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मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

नव गीत

नव गीत :
संजीव 'सलिल'
*
जीवन की जय बोल,
धरा का दर्द तनिक सुन
साँसों के एकतारा 
मौन न हो, कर तुन तुन  
*
तपता सूरज आँख दिखाता,
जगत जल रहा. 
पीर सौ गुनी अधिक हुई है, 
नेह गल रहा. 
हिम्मत तनिक न हार- 
नए सपने फिर से बुन... 
*
निशा उषा संध्या को छलता 
सुख का चंदा. 
हँसता है पर काम किसी के 
आए न बन्दा... 
सब अपने में लीन, 
तुझे प्यारी अपनी धुन... 
*
महाकाल के हाथ 
जिंदगी यंत्र हुई है. 
स्वार्थ-कामना ही 
साँसों का मन्त्र मुई है. 
तंत्र लोक पर, रहे न हावी 
कर कुछ सुन-गुन... 
*

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