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शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

शिशु गीत सलिला : 6 संजीव 'सलिल'

शिशु गीत सलिला : 6 
संजीव 'सलिल'
*

 51. फ्रिज


पानी ठंडा करता, बर्फ जमाता है,
फ्रिज है बहुत जरूरी सबको भाता है।
ताज़ा रखता खाना, फल, तरकारी भी-
रखे राधिका केक, पेस्ट्री, टॉफी भी।।
*
52. कूलर


कमरे में रहता, बैठा है खिड़की पर,
इसे चलाओ लेता पल में गर्मी हर।
खस की भीनी खुशबू सब के मन भाती-
चैन न इसके बिन गर्मी में है आती।।
*
53. टी. व्ही.



छोटे से डब्बे में सारी दुनिया है,
हँसा-रुला मन बहलाता है, गुनिया है।
दादा-दादी, माँ-पापा को भाता है-
टी. व्ही.  का साथी हर मुन्ना-मुनिया है।।
*
54. कम्प्यूटर



घर ले आता ज्ञान, कला, विज्ञान है,
कम्प्यूटर तकनीक भरा वरदान है।
है दिमाग सी. पी. यू., दिल मोनीटर है-
वह पछताए जो इससे अनजान है।।
*
55. पंखा


हाथों से जब आ मिलता,
हवा हमें ठंडी झलता।
ताड़ पात्र या कपड़े से-
बनता हर कर में खिलता।



पंखा बिजली से चलता,
कर तज कर ना कर मलता।
छत, दीवाल, मेज के संग-
करे दोस्ती ना छलता।।
*
56. झूला



आओ! हिल-मिल झूला झूलें।
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें।
ठंडी-ठंडी हवा लगेगी-
पल में गर्मी दूर भगेगी।।
*
57. पौधे



बीजे बो, अंकुर निकलेंगे,
पौधे रोपो तुरत बढ़ेंगे।
इनमें पानी सींचो रोज-
पत्ते, फूल, छाँव, फल देंगे।
लकड़ी कई काम आयेगी,
हवा बिन कहे शुद्ध करेंगे।
बढ़ें पेड़ बन कर हरियाली-
दाम न कुछ भी हमसे लेंगे।
*
58. पत्ते



हमने पहने कपड़े-लत्ते,
झाड़ पहनता अपने पत्ते।
पत्ते हिलते बहे हवा तब-
पंछी को दुलराते पत्ते।।
धानी, हरे, जामुनी, पीले
सबके मन को भाते पत्ते।
टोपी, वस्त्र, झोपड़ी, झाड़ू
बना काम आते हैं पत्ते।।
*
59. कली



गुड़िया जैसी लगे भली,
पौधों पर जब मिले कली।
मंद-मंद मुस्काती है-
माँ को पा ज्यों हँसे लली।।
*
60. फूल



रंग-बिरंगे अनगिन फूल,
शाखाओं पर झूला झूल।
देवों के सर चढ़ते हैं-
कोई नहीं कहता है भूल।।
करें सुगन्धित बगिया को-
झरें सुगन्धित होती धूल।
दुनिया चैन न लेने दे,
चुभते हैं इनको भी शूल।।
*