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शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

सोरठे, रामकिंकर,

सोरठे
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करें कृपा श्री राम, हे बसंत! कुछ जतन कर।
गुरुवर लें कर थाम, शीश रखूँ गुरु-पगों पर।।
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पुण्य कभी तो फलें, किंकर का किंकर बनूँ।
मोह-क्रोध मत छलें, प्रभु को मैं पल-पल गुनूँ।।
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गुरुगद्दी आसीन, पूज्यपाद मंदाकिनी।
पद-रज पा मैं दीन, हो पाऊँ भव-पार भी।।
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धन्य राम का दास, हो कृपालु प्रभु कृपा पा।
प्रभु-दासों का दास, बन मैं पापी तर सकूँ।।
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अवध, सृष्टि है सकल, कण-कण में श्री राम हैं।
भू-तनया हैं धवल, अमल-विमल श्री सिया जू।।
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आऊँ गुरु-प्रभु काम, क्या ऐसा सौभाग्य है?
जन्म-जन्म नाकाम, रहा यही दुर्भाग्य है।
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मातु नर्मदा तीर, जन्म मिला प्रभु कृपा से। 
कर्म दे रहे पीर, माँ सरयू भव-मुक्ति दें।
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२६-१-२०२३ 
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