श्री गणेश आवाहन :
डॉ. उदयभानु तिवारी 'मधुकर'
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आये गजानन द्वार हमारे,मंगल कलश सजाओ जी!!
बंदनवार बनाओ जी!…
बुद्धि निधान भक्त चित चन्दन
विघ्न विनाशन गिरिजानंदन
द्वार खड़े सब करलो वंदन
करो वेद ध्वनि से अभिनन्दन
घी के दीप जलाओ जी! सुमन माल ले आओ जी!!
आये गजानन द्वार हमारे,मंगल कलश सजाओ जी!!
मूषक वाहन अद्भुत भ्राजे
चतुर्भुजी भगवान विराजे
ऋद्धि-सिद्धि दोउ सँग में राजे
झांझर, शंख बजाओ बाजे
मोदक,फल ले आओ जी! आरति थार सजाओ जी!!
आये गजानन द्वार हमारे,मंगल कलश सजाओ जी!!
प्रभु! अंधों के नयनप्रदाता
बाँझन के हैं सुख-सुतदाता
देव!मनुज के बुद्धि विधाता
इन्हें प्रथम ही पूजा जाता
एकदन्त गुण गाओजी! आसन पर ले आओ जी!!
आये गजानन द्वार हमारे,मंगल कलश सजाओ जी!!
जय लम्बोदर भव-दुखहारी
हम सब हैं प्रभु शरण तुम्हारी
जय जय जय संतन हितकारी
सुनिए गणपति विनय हमारी
आसन पर आजाओ जी!,विमल छटा छिटकाओ जी!!
आये गजानन द्वार हमारे,मंगल कलश सजाओ जी!!
कर तन,मन,धन तुम्हें समर्पण
पत्र, पुष्प, फल करके अर्पण
''मधुकर'' भक्त करें सब अर्चन
कीजै प्रभु निर्मल अंतर्मन
कृपा दृष्टि बरसाओ जी!,सारे विघ्न मिटाओ जी!!
आये गजानन द्वार हमारे,सब मिल आरति गाओ जी!!
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