलौता बेटा बीमार रहता है , मिलिटरी अस्पताल में मानवता के नाते उसकी जाँच करवाई, पता चला उसकी दोनों किडनी खराब हो गयी थी मात्र दस बरस का था।  उसके इलाज के लिए पैसा कहाँ से लाता, दिल्ली में कहाँ ठहरता? जो मदद हम कर सकते थे की, फिर उसे वापसी का किराया दे कर भेज दिया, बाद में पता चला वो बच नहीं पाया था। अब बस करतीं हूँ आज भी दिल डूबता है , .---.
Madhu Gupta <madhuvmsd@gmail.com>

बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

विशेष गीत : हम अभियंता अभियंता संजीव 'सलिल'

विशेष गीत :
हम अभियंता 

अभियंता संजीव 'सलिल'
*
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
माटी से मूरत गढ़ते हैं,
कंकर को शंकर करते हैं।
वामन से संकल्पित पग धर-
हिमगिरि को बौना करते हैं।
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं।
असफलता का फ्रेम बनाकर
चित्र सफलता का मढ़ते हैं।
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे
फिर भविष्य की क्यों हो चिंता?
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
अनिल, अनल, भू, 'सलिल', गगन हम
पंचतत्व औजार हमारे।
विश्व, राष्ट्र, मानव उन्नति हित
तन-मन-समय-शक्ति-धन वारे।
वर्तमान, गत-आगत नत हैं
तकनीकों ने रूप सँवारे।
निराकार साकार हो रहे
अपने सपने सतत निखारे।
साथ हमारे रहना चाहे
भू पर उतर स्वयं भगवंता।
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
भवन, सड़क, पुल, यंत्र बनाते
ऊसर में फसलें लहराते।
हमीं विश्वकर्मा विधि-वंशज
मंगल पर पद-चिन्ह बनाते।
प्रकृति-पुत्र हैं, नियति नटी की
आँखों से हम आँख मिलाते।
हरि सम हर हर आपद-विपदा
गरल पचा अमृत बरसाते।
'सलिल'-स्नेह नर्मदा निनादित
ऊर्जा-पुंज अनादि अनंता। 
हम अभियंता!, हम अभियंता !!
मानवता के भाग्य-नियंता.....
*
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
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94251 83244 / 0761 - 2411131