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सोमवार, 9 अक्टूबर 2017

baal geet

बाल गीत:

माँ-बेटी की बात

संजीव 'सलिल'
*
रानी जी को नचाती हैं महारानी नाच.

झूठ न इसको मानिये, बात कहूँ मैं साँच..

बात कहूँ मैं साँच, रूठ पल में जाती है.

पल में जाती बहल, बहारें ले आती है..

गुड़िया हाथों में गुड़िया ले सजा रही है.

लोरी गाकर थपक-थपक कर सुला रही है.

मारे सिर पर हाथ कहे: ''क्यों तंग कर रही?

क्यों न रही सो?, क्यों निंदिया से जंग कर रही?''

खीज रही है, रीझ रही है, हो बलिहारी.

अपनी गुड़िया पर मैया की गुड़िया प्यारी..

रानी माँ हैरां कहें: ''महारानी सो जाओ.

आँख बंद कर अनुष्का! सपनों में मुस्काओ.

तेरे पापा आ गए, खाना खिला, सुलाऊँ.

जल्दी उठाना है सुबह, बिटिया अब मैं जाऊँ?''

बिटिया बोली ठुमक कर: ''क्या वे डरते हैं?'

क्यों तुमसे थे कह रहे: 'तुम पर मरते हैं?

जीते जी कोई कभी कैसे मर सकता?

बड़े झूठ कहते तो क्यों कुछ फर्क नहीं पड़ता?''

मुझे डांटती: ''झूठ न बोलो तुम समझाती हो.

पापा बोलें झूठ, न उनको डांट लगाती हो.

मेरी गुड़िया नहीं सो रही, लोरी गाओ, सुलाओ.

नाम न पापा का लेकर, तुम मुझसे जान बचाओ''..

हुई निरुत्तर माँ गोदी में ले बिटिया को भींच.

लोरी गाकर सुलाया, ममता-सलिल उलीच..

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salil.sanjiv@gmail.com
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lokgeet

लोकगीत:  

हाँको न हमरी कार.....

संजीव 'सलिल'
*
पोंछो न हमरी कार
ओ बलमा! हाँको न हमरी कार.....
हाँको न हमरी कार,
ओ बलमा! हाँको न हमरी कार.....
*
नाज़ुक-नाज़ुक मोरी कलाई,
गोरी काया मक्खन-मलाई. 
तुम कागा से सुघड़, कहे जग-
'बिजुरी-मेघ' पुकार..  
ओ सैयां! पोछो न हमरी कार.  
पोछो न हमरी कार, 
ओ बलमा! हाँको न हमरी कार.....
*
संग चलेंगी मोरी गुइयां,
तनक न हेरो बिनको सैयां.
भरमाये तो कहूँ राम सौं-
गलन ना दइहों दार..
ओ सैयां! पोछो न हमरी कार. 
पोछो न हमरी कार, 
ओ बलमा! हाँको न हमरी कार.....
*
बनो डिरेवर, हाँको गाड़ी.
कैहों सबसे 'बलम अनाड़ी'.
'सलिल' संग केसरिया कुल्फी-
खैहों, न करियो रार..
ओ सैयां! पोछो न हमरी कार. 
पोछो न हमरी कार, 
ओ बलमा! हाँको न हमरी कार.....

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